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Lord Ganesha favourite Shami tree Know its religious and biological uses

Last Updated:March 20, 2025, 14:54 IST

प्रकृति में उपस्थित एक पेड़ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पत्ते, फल, लकड़ी और जड़ें भी औषधीय गुणों से भरपूर है. पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी इसकी अहम भूमिका है, क्योंकि यह मरुस्थलीय क…और पढ़ेंX
मरुस्थलीय
मरुस्थलीय क्षेत्र की जीवन रेखा कहलाने वाले खिजड़ी वृक्ष का धार्मिक महत्व…

हाइलाइट्स

खेजड़ी वृक्ष आस्था और जीवन का प्रतीक है.भगवान राम ने लंका जाने से पहले खेजड़ी की पूजा की थी.खेजड़ी के पत्ते, फल, लकड़ी और जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर हैं.

जालोर:- राजस्थान का खेजड़ी वृक्ष सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि आस्था और जीवन का प्रतीक है. इसे मारवाड़ की तुलसी भी कहा जाता है. संस्कृत भाषा में इसे शमी का वृक्ष भी कहा जाता है. यही वृक्ष भगवान गणेश को प्रिय है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने लंका जाने से पहले इसकी पूजा की थी. दशहरे पर रावण दहन से पूर्व ‘शमी’ वृक्ष की पूजा की परंपरा भी इसी कारण से है.

खेजड़ी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पत्ते, फल, लकड़ी और जड़ें भी औषधीय गुणों से भरपूर है. पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी इसकी अहम भूमिका है, क्योंकि यह मरुस्थलीय क्षेत्रों में भी जीवंत बना रहता है. आइए जानते हैं खेजड़ी के धार्मिक, सांस्कृतिक और जैविक लाभ.

खेजड़ी वृक्ष का धार्मिक महत्वकिसान मुरारदान बाहरठ ने लोकल 18 को बताया कि खेजड़ी या शमी वृक्ष का धार्मिक महत्व बहुत पुराना है. मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान राम लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे, तो उन्होंने विजय की कामना के लिए खेजड़ी की पूजा की थी. यही कारण है कि दशहरे के दिन इस वृक्ष की पूजा करने की परंपरा है. इसे भगवान गणेश और शनि देव का प्रिय वृक्ष भी माना जाता है. इतना ही नहीं, महाभारत में भी इसका उल्लेख मिलता है, जब पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने अस्त्र-शस्त्र इस वृक्ष में छुपाए थे.

जैविक और औषधीय लाभयह पेड़ सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि जैविक और औषधीय दृष्टि से भी बेहद खास है. इसकी जड़ें मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती हैं इसके पत्ते और छाल औषधीय गुणों से भरपूर हैं और इसकी फलियां यानी सांगरी पोषण का बेहतरीन स्रोत है. सांगरी का उपयोग राजस्थान के प्रसिद्ध व्यंजन ‘पंचकूटा’ में किया जाता है. इसकी छाल का उपयोग आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है.

किसानों के लिए वरदानकिसानों के लिए खेजड़ी किसी संजीवनी से कम नहीं है. राजस्थान जैसे शुष्क प्रदेशों में यह पेड़ बिना ज्यादा पानी के भी हरा-भरा रहता है. इसकी जड़ें जमीन में नमी बनाए रखती हैं, जिससे आसपास की फसलें भी सुरक्षित रहती हैं. यही वजह है कि किसान इसे खेतों में लगाते हैं, ताकि उनकी मिट्टी उपजाऊ बनी रहे और जल संरक्षण में मदद मिले. इसके अलावा, इसकी पत्तियां पशुओं के लिए बेहतरीन चारा होती हैं, जिससे पशुपालन में भी फायदा मिलता है.


Location :

Jalor,Rajasthan

First Published :

March 20, 2025, 14:38 IST

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किसानों के लिए वरदान है ये पेड़! जैविक और औषधीय लाभ, महाभारत में भी वर्णन

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