Rajasthan

भगवान राम ने भी किया था यहां अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तीर्थस्थलों में विशेष स्थान, पिंडदान करते ही होगा उद्धार

अभी पितृ पक्ष चल रहा है. इस दौरान कई लोग अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करते हैं. श्राद्ध पक्ष के दौरान लोग पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए विधि विधान से पिंडदान करते हैं. इसके लिए वे गया या दूसरी जगहों पर जाते हैं.

लेकिन, आज हम आपको ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान राम ने भी यहां अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया था. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के अजमेर में स्थित पुष्कर की.

पुष्कर एक ऐसा पवित्र तीर्थस्थल है, जहां कदम रखते ही मानसिक शांति का अनुभव होता है. यहां न केवल भगवान ब्रह्मा के इकलौते मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है, बल्कि पवित्र ब्रह्म सरोवर के दर्शन से भक्तों को मोक्ष की अनुभूति भी होती है. दुनियाभर से लोग यहां स्नान करने और पुण्य कमाने आते हैं, साथ ही अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म भी करते हैं.

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पुष्कर मृत्युलोक का सबसे बड़ा तीर्थस्थल

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुष्कर को मृत्युलोक के सबसे बड़े तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है. श्राद्ध पक्ष के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है, जो ब्रह्म सरोवर के किनारे विधि-विधान से पिंडदान कर अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना करते हैं.

पंडित सुरेंद्र राजगुरु ने लोकल 18 को बताया कि हिंदू सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. 15 दिवसीय श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और अनुष्ठान करवाते हैं. मान्यता है कि भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ का श्राद्ध पुष्कर की पवित्र भूमि पर ही किया था.

श्राद्ध के दौरान पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर पिंडदान करने वालों की भीड़ उमड़ती है. कोई जौ के आटे से तो कोई चावल से पिंड बनाकर अपने पितरों का श्राद्ध करता है. इसके बाद पुरोहितों को वस्त्रदान, भोजन और दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.

पुष्कर का विशेष महत्व

पुष्कर एकमात्र ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां 7 कुल और 5 पीढ़ियों तक के पूर्वजों के लिए श्राद्ध किया जाता है. देश के अन्य तीर्थ स्थलों पर केवल एक या दो पीढ़ियों तक के पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है. पंडित सुरेंद्र राजगुरु ने बताया कि भगवान श्रीराम ने भी पुष्कर में अपने 7 कुल और 5 पीढ़ियों के पूर्वजों का उद्धार श्राद्ध करके किया था. यहां श्राद्ध कर्म श्रद्धा के साथ करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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Tags: Local18, Pitru Paksha

FIRST PUBLISHED : September 19, 2024, 14:16 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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