Rajasthan

लाखों का पैकेज छोड़कर बंजर जमीन पर सीताफल उगा रहा यह MBA पास किसान, अब लाखों में हो रही कमाई

पाली. एमएनसी जैसी मल्टीनेशनल कंपनी में सालाना लाखों का पैकेज छोडकर एक युवा किसान नारायण चौधरी ने खेती का काम शुरू कर दिया. नारायण चौधरी आज 18 बीघा जमीन पर सीताफल और कपास की खेती कर अब लाखों रुपए कमा रहे हैं. नारायण सिंह एक युवा किसान हैं जिन्होंने पुणे से एमबीए की डिग्री को हासिल की. उसके बाद डिग्री लेकर मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब की बाद में नौकरी छोडकर पाली में पत्थर कटिंग की फैक्ट्री लगाने के बाद 18 बीघा बंजर जमीन को खरीदा, जहां पर आज वह सीताफल और कपास की खेती कर लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं. नारायण चौधरी कहते भी है कि खेती से बेहतर कोई व्यवसाय नही हो सकता.

जैविक तरीके से करते है सीताफल का उत्पादनसीताफल का उत्पादन वे जैविक तरीके से लेते हैं. खुद जैविक खाद तैयार करते हैं. इससे उनके उत्पाद ऑर्गेनिक होते हैं. सीताफल का आकार और टेस्ट भी बेहतर है. साथ ही उनके खेत में तैयार कपास का रेशा सफेद है, जो बिलाड़ा मंडी में अच्छे दाम पर बिकता है. इससे नारायण सिंह को अच्छी खासी इनकम हो जाती है.

पाली से 50 किलोमीटर दूर इस जगह खेती कर रहे यह किसानपाली शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर एक कस्बा है नाडोल. इस कस्बे में छोटा-सा गांव देवली पाबूजी है. गांव के किसान नारायण चौधरी सीताफल और कपास की खेती कर रहे हैं. उन्होंने खेती के लिए 9 साल पहले 18 बीघा बंजर जमीन खरीदी थी.

पिता चाहते थे नौकरी करू मगर दिल से बिजनेस स्टार्ट की थी इच्छाकिसान नारायण चौधरी बताते है कि उनके पिता गोमाराम चौधरी का सपना था कि मैं पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करूं. इसलिए एमबीए करने पुणे (महाराष्ट्र) चला गया. मैंने 2007 में मैंने पुणे के प्राइवेट कॉलेज से एमबीए किया. एमएनसी में सालाना 4 लाख का पैकेज मिला. कैंपस प्लेसमेंट में मुझे पुणे में ही एक एमएनसी में 4 लाख सालाना पैकेज पर सेल्स मैनेजर की जॉब मिल गई. उस समय के हिसाब से यह अच्छा पैकेज था. मैंने 2 साल तक पुणे में एमएनसी में जॉब किया. 2009 में खुद का बिजनेस स्टार्ट करने के मकसद से मैंने नौकरी से रिजाइन कर दिया और अपने गांव देवली पाबूजी आ गया. यहां मैंने 2010 में पत्थर कटिंग की फैक्ट्री लगाई और काम शुरू कर दिया. करीब 5 साल पत्थर कटिंग का काम करने के बाद मेरा मन खेती करने का हुआ.

इस तरह शुरू किया खेती का कामकहते मेहनत के बिना कुछ भी पाना मुश्किल है. इसी मेहनत के चलते चौधरी ने पत्थर कटिंग के काम से कुछ पैसा इकट्ठा हो चुका था. ऐसे में 2015 में मैंने देवली और सोमेसर गांव के बीच 18 बीघा बंजर जमीन खरीदी. पत्थर कटिंग में कई तरह की चुनौतियां होती हैं. यह पर्यावरण के नजरिए से भी चुनौतीपूर्ण है. जबकि खेती पर्यावरण के अनुकूल है. ऐसे में तय किया था कि मैं खेती करूंगा. लेकिन, जमीन पथरीली थी. ऐसे में यहां खेती की संभावना बहुत कम थी. खेती के लिए मैंने गुड़ा मेहरान बांध से उपजाऊ मिट्टी ट्रकों से मंगवाई और खेत में लाकर डाली. तब जाकर कोशिश कर इस जमीन को उपजाऊ बनाया.

इस तरह की सीताफल की खेतीनारायण चौधरी ने बताया कि उन्होने दो से तीन सालों में यही कोशिश की के अच्छी रिसर्च कर कौनसी खेती की जा सकती है इसपर विचार किया. खेती कैसे करनी चाहिए, कौन-सी खेती यहां सफल रहेगी. इस बारे में जानकारी जुटाई. किसानों से मिला. उनके खेत-बगीचे देखे. कृषि अधिकारियों से सलाह ली. जानकारी मिली कि इस इलाके की मिट्टी सीताफल और कपास के लिए बेहतर है. तब कही जाकर 2019 में मैंने ट्रायल के तौर पर सोलापुर एनएमके-1 किस्म के सीताफल की खेती की. इस फसल को पानी की जरूरत कम होती है. सिंचाई के लिए खेत में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम (बूंद-बूंद सिंचाई) का सेटअप लगाया. शुरुआत में कुछ समस्याएं आईं, लेकिन उनका समाधान होता गया.

80 रूपए किलो बिक रहे सीताफल2020 में मैंने सीताफल के 2 हजार पौधे और मंगाए. मुझे पहले ही साल सीताफल का अच्छा प्रोडक्शन मिला था. इसलिए जोश में था. सीताफल की क्वालिटी भी अच्छी मिली थी. ऐसे में खेत पर ही खरीदार आ गए थे. मंडी तक जाने की जरूरत ही नहीं हुई. खेत से ही पैदावार बिक जाती है. बंपर पैदावार से अच्छा मुनाफा हासिल हो रहा है. वर्तमान में सीताफल 80 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेच रहा हूं. इससे इस सीजन में अब तक 3 लाख 20 हजार का मुनाफा हो चुका है.

इन सीताफल की रहती है विशेष खासियतसोलापुर एनएमके-1 किस्म का को गोल्डन सीताफल भी कहते हैं. इसकी खासियत यह है कि इसमें बीज बहुत छोटे होते हैं और यह सीताफल अच्छी मिठास वाला होता है. उन्होंने बताया- मैं सीताफल की फसल में गोबर खाद का उपयोग करता हूं. फसल लेने के बाद सीताफल के पौधे की पत्तियों और तने को खाद बनाने के काम में लेता हूं.

अच्छी सफलता के बाद शुरू की कपास की खेतीसीताफल की खेती में सफलता प्राप्त करने के बाद किसान नारायण चौधरी ने बताया- साल 2023 में मैंने 8 बीघा में कपास की खेती भी शुरू की. यह खेती भी मैं बूंद-बूंद तकनीक से कर रहा हूं. पहले ही सीजन में मुझे अच्छा प्रोडक्शन मिला. पहली फसल से मुझे 40 क्विंटल कपास मिली, जिससे 3 लाख रुपए का मुनाफा हुआ. अब लगातार इसी खेती के फील्ड में वह बेहतर कार्य कर रहे है.

Tags: Local18, Pali news, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 16:43 IST

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