Lockdown From 10, How Private Schools Will Upload Records On RTE Porta – 10 से लॉकडाउन, निजी स्कूल कैसे करेंगे आरटीई पोर्टल पर रिकॉर्ड अपलोड

शिक्षा विभाग ने आरटीई पोर्टल पर रिकॉर्ड अपलोड करने के लिए दिया 15 मई तक का समय
अपलोड नहीं होने पर अटक सकता है आरटीई का भुगतान
शिक्षाविभाग के आदेश को प्राइवेट स्कूलों ने बताया गैरकानूनी
कहा, खुद के आदेश में ही नहीं हो रही सरकारी गाइडलाइन और नियमों की पालना

जयपुर, 8 मई
राज्य सरकार की ओर से आरटीई पोर्टल (RTE Portal) पर ऑनलाइन कक्षाओं (Online Classes) की जानकारी का रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश परेशानी बन गए हैं। सरकार ने पोर्टल अपडेट करने के लिए निजी स्कूलों को 15 मई तक का समय दिया है। ऐसे में निजी स्कूल प्रशासन असमंजस में है कि सोमवार से शुरू होने वाले लॉकडाउन में वह यह काम कैसे करेंगे।
आरटीई का पैसा देने की नीयत नहीं
स्कूल क्रांति संघ की अध्यक्ष हेमलता शर्मा ने सरकार पर स्कूलों को आरटीई का पैसा देने की नीयत नहीं होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरकार को जुलाई तक आरटीई का पेमेंट करना अनिवार्य है लेकिन शिक्षा विभाग ने आरटीई (RTE) के भुगतान के लिए सभी बच्चों के आधार कार्ड और ईमेल आईडी मांगी है वह भी ऐसे समय में जबकि पूरे राज्य में लॉकडाउन लग रहा है। ऐसे में वह अपने कर्मचारियों को स्कूल कैसे बुलाएंगे। इससे साफ पता चलता है कि सरकार आरटीई का पैसा देना ही नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ सभी अपनी और अपने परिवार की जान बचाने को प्राथमिकता दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इस आदेश के अनुसार तो स्कूलों को लॉकडाउन में भी काम करना होगा। पोर्टल भरने की अंतिम तारीख भी 15 मई निर्धारित की गई है। ऐसे में अब स्कूल असमंजस में हैं कि बिना मेनपावर उनका काम कैसे होगा और कैसे स्कूल लॉकडाउन में खोले जाएंगे।
इधर प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के प्रवक्ता मृदुल सिसोदिया का कहना है कि या तो पोर्टल का काम करने के लिए सरकार स्कूलों में कुछ कर्मचारियों को आने कह इजाजत दें या फिर आदेश वापस लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार स्कूलों को आरटीई का भुगतान करें। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सीबीएसई की 10वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट तैयार करने के लिए कुछ कर्मचारियों को स्कूलों में बुलाने की स्वीकृति दी जाए जिससे रिजल्ट का काम भी पूरा किया जा सके।
गौरतलब है कि निजी स्कूलों को राहत देते हुए शिक्षा विभाग ने आरटीई के पैसे का भुगतान करने की पूरी तैयारी कर ली है। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा (Education Minister Govind singh dotasara) ने इस संबंध में शिक्षा निदेशक को निर्देश दे दिए हैं। निजी स्कूलों को आरटीई के पोर्टल पर ऑनलाइन कक्षाओं का पूरा हिसाब देना होगा। 15 मई तक पोर्टल पर ऑनलाइन कक्षाओं का रिकॉर्ड अपडेट नहीं करने पर भुगतान अटक सकता है। दरअसल, शिक्षा विभाग का तर्क है कि पिछले साल कोरोना की वजह से निजी स्कूलों में भी ऑफलाइन कक्षाएं नहीं सकी थी। ऐसे में विद्यार्थियों को ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए पढ़ाया गया था। जिन स्कूलों ने आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की ऑनलाइन कक्षाएं लगाई थीं, उन्हीं को फीस का पुनर्भरण हो सकेगा। इस आदेश के बाद कई निजी स्कूल संचालक अब पोर्टल पर रिकॉर्ड अपडेट करने में जुट गए हैं। पिछले दिनों निजी स्कूल संचालकों ने आरटीई का पैसा जल्द देने की मांग उठाई थी। मंत्री के आदेश के बाद निजी स्कूलों को लगभग 280 से 300 करोड़ का भुगतान हो सकेगा।
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फैक्ट फाइल : प्रदेश की स्थिति
हर साल प्रवेश देने वाली निजी स्कूल : 25 हजार से अधिक
निजी स्कूलों में कितनी फीसदी सीट : 25 फीसदी
पिछले साल प्रवेश : 1.95 लाख
निजी स्कूलों को औसतन पुनर्भरण राशि : 150 से 170 करोड़
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सरकार को देने होंगे 300 करोड़
पिछले साल राज्य सरकार के आरटीई का दायरा बढ़ाने से स्कूलों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में सरकार को निजी स्कूलों को लगभग 270 से 300 करोड़ तक की राशि का भुगतान करना पड़ेगा। पहले औसतन निजी स्कूलों को औसतन 150 से 170 करोड़ रुपए चुकाने पड़ रहे थे।