Lok Devta Ilouji procession marriage Jalore Holi festival traditions

Last Updated:March 14, 2025, 06:44 IST
इलोजी का विवाह हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से तय हुआ था. होलिका को अहंकार था कि वह आग में नहीं जल सकती. लेकिन जब उसने भक्त प्रह्लाद को अग्नि में बैठाकर जलाने की कोशिश की, तो खुद ही जलकर भस्म हो गई.X
लोकदेवता इलोजी महाराज की भव्य प्रतिमा….
हाइलाइट्स
इलोजी का विवाह होलिका से तय हुआ था.होलिका की मृत्यु से इलोजी का विवाह अधूरा रह गया.जालोर में हर साल इलोजी की बारात निकाली जाती है.
जालौर:- राजस्थान की धरती अपनी अनूठी परंपराओं और लोक आस्थाओं के लिए जानी जाती है. यहां कई लोक देवताओं की पूजा होती है, जिनमें से एक हैं लोक देवता इलोजी. जालोर में हर साल होली से पहले इलोजी की अनोखी बारात निकाली जाती है, जो सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक लोक परंपरा भी है. इस परंपरा को देखने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु जुटते हैं.
क्यों निकाली जाती है इलोजी की बारात?लोक मान्यता के अनुसार, इलोजी का विवाह हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से तय हुआ था. होलिका को अहंकार था कि वह आग में नहीं जल सकती. लेकिन जब उसने भक्त प्रह्लाद को अग्नि में बैठाकर जलाने की कोशिश की, तो खुद ही जलकर भस्म हो गई. यह घटना इलोजी के विवाह से ठीक पहले घटी, जिससे उनका विवाह अधूरा रह गया.
दु:खी इलोजी ने संपूर्ण जीवन अविवाहित रहने का संकल्प ले लिया. उन्होंने होलिका की राख को अपने शरीर पर मलकर अपने प्रेम को अमर कर दिया. आज भी इस घटना की स्मृति में जालोर में इलोजी की बारात निकाली जाती है, लेकिन बारात दुल्हन के घर कभी नहीं पहुंचती.
कैसे निकाली जाती है इलोजी की बारात?इस भव्य आयोजन में आनंद भैरू मित्र मंडल और व्यापार मंडल के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल होते हैं. इलोजी की प्रतिमा को विशेष रूप से तैयार किया जाता है और एक युवा को इलोजी के स्वरूप में सजाया जाता है. शाही अंदाज में बारात निकलती है. बारात में घोड़ी, अस्त्र-शस्त्र और पारंपरिक साफा पहने श्रद्धालु शामिल होते हैं. नाच-गान के साथ उत्सव का माहौल होता है. ढोल-नगाड़ों और डीजे की धुन पर नाचते-गाते हुए भक्तजन पूरे शहर में भ्रमण करते हैं.
जब बारात भक्त प्रह्लाद चौक पहुंचती है, तब एक संदेश आता है कि दुल्हन (होलिका) की मृत्यु हो गई. यह खबर सुनते ही बारात में शोक की लहर दौड़ जाती है. श्रद्धालु गमगीन हो जाते हैं और इलोजी की व्यथा को महसूस करने के लिए उनके शरीर पर गुलाल लगाते हैं. यही कारण है कि इस दिन जालोर में गुलाल लगाने की परंपरा चली आ रही है.
इलोजी: भक्तों के आरोग्य के देवताशाही बारात के एक बाराती ने Local 18 को बताया कि लोक मान्यता के अनुसार, इलोजी 56 भैरव देवताओं में से एक हैं. इन्हें स्वास्थ्य और आरोग्य के देवता भी माना जाता है. कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति साल में एक बार इलोजी को नारियल और पूजा अर्पित करता है, तो उसे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां नहीं होती. होली के बाद अगले दिन जब लोग धूल भरी होली खेलते हैं, तो यह इलोजी की इसी कहानी से जुड़ा हुआ पर्व होता है. गुलाल उड़ाकर लोग उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं और इस आयोजन को हर साल धूमधाम से मनाते हैं.
Location :
Jalor,Rajasthan
First Published :
March 14, 2025, 06:44 IST
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अनोखी परंपरा: लोक देवता इलोजी की बारात, जो कभी अपनी दुल्हन तक नहीं पहुंची