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दुबई छोड़ अब भारत में…..राजस्थान के इस किसान ने उगाए ‘रेगिस्तान के हीरे’, खेती से कमा रहा 20 लाख सालाना, जानें तरीका

Last Updated:May 19, 2025, 17:31 IST

Date Farming: बीकानेर के किसान शिव करण कूकना ने 10 बीघे में 400 खजूर के पौधे लगाकर प्रति वर्ष 18-20 लाख की अतिरिक्त आमदनी की. कृषि विभाग ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार दिया.

राजस्थान के एक किसान ने परम्परागत खेती के अलावा नई तकनीक से खेती में नवाचार किया है. बीकानेर के रहने वाले किसान ने घटते जलस्तर और पानी की गुणवत्ता को देखते हुए भी अपने खेत में खजूर की खेती की है. बीकानेर से करीब 25 किलोमीटर दूर पेमासर गांव के युवा किसान शिव करण कूकना ने 10 बीघे में 400 खजूर के पौधे लगाए है. जिससे कुछ ही समय में खजूर की अच्छी उपज होने लगी. खजूर से किसान को दोगुनी कमाई भी हो रही है.

किसान शिव करण कूकना ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक परंपरागत कृषि ग्वार, बाजरा, मोठ, मूंगफली, सरसों व चना की खेती करते थे. इसके बाद खेती उद्यानिकी नवाचार के तहत कुछ अलग हटकर खेती करना चाह रहे थे. इसके बाद उद्यान विभाग में संपर्क कर सलाह ली और खजूर की बागवानी शुरू कर दिया. यह फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ.

किसान शिवकरण ने बताया कि कृषि उद्यान विभाग ने पेमासर क्षेत्र में घटते जलस्तर व उपलब्ध पानी की गुणवत्ता विश्लेषण के पश्चात खजूर का बगीचा लगाने की सलाह दी. उद्यान विभाग के प्रोत्साहन से टिश्यू कल्चर खजूर किस्म बरही, खुनैजी, मेडजूल का बगीचा 10 बीघा में लगाया. साथ ही बूंद-बूंद सिंचाई ड्रिप से बगीचे में सिंचाई व उर्वरक प्रबंधन विभाग अधिकारियों एवं कृषि वैज्ञानिकों के देख-रेख में बागवानी प्रारंभ किया.

कृषि अधिकारियों ने समय-समय पर बगीचे का भ्रमण करते हुए तकनीकी सलाह दी‌. परिणामस्वरूप आज प्रति पौधा 60 से 70 किलो खजूर की उपज प्राप्त हो रहा है. वहीं 50-80 रुपए प्रति किलो भाव बाजार में मिल रहा है. बीकानेर के अलावा दिल्ली, पंजाब, गुजरात में भी खजूर और प्रसंस्करण उत्पाद का विपणन कर रहे है.

शिव करण ने बताया कि 400 पौधों से प्रति वर्ष 18-20 लाख रुपए की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. हालांकि खजूर की बागवानी में शुरुआती दौर में परेशानी हुई थी. लेकिन, कृषि स्नातक होने का उन्हें फायदा हुआ और उद्यान विभाग के सहयोग से आगे बढ़ते रहे.

हालांकि जुलाई-अगस्त में वर्षा से खजूर फल को थोड़ा नुकसान होता है. इसके साथ-साथ परागण की समस्या भी खजूर में रहती है, लेकिन इन सबके बावजूद हौसला नहीं डगमगाया. इसलिए, समन्वित कृषि जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, पशुपालन और खजूर से अच्छा लाभ कमा रहे हैं. शिवकरण ने बताया कि उद्यान विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से यह संभव हो पाया है. शिवकरण ने समृद्ध किसान, खुशहाल राजस्थान’ की परिकल्पना को साकार करने का काम किया है.

उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश गहलोत ने बताया कि युवा किसान शिवकरण की मेहनत अन्य किसानों को प्रेरित करने वाली है. इनकी उन्नत कृषि उद्यानिकी को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से शिवकरण कूकना को जिला स्तरीय सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है.

उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार के प्रावधान अनुसार उद्यान विभाग द्वारा किसान को खजूर फल बागीचा स्थापना पर 75 प्रतिशत तक अनुदान देय है. किसानों को राज्य सरकार द्वारा देय अनुदान का लाभ लेते हुए क्षेत्र में अधिकाधिक फल बगीचा स्थापना करना चाहिए, इसके लिए व कृषि पर्यवेक्षक व सहायक कृषि अधिकारी से संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते है.

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किसान ने 10 बीघा में उगाए खजूर, हर पौधे से 70 किलो फल, सालाना कमा रहे 20 लाख

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