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चाय की पत्तियां पानी से हेवी मेटल्स हटाने में प्रभावी: स्टडी

Last Updated:March 03, 2025, 10:22 IST

Tea leaf adsorb heavy metals from water: नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोध में पाया गया कि चाय की पत्तियां पानी से सीसा और कैडमियम जैसे हेवी मेटल्स को छान सकती हैं. यह शोध एसीएस जर्नल में प्रकाशित हुआ.चाय की पत्तियां पानी से हेवी मेटल्स हटाने में प्रभावी: स्टडी

चाय की पत्तियां पानी से फिल्टर कर सकती हैं धातु.

हाइलाइट्स

चाय की पत्तियां पानी से हेवी मेटल्स छान सकती हैं.नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोध में यह पाया गया.चाय बनाने से 15% सीसा पानी से हटाया जा सकता है.

Tea Leaf adsorb heavy metals from water: जो लोग चाय पीना पसंद करते हैं, उनके लिए एक गुड न्यूज है. अच्छी खबर ये है कि एक स्टडी में पता चला है कि चाय की पत्तियां पानी में मौजूद हेवी मेटल्स को फिल्टर कर सकती हैं. ये सीसा (lead), कैडमियम (Cadmium) को बेहद आसानी और प्रभावी तरीके से छान सकती है. स्टडी को ‘ब्रूइंग क्लीन वॉटर’ टाइटल दिया गया है. यह शोध पिछले सप्ताह जर्नल एसीएस फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित किया गया था.

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और सीनियर राइटर विनायक पी. द्रविड़ का कहना है कि जब आप चाय बनाते हैं तो हेवी मेटल चाय की पत्तियों की सतह पर एब्जॉर्ब हो जाती हैं या चिपक जाती हैं और लगातार वहीं बना रहती हैं. इस तरह से ये पानी में मौजूद खतरनाक केमिकल्स से होने वाली समस्याओं से आप बचे रहे सकते हैं.

विनायक पी. द्रविड़ का कहना है कि इस स्टडी के जरिए हम ये जानना चाहते थे कि चाय की पत्तियों में हेवी और खतरनाक मेटल्स को सोखने की क्षमता कितनी है. वे कहते हैं कि यदि सभी लोग प्रतिदिन चाय पीते हैं तो इससे उन समस्याओं में कमी देखी जा सकती है, जो पानी में मौजूद हेवी मेटल के कारण हो सकती हैं.

नॉर्थवेस्टर्न के शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार की चाय, चाय की थैलियों और चाय बनाने के तरीकों का उपयोग करके भारी धातु के अवशोषण की सीमा का परीक्षण किया. काली, सफेद, हरी और ऊलॉन्ग टी के साथ-साथ हर्बल मिश्रण जैसे कैमोमाइल और रूइबोस को चुना गया. शोधकर्ताओं ने पैकेट में मिलने वाली चाय और कॉटन, नायलॉन और सेल्यूलोज के बैग में मिलने वाली चाय का भी परीक्षण किया और इनके बीच के अंतर की जांच की.

इसके लिए शोधकर्ताओं ने पानी में मौजूद सीसा, मेटल्स जैसे तांबा, जिंक, कैडमियम, क्रोमियम की मात्रा मिलाई. इनमें चाय की पत्तियों को डालकर बॉयलिंग टेम्परेचर से थोड़े कम पर गर्म किया गया. फिर इन चाय की पत्तियों को अलग-अलग समय के लिए डुबोकर रखा गया.

शोधकर्ताओं ने पानी में सीसा और धातुओं जैसे क्रोमियम, तांबा, जस्ता और कैडमियम की ज्ञात मात्रा मिलाई. इन घोलों को उबालने के तापमान से थोड़ा कम गर्म किया गया, जिसमें चाय की पत्तियां डाली गईं. इन पत्तियों को कुछ सेकेंड से लेकर 24 घंटे तक के लिए अलग-अलग समय के लिए डुबो कर रखा गया.

पानी में मेटल्स की मात्रा को जानने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने चाय पत्ती डालने से पहले और बाद में भी मेटल्स के लेवल की जांच की. रिजल्ट में ये बात सामने आई कि ये प्रक्रिया मेटल्स को पानी से प्रभावी तरीके से हटा सकती है.

क्या कहते हैं शोध के परिणामनॉर्थवेस्टर्न के शोधकर्ताओं ने पाया कि चाय बनाने की प्रक्रिया से पीने के पानी में से लगभग 15% सीसा हटाया जा सकता है, भले ही सीसे की सांद्रता (concentrations) 10 पार्ट्स प्रति मिलियन हो. उन्होंने यह अनुमान हर दिन पी जाने वाली एक कप चाय के आधार पर लगाया, जिसमें एक कप पानी और एक टी बैग का इस्तेमाल किया जाता है और उसे तीन से पांच मिनट तक उबाला जाता है.

शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर लोग एक कप से अधिक चाय पीते हैं तो समय के साथ उन रोगों के होने की संभावनाओं में कमी आ सकती है, जो हेवी मेटल्स के संपर्क में आने से जुड़ी होती है. ये शोध इस बात को भी समझने में मदद कर सकता है कि जो लोग अधिक चाय पीते हैं, उनमें चाय कम पीने वालों की तुलना में स्ट्रोक, हार्ट अटैक, हार्ट डिजीज होने की संभावना कम क्यों हो जाती है.


First Published :

March 03, 2025, 10:18 IST

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