बिजली के खंभे से लगा करंट, तो जहन्नुम बन गई जिंदगी, फिर पत्नी ने थामा हाथ तो 2 साल में जीत लिए 6 मेडल
सिरोही: मिलिए लाखनसिंह फोजदार से. एक समय पर वो जयपुर डिस्कॉम के कर्मचारी थे. सब ठीक चल रहा था. लेकिन अचानक एक हादसा हुआ और उनकी जिंदगी बदल गई. हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी पर आई चोट आई, जिस वजह से दोनों पैर खराब हो गए. इतना सब होने के बाद लाखन से किसी को कोई उम्मीद नहीं रही. लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी.
लाखनसिंह फोजदार की कहानी मूलरूप से भरतपुर जिले के बयाना निवासी लाखनसिंह सिरोही जिले के आबूरोड डिस्कॉम कार्यालय में टेक्निकल असिस्टेंट के रूप में कार्यरत थे.साल 2014 में मावल गांव में बिजली के पोल पर फॉल्ट निस्तारण के दौरान उन्हें बिजली का झटका लगा और लाखनसिंह जिंदगी और मौत के बीच झूल गई.
इतनी ऊंचाई से गिरने की वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी और एक हाथ में गहरी चोट आई थी. करीब 30 दिन तक आईसीयू में रहने के बाद उनके शरीर का निचला हिस्सा पैरालाइज हो गया. एक हाथ की हालत इतनी खराब थी कि डॉक्टरों को उसे हटाने का सुझाव दिया. इस हादसे ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया.
शौक को बनाया लक्ष्य लाखनसिंह ने लोकल-18 को कहा, ‘करीब 10 साल पहले हुई दुर्घटना ने मेरी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया था. मेरी पत्नी ने मुझे जिंदा रखने के लिए बहुत मेहनत की. दो साल तक इलाज चला और 30 दिन आईसीयू में भी रहना पड़ा. हादसे के बाद जिंदगी व्हीलचेयर पर आ गई थी. जब सेहत में थोड़ा सुधार हुआ, तो तैराकी शुरू की.’ बचपन से ही उन्हें तैराकी का शौक था. स्कूल के समय में वह अक्सर दोस्तों के साथ बंक मारकर कुंड में तैरने चले जाते थे. इसी शौक को उन्होंने अपना लक्ष्य बना लिया.
तैराकी से नई जिंदगी की शुरुआत शुरुआत में शरीर के कुछ हिस्सों का उपयोग नहीं कर पाने की वजह से लाखनसिंह को काफी परेशानी हुई, लेकिन लगातार प्रैक्टिस और हौसले की बदौलत उन्होंने सफलता हासिल की. साल 2023 में गुवाहाटी में हुई नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर फ्रीस्टाइल में लाखनसिंह ने गोल्ड मेडल जीता.
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नेशनल स्तर पर 6 मेडल किए हासिल इस प्रतियोगिता में लाखनसिंह ने 50 मीटर बैकस्ट्रोक में सिल्वर और 100 मीटर फ्रीस्टाइल में ब्रॉन्ज मेडल भी जीते. इसके एक साल बाद 23वीं नेशनल पैरा स्विमिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने 100 मीटर बैकस्ट्रोक में सिल्वर और 50 मीटर फ्रीस्टाइल तथा 50 मीटर बैकस्ट्रोक में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किए.
बेटियां भी ले रहीं पापा से शिक्षा लाखनसिंह की बेटियों ने भी उन्हें देखकर तैराकी को अपनाया. स्विमिंग ने लाखनसिंह को जिंदगी का एक नया लक्ष्य दे दिया. वर्तमान में वह जयपुर में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं और जब भी ऑफिस से समय मिलता है, तो जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में तैराकी की प्रैक्टिस करने जाते हैं. वह कोच दीनदयाल राजावत की देखरेख में ट्रेनिंग करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 4, 2024, 14:15 IST