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सूट पहनकर रोल मांगने पहुंचा था एक्टर, डायरेक्टर ने जोड़ लिए हाथ, फिर लगाया तिगड़म सुपरहिट हुई फिल्म

नई दिल्ली. किसी भी रोल को करने से पहले बॉलीवुड के कलाकार उसमें रचने बसने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं. किसी भी किरदार को निभाने से पहले एक्टर्स को उस किरदार को जीना पड़ता है, लेकिन सूट-बूट पहने एक कलाकार को डायरेक्टर ने रोल देने से ही इनकार कर दिया, बस फिर क्या था कलाकार गरीब किसान के किरदार में कुछ ऐसे ढले कि हलवाई ने उन्हें खाना देने से ही इनकार कर दिया और भगा दिया. इतना ही नहीं जब अपने जमाने के इस सुपरस्टार ने पान वाले को 5 का नोट दिया तो उसे भी यकीन नहीं हुआ कि यह नोट असली है. कई बार जांच परखने के बाद उसने 5 के नोट के बदले सिगरेट उस कलाकार को दी. चलिए आज हम आपको एक सुपरहिट फिल्म से जुड़ा यह किस्सा सुनाते हैं.

आजकल के बॉलीवुड फैंस आमिर खान को मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से जानते हैं. कहा जाता है कि आमिर खान किसी भी रोल को करने से पहले उसके पीछे न सिर्फ कड़ी-रिसर्च तो करते हैं बल्कि किरदार को अपनी असल जिंदगी में भी जीते हैं, लेकिन आज से 80 साल पहले ऐसा कुछ हुआ होगा, यह शायद ही कोई सोच सकता है. आज बात कर रहे हैं, फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ की. फिल्म के निर्देशक हीरो की तलाश में थे और तभी वहां एक सूट बूट पहने कलाकार पहुंचा और लीड रोल देने की मांग की. फिल्म खेती-किसानी की पृष्ठभूमि पर आधारित थी. ऐसे में निर्देशक ने कलाकार को फिल्म देने से मना कर दिया, बस फिर क्या था वह कलाकार वहां से लौट गया और उसे फिल्म के किरदार में ढालने का संकल्प लिया. यह अभिनेता और कोई नहीं बल्कि अपने जमाने के प्रसिद्ध एक्टर बलराज साहनी थे.

जब डायरेक्टर ने कहा ये रोल आपके लिए नहीं है…
बलराज साहनी खुद भी मार्क्सवादी विचारधारा रखते थे और कम्युनिस्ट संगठन एकता के सक्रिय सदस्य होने के नाते काफी नाटकों में अभिनय किया करते थे. नाटकों में अभिनय के कारण वह असिस्टेंट डायरेक्टर असित सेन से मिले और फिल्म में रोल दिलवाने की मांग की. असित सेन उस समय मशहूर निर्देशक विमल राय के असिस्टेंट हुआ करते थे. असित सेन ने बलराज साहनी को विमल राय से मिलवाया और ‘दो बीघा जमीन’ फिल्म में लीड रोल देने को कहा, लेकिन उस मुलाकात के लिए बलराज साहनी सूट बूट में पहुंचे थे और फिल्म किसान की पृष्ठभूमि से जुड़ी थी ऐसे में विमल राय ने उनका रोल देने से इनकार कर दिया. विमल राय ने कहा, ‘मेरे असिस्टेंट से जरूर कोई गलती हुई है. यह रोल आप जैसे व्यक्ति के लिए बिल्कुल नहीं है. इस पर बलराज साहनी ने कहा कि इप्टा में नाटक ऑन के दौरान उन्होंने धरती के लाल का रोल किया है. वह किसान बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. इसके बाद फिल्म के लेखक सलिल चौधरी और असित सेन के समझाने पर विमल राय उन्हें रोल देने के लिए तैयार हो गए.

जोगेश्वरी इलाके में जाकर रहने का  क्यों किया फैसला?
बलराज को रोल तो मिल गया, लेकिन उनके सामने अब भैया परीक्षा थी कि वह किसान के रोल को कैसे 100 प्रतिशत निभा सकेंगे. बस फिर क्या था उन्होंने जोगेश्वरी इलाके में जाकर रहने का फैसला किया. यहां पर पूर्वी उत्तर प्रदेश और अन्य इलाकों से काफी किसान लोग आकर रहते थे. उन्होंने अपनी वेशभूषा भी किसानों और मजदूर जैसा बना ली और वहां के लोगों के बीच जाकर रहने लगे.

हलवाई ने बिना खाना दिए भगा दिया
कुछ दिनों बाद बलराज को फिल्म की शूटिंग के लिए कोलकाता जाना पड़ा. वहां भी उन्होंने किसान और मजदूर की वेशभूषा बनाए रखी. इतना ही नहीं उन्होंने फिल्म के कुछ सींस को बेहतर बनाने के लिए हाथ रिक्शा भी खींचा. इस दौरान उनका वजन भी काफी कम हो गया. शूटिंग के दौरान एक बार बलराज को भूख लगी तो वह किसान के ही गेटअप में पास के एक हलवाई की दुकान पर चले गए और खाना देने की मांग की. बस फिर क्या था हवाई भड़क गया और उन्हें मजदूर समझकर बिना खाना दिए ही वहां से भगा दिया.

जब पानवाले से मांगी सिगरेट
खाना नहीं मिला तो बलराज एक पान वाले की दुकान पर पहुंचे और सिगरेट देने को कहा. पानवाला उनके सिगरेट मांगने पर काफी शशंकित था. बलराज ने उसकी व्यथा समझी और 5 का नोट निकालकर पानवाले को थमा दिया. 1950 के दशक में पांच का नोट काफी वैल्यू रखता था. ऐसे में पानवाले ने कई बार उसे 5 के नोट को चेक किया कि कहीं ये नकली तो नहीं और आखिर में जब नोट सही पाया तो बलराज को सिगरेट दे दी.

हीरो शंभू महतो के किरदार को माना सर्वश्रेष्ठ
इस पूरे किस्से को बलराज ने अपनी बॉयोग्राफी ‘मेरी फिल्मी आत्मकथा’ में लिखा कि ‘दो बीघा जमीन’ का हीरो शंभू महतो मेरे जीवन का सर्वश्रेष्ठ किरदार था. इस फिल्म में बलराज के साथ निरूपा रॉय ने भी शानदार अभिनय किया था.

Tags: Entertainment Special

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