दवा छोड़िए…ये पत्ता गुर्दे की पथरी को निकाल फेंक देता है बाहर, फेफड़ों को करता है साफ, दमा के लिए फायदेमंद

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 16, 2025, 10:23 IST
आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि पत्थरचट्टा की ताजी पत्तियों का रस सुबह खाली पेट पीना लाभदायक होता है. इसके अलावा पत्तियों को उबालकर काढ़ा बनाकर सेवन किया जा सकता है.X
शिवलिंग पर पत्थरचट्टा के पत्तों से जल चढ़ाने की हैं परंपरा
हाइलाइट्स
पत्थरचट्टा का रस गुर्दे की पथरी निकालने में मदद करता है.सुबह खाली पेट पत्थरचट्टा का रस पीना लाभदायक है.पत्थरचट्टा का काढ़ा बवासीर और सूजन में राहत देता है.
जयपुर. प्रकृति में ऐसे अनेकों पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं. इनके गुणों के बारे आम लोगों को अधिक पता नहीं होता, लेकिन आयुर्वेद में इनका उपयोग बीमारियों के इलाज में किया जाता है. ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा है पत्थरचट्टा. यह एक औषधीय पौधा है, जिसे रोगों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है. इसे अरण्डपत्ता भी कहा जाता है. इस पौधे की पत्तियां मोटी, रसीली और हरी होती हैं.
आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि पत्थरचट्टा की ताजी पत्तियों का रस सुबह खाली पेट पीना लाभदायक होता है. इसके अलावा पत्तियों को उबालकर काढ़ा बनाकर पी बनाया जाता है. डॉक्टर ने बताया कि पत्थरचट्टा पत्तियों का रस पीने से गुर्दे की पथरी गलकर बाहर निकल आती है. इसके अलावा इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से सूजन और घाव में आराम मिलता है.
पत्थरचट्टा के धार्मिक महत्व पत्थरचट्टा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है. भारतीय संस्कृति में कई पौधों को पवित्र और शुभ माना गया है, और पत्थरचट्टा उनमें से एक है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि पत्थरचट्टा की पत्तियों का उपयोग कई धार्मिक अनुष्ठानों और व्रतों में किया जाता है. कुछ स्थानों पर इसे देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा में रखा जाता है. शिवलिंग पर पत्थरचट्टा के पत्तों से जल चढ़ाने की परंपरा है, क्योंकि यह पवित्रता और शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है.
पत्थरचट्टा के औषधीय लाभ पत्थरचट्टा एक औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग आयुर्वेद और घरेलू चिकित्सा में किया जाता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि पत्थरचट्टा की पत्तियों का रस या काढ़ा गुर्दे (किडनी) और मूत्राशय की पथरी को गलाने में मदद करता है. सुबह खाली पेट इसका सेवन करना लाभकारी होता है. इसके अलावा नियमित रूप से पत्थरचट्टा का रस पीने से रक्तचाप (BP) कंट्रोल होती है. वहीं, इसके पत्तों का रस या काढ़ा बवासीर में राहत देता है और आंतरिक सूजन को कम करता है. इसक पत्तों का रस बलगम को पतला करता है और फेफड़ों को साफ करता है और दमा और ब्रोंकाइटिस में फायदेमंद होता है.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan
First Published :
February 16, 2025, 10:11 IST
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दवा छोड़िए…ये पत्ता गुर्दे की पथरी को निकाल फेंक देता है बाहर
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.