Lata Mangeshkar and Raj Singh Dungarpur great love story unheard tales Unique confluence of music and cricket rjsr
डूंगरपुर. स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के निधन से पूरा देश शोक में डूबा है. रेश्मी आवाज की धनी रही लता मंगेशकर का यूं तो राजस्थान से कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन यहां की रियासत रही डूंगरपुर (Dungarpur) से उनका गहरा नाता रहा है. यह नाता था दोस्ती का. यह नाता था प्यार का. यह नाता था आत्मियता का. यह नाता था अपनेपन का. डूंगरपुर राजघराने के राज सिंह (Raj Singh Dungarpur) और लता मंगेशकर की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. उनकी यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई दोनों को ही इसका अहसास नहीं हुआ लेकिन इसके चर्चे आम हो गये थे. उनका यह प्यार परवान तो नहीं चढ़ पाया लेकिन दोनों ने आजीवन कुंवारे और दूर रहकर इसे अमर कर दिया.
राज सिंह डूंगरपुर रियासत के राजा रहे लक्ष्मण सिंह जी के बेटे थे. राज सिंह स्कूल समय से ही क्रिकेट के शौकिन थे और लता मंगेशकर की आवाज के दीवाने थे. दूसरी तरफ लता मंगेशकर संगीत की दुनिया बड़ा नाम था. संगीत उनका पैशन था तो वे भी क्रिकेट की दीवानी थी. दोनों इन खूबियों के चलते वे एक दूसरे के नजदीक आये.
लता मंगेशकर के घर पर ही हुई थी पहली मुलाकात
बताया जाता है कि राज सिंह की लता मंगेशकर से मुलाकात उनके घर पर ही हुई थी. वर्ष 1959 में राज सिंह लॉ करने के लिये मुंबई गए थे. क्रिकेट के शौकीन राज सिंह 1955 से ही राजस्थान रणजी टीम से जुड़े हुये थे. राज सिंह की मुंबई के क्रिकेट मैदान में लता मंगेशकर भाई हृदयनाथ मंगेशकर से मुलाकात हुई. वे अक्सर राज सिंह को अपने साथ घर लेकर जाते थे. वहीं पर राज सिंह की लता मंगेशकर से पहली मुलाकात हुई थी.
राज सिंह टेप रिकॉर्डर जेब में रखते थे
पहली मुलाकात में उनका झुकाव लता मंगेशकर की ओर हो गया था. फिर धीरे-धीरे बातचीत और मुलाकातों का सिलसिला शुरू हुआ. चूंकि लता मंगेशकर संगीत की दुनिया में व्यस्त रहती थी लिहाजा उन्हें राजसिंह से मुलाकात का वक्त कम ही मिल पाता था. बताते हैं कि राज सिंह मुलाकात की इस कमी को लता के गाने सुनकर पूरी करते थे. इसके लिये वे टेप रिकॉर्डर अपने साथ ही रखते थे.
इसलिये नहीं हो पायी थी शादी
जानकारों की मानें तो दोनों की शादी हो भी जाती लेकिन राजपरिवार इस बात के लिये राजी नहीं था कि कोई साधारण परिवार की लड़की राजपरिवार की बहू बने. वे चाहते थे कि राजपरिवार की लड़की ही राजपरिवार की बहू बननी चाहिये. हालांकि राज सिंह अपने परिवार की जिद के आगे झुक गये लेकिन बाद में उन्होंने भी शादी नहीं की. राज सिंह लता मंगेशकर को प्यार से मिट्ठू बुलाते थे.
प्रथम श्रेणी के 86 मैच खेले थे राज सिंह ने
डूंगरपुर राजघराने के बेटे राज सिंह क्रिकेट को जुनून की हद तक चाहते थे. उन्होंने 1955 से 1971 के बीच प्रथम श्रेणी 86 मैच खेले थे. करीब 16 सात तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने के बाद वे लगभग 20 बरसों तक बीसीसीआई से जुड़े रहे. वर्ष 2009 राजसिंह डूंगरपुर का निधन हो गया था.
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