एक दिन में कर देते हैं लाखों रुपए खर्च, पूरे साल की कमाई एक साथ, यहां ऐसे होती है पशुधन की दिवाली

भीलवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में दीपावली के अगले दिन पशुधन, विशेष रूप से गाय और बैलों की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन को पशुधन की दिवाली भी कहा जा सकता है, क्योंकि पशुपालक अपने पशुओं को विशेष रूप से सजाते-संवारते हैं और उनकी पूजा करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे आज भी पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ निभाया जाता है.
पशुधन की सजावट में लाखों की खरीदी गांवों में बैल और गाय को भगवान के समान पूजनीय माना जाता है, और इस दिन उन्हें आकर्षक तरीके से सजाया जाता है. पशुपालक इन जानवरों के श्रृंगार पर विशेष ध्यान देते हैं और सजावट के लिए लाखों रुपये तक खर्च करते हैं. पशुओं के गले में पट्टे, घुंघरू, बेल, रंगीन रस्सियां और माला जैसी चीजें लगाई जाती हैं. यह सजावट इतनी महत्वपूर्ण होती है कि दुकानदारों को भी पूरे साल इस दिन का इंतजार रहता है.
सजावट की वस्तुओं की मांग व्यापारी अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि गांवों में बैलों और गायों की सजावट के लिए खासतौर पर सजावटी सामानों की मांग होती है. इस साल भीलवाड़ा में बाजार सजावटी सामानों से भरे पड़े हैं, जहां पैरों के घुंघरू, सायरन वाली घंटियां, रंगीन कॉटन की रस्सियां और चमकीले गले के पट्टे बेचे जा रहे हैं. ये सामान मुख्य रूप से गुजरात के भावनगर से और रंग अजमेर से मंगाए जाते हैं. इस बार बाजार में चमकीले और चटख रंगों की मांग बढ़ी हुई है, और इन वस्तुओं की कीमत 20 रुपये से लेकर 500 रुपये तक है.
गाय-बैलों की सजावट: एक विशेष परंपरा ग्रामीण कैलाश, जो अपने बैल के लिए सामान खरीदने आए थे, ने बताया कि यह दिन गायों और बैलों के लिए समर्पित होता है. सुबह से ही उन्हें नहलाया-धुलाया जाता है, उनके सींगों को रंगों से सजाया जाता है और उन्हें मोरिया, रस्सी, और घुंघरू से सुसज्जित किया जाता है. इस दिन ग्रामीण विशेष व्यंजन बनाते हैं और अपने पशुओं को भी खिलाते हैं, जिससे उन्हें परिवार का सदस्य मानते हुए उनका सम्मान किया जाता है.
सजावट के साथ पशुधन की पूजा ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन गाय और बैल की पूजा की जाती है. अन्नकूट के दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं और पशुधन को जीमाया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि यह त्यौहार उनके लिए दिवाली के समान होता है, जिसमें पशुधन को सजाने और उनकी पूजा करने की परंपरा को बड़े उत्साह से निभाया जाता है.
भीलवाड़ा के बाजारों में इस पर्व को लेकर खास रौनक दिखाई दे रही है. ग्रामीण बड़ी संख्या में सजावटी सामान खरीद रहे हैं और अपने पशुओं को भव्य रूप से सजाने की तैयारी में जुटे हुए हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 14:38 IST