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प्यार तूझी से किया है…प्रेम कहानी ने जीता दिव्यांगता से जंग, अब पूरा होगा इस जोड़े का सफर…लेंगे सात फेरे

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 06, 2025, 13:19 IST

कई बार कुछ ऐसी प्रेम कहानी देखने को मिलती हैं, जो शक्ल-सूरत और न ही शारीरिक सीमाएं देखती है. बस एक-दूसरे से सच्चा प्यार करती है. ऐसी ही प्रेम कहानी मध्य प्रदेश की रेशमा परमार और धर्मदास पाल की है.X
रेशमा
रेशमा और धर्मपाल

हाइलाइट्स

रेशमा और धर्मदास का विवाह 9 फरवरी 2025 को होगा.नारायण सेवा संस्थान द्वारा दिव्यांग विवाह का आयोजन.सच्चा प्यार किसी भी शारीरिक सीमा को नहीं पहचानता.

उदयपुर:- कहते हैं कि सच्चा प्यार न हालात देखता है, न शक्ल-सूरत और न ही शारीरिक सीमाएं. कुछ ऐसी ही प्रेरक कहानी है मध्य प्रदेश की रेशमा परमार और धर्मदास पाल की, जिनका विवाह 9 फरवरी 2025 को उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान द्वारा आयोजित दिव्यांग विवाह समारोह में संपन्न होगा. रेशमा परमार बचपन में पोलियो के कारण दिव्यांग हो गई. बावजूद इसके, उन्होंने हार नहीं मानी. रेशमा न केवल अपना सारा काम खुद करती हैं, बल्कि खाना बनाना, सफाई जैसे घरेलू कार्यों में भी सक्रिय रहती हैं. मगर दिव्यांगता के कारण उन्हें जीवनसाथी ढूंढने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

धूमधाम से किया जाए विवाहरेशम की इच्छा है कि उसकी शादी में भी सभी प्रकार की रस्में हो और उनका विवाह बड़े ही धूमधाम से आयोजित किया जाए, यह इच्छा उनकी अधूरी लग रही थी. लेकिन इसी दौरान उनके जीवन में आए धर्मदास पाल, जो जन्म से ही दिव्यांग है और उनके दोनों हाथ नहीं हैं. फिर भी उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई पूरी की और वर्तमान में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत हैं. धर्मदास आत्मनिर्भर हैं और अपने सभी कार्य बिना किसी मदद के करते हैं.

दोनों की मुलाकात ने उनकी जिंदगी को एक नया मोड़ दिया, जहां समाज ने रेशमा को अस्वीकार किया. वहीं धर्मदास ने न सिर्फ उनका साथ दिया, बल्कि जीवनभर साथ निभाने का वादा किया. यह कहानी साबित करती है कि सच्चा प्यार किसी भी शारीरिक सीमा को नहीं पहचानता.

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इस संस्थान ने किया विवाह का आयोजनइस विवाह का आयोजन नारायण सेवा संस्थान द्वारा किया जा रहा है, जो दिव्यांगों के जीवन में खुशियों के रंग भरने का कार्य करता है. संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि हमारा उद्देश्य दिव्यांगजनों को समाज में सम्मान दिलाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. रेशमा और धर्मदास की कहानी एक संदेश देती है कि हौसले, आत्मविश्वास और सच्चे प्यार के आगे कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती. इसीलिए उदयपुर में हर साल देशभर के जोड़ों का दिव्यांग विवाह आयोजित किया जाता है.


Location :

Udaipur,Rajasthan

First Published :

February 06, 2025, 13:19 IST

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संघर्ष से सफलता तक; इस दिव्यांग जोड़े की अनोखी प्रेम कहानी, अब लेंगे सात फेरे

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