‘नेता उठा रहे फायदा’, सुप्रीम कोर्ट के जज अभय ओका ने भीड़तंत्र पर दी नसीहत, जमानत पर आलोचनाओं का दिया जवाब – Supreme Court Judge Justice Abhay Oka on Mob Rule political leaders role reply bail criticism

पुणे. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय ओका ने महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल की ओर से आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बातों पर अपनी बेबाक राय रखी. जस्टिस अभय ओका ने रविवार को कहा कि नेताओं द्वारा कुछ घटनाओं का फायदा उठाए जाने और दोषियों के लिए मौत की सजा का आश्वासन दिए जाने के कारण भीड़तंत्र स्थापित हो रहा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल ज्यूडिशियरी ही कानूनी फैसले दे सकती है. बार काउंसिल के कार्यक्रम में जस्टिस ओका ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखने और शीघ्र न्यायपूर्ण निर्णय देने के महत्व के बारे में भी बताया.
जस्टिस अभय ओका ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में जमानत देने को लेकर अदालतों की अकारण ही आलोचना की जाती है. जस्टिस ओका ने कहा, ‘यदि न्यायपालिका का सम्मान किया जाना है तो इसकी स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए. संविधान का पालन तभी होगा जब वकील और न्यायपालिका संवेदनशील रहेंगे. ज्यूडिशियरी की गरिमा बनाए रखने में वकीलों की प्रमुख भूमिका होती है और उन्हें यह जिम्मेदारी निभानी चाहिए अन्यथा लोकतंत्र नहीं बचेगा.’ उन्होंने सार्वजनिक बहस की मौजूदा दिशा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एक भीड़तंत्र बनाया जा रहा है, जिसमें नेता कुछ घटनाओं का लाभ उठाते हैं और लोगों को दोषियों के लिए मृत्युदंड का आश्वासन देते हैं, जबकि कानूनी फैसले देने का अधिकार केवल न्यायपालिका के पास है.
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‘हमने भीड़तंत्र बना दिया’जस्टिस ओका ने कहा, ‘हमने भीड़तंत्र बना दिया है. जब कोई घटना होती है, तो राजनीतिक लोग इसका फायदा उठाते हैं. नेता उस विशेष स्थान पर जाते हैं और लोगों को आश्वासन देते हैं कि आरोपी को मौत की सजा दी जाएगी, लेकिन निर्णय लेने का अधिकार न्यायपालिका के पास है.’ उन्होंने किसी विशेष घटना का जिक्र नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणी कोलकाता में बलात्कार और हत्या की घटना तथा महाराष्ट्र के बदलापुर में एक स्कूल में दो बच्चियों के कथित यौन शोषण की पृष्ठभूमि में आई, जहां दोषियों को सख्त सजा देने की मांग उठी है. जस्टिस ओका ने कहा कि कुछ मामलों में जमानत दिए जाने पर अदालत पर ‘बिना किसी कारण के आलोचनाओं की बौछार हो जाती है. उन्होंने कहा कि जजों को कानून के अनुसार निर्णय देना चाहिए जो पारदर्शी होना चाहिए.
मौत की सजा की मांगबता दें कि केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने शनिवार को कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या में शामिल लोगों के लिए मृत्युदंड की मांग की. कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बलात्कार के दोषियों को मृत्युदंड सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन का वादा किया था. बार काउंसिल के कार्यक्रम में उपस्थित सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस प्रसन्न भालचंद्र वराले ने शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. जस्टिस वराले ने कहा, ‘अपने मूल्यों को बनाए रखना और कड़ी मेहनत करना सफलता की कुंजी है. संविधान को जानना या पढ़ना न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि हमें इसके बारे में जागरूक भी होना चाहिए. महिलाओं पर हमलों को देखते हुए न केवल बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की जरूरत है, बल्कि अब बेटा पढ़ाओ भी महत्वपूर्ण है.’ उन्होंने लड़कियों और महिलाओं के प्रति लड़कों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता बताई.
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FIRST PUBLISHED : September 1, 2024, 21:22 IST