Laila majnu who is considered a symbol of love, the tomb of both built in village of Anupgarh – News18 हिंदी

विपुल अग्रवाल/ श्रीगंगानगर:- राजस्थान राज्य अपने आप में कई विशेषताएं रखता है और राजस्थान के गांव में यहां की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. राज्य के बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि गांवो में भी कई किस्से और कहानियां दफन हैं. ये किस्से पूरे राजस्थान में ही नहीं, बल्कि विश्व में सुने जाते हैं. चलिए हम आपको राजस्थान के एक ऐसे गाँव ले चलते हैं, जहां दो प्रेमी जोड़ियों ने भूख और प्यास से तड़प-तड़पकर अपनी जान दे दी थी. राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ क्षेत्र के गांव बिंजौर अमर प्रेम के प्रतीक लैला मजनू की कहानी काफी चर्चित है, जो जीते जी तो एक नहीं हो सके, लेकिन मरने के बाद दोनों का नाम एक साथ लिया जाने लगा.
लैला के भाइयों से बचते हुए लैला और मजनू पहुंचे ये गांव
यहां के मजारों की ये है मान्यता
लैला मजनू की इन मजारों पर सिर्फ प्यार करने वाले ही नहीं, बल्कि निसंतान या किसी अन्य परेशानी से ग्रस्त लोग भी दूर-दूर से अपनी परेशानी से निजात पाने के लिए आते हैं. मान्यता है कि यहां सभी की दुआएं कबूल होती हैं. मजारों की देखभाल के लिए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर कमेटी बनाई हुई है और 1960 के बाद से ही यहाँ इस मजार पर हर साल 11 से 14 जून तक मेला लगता है और हजारों लोग इस मेले में मजारों पर श्रद्धा के फूल चढ़ाते हैं.
पानी की तलाश में तड़प-तड़प कर गई जान
राजकीय विद्यालय के साहित्य विषय के अध्यापक सुरेंद्र कुमार ने बताया कि लंबे समय से सुनते आ रहे हैं कि सरहद तो अब बटी है, परंतु काफी सालों पहले ऐसा नहीं था. तब लैला और मजनू एक प्रेमी जोड़ी के रूप में लैला के भाइयों से बचते-बचाते अनूपगढ़ क्षेत्र के गांव पुरानी बिंजौर आ पहुंचे थे. यहां उनकी पानी की प्यास से तड़प-तड़प कर मौत हो गई थी. उस समय स्थानीय लोगों ने इन दोनों की कब्र एक साथ बना दी थी तथा कब्र बनने के पश्चात ऐसी मान्यता बन गई कि नव दंपति और प्रेमी-प्रेमिका जब यहां कोई सच्चे दिल से मन्नत मांगकर कब्रों पर चद्दर चढ़ाते हैं, तो उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
उन्होंने कहा कि लैला मजनू कमेटी के द्वारा 1960 के बाद से ही 11 से 14 जून तक यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दराज क्षेत्र के लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इनमें विशेषकर नव दंपति, प्रेमी जोड़े व निसंतान महिलाएं अपनी विभिन्न मनोकामनाएं लेकर आती हैं. उन्होंने कहा कि लैला-मजनू की मजार भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से महज 5 से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.
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FIRST PUBLISHED : February 10, 2024, 11:26 IST