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मधुबाला का हीरो, पर्दे पर राजा-महाराजा बनकर हुए मशहूर, मुफलिसी में बीते आखिरी दिन

Last Updated:October 27, 2025, 03:31 IST

प्रदीप कुमार को बचपन से एक्टिंग का शौक था. उन्होंने 17 साल की उम्र में एक्टर बनने का फैसला किया. शुरू में बंगाली सिनेमा में काम किया और फिर बॉलीवुड का रुख किया. उन्होंने मधुबाला और मीना कुमारी के साथ कई हिट फिल्में दीं. फिल्मों में अक्सर राजा-महाराज के रोल निभाने वाले प्रदीप कुमार के आखिरी दिन मुफलिसी और अकेलेपन में गुजरे.

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पर्दे पर राजा-महाराजा बनकर हुए मशहूर, मुफलिसी में बीते आखिरी दिनबचपन में एक्टर बनने का कर लिया था फैसला (फोटो साभार: IANS)

नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा के एक्टर प्रदीप कुमार ने अपनी अदाकारी से लाखों दिलों को जीता. बड़े पर्दे पर उन्हें हमेशा राजा, शहंशाह और शाही राजकुमार के रूप में देखा गया, लेकिन असल जीवन में उनका सफर उतना ही संघर्षपूर्ण और कठिन था. बचपन से ही फिल्में और अभिनय उनके दिल के बहुत करीब थे. यही कारण था कि उन्होंने 17 साल की कम उम्र से ही अभिनय की दुनिया में कदम रखा था. उनका यह फैसला जीवन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ.

प्रदीप कुमार का जन्म 19 जनवरी 1925 को कोलकाता में हुआ था. बचपन से उनका झुकाव अभिनय की तरफ अधिक था. स्कूल और मोहल्ले में नाटक और नाटकों में भाग लेना उनके लिए एक खास शौक बन गया. छोटी उम्र में ही उन्होंने महसूस किया कि फिल्मी दुनिया उनका सपना है और इसी सपने के पीछे वे अपने पूरे जीवन तक चलेंगे. 17 साल की उम्र में लिया गया यह फैसला उनके लिए जैसे जीवन का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम था.

नाटक के जरिये मिला फिल्म ‘अलकनंदा’ का ऑफरप्रदीप कुमार की फिल्मी यात्रा बंगाली सिनेमा से शुरू हुई. बंगाली फिल्म निर्देशक देवकी बोस ने एक नाटक में उनके अभिनय को देखा और प्रभावित होकर उन्हें अपनी फिल्म ‘अलकनंदा’ (1947) में मुख्य भूमिका का मौका दिया. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट नहीं हुई, लेकिन प्रदीप कुमार का अभिनय और उनकी स्क्रीन पर मौजूदगी दर्शकों और फिल्म निर्माताओं का ध्यान खींचने में सफल रही. इसके बाद उन्होंने कई बंगाली फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘भूली नाय’ और ‘स्वामी’ जैसी फिल्में शामिल थीं.

दिग्गजों के साथ किया कामबंगाली फिल्मों के बाद प्रदीप कुमार ने हिंदी सिनेमा की ओर रुख किया. साल 1952 में प्रदीप कुमार ने फिल्म ‘आनंद मठ’ में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद उन्होंने 1953 में फिल्म ‘अनारकली’ में बीना राय के साथ और 1954 में ‘नागिन’ में वैजयंतीमाला के साथ मुख्य भूमिका निभाई. इन फिल्मों ने उन्हें बड़े पर्दे पर पहचान दिलाई. उनकी शाही और आकर्षक छवि के कारण दर्शकों ने उन्हें तुरंत पसंद किया. प्रदीप कुमार ने मधुबाला और मीना कुमारी जैसी बड़ी अभिनेत्रियों के साथ भी कई सफल फिल्में की. मधुबाला के साथ उन्होंने आठ फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘राज हठ’, ‘शिरीन-फरहाद’, और ‘यहूदी की लड़की’ शामिल हैं. वहीं, मीना कुमारी के साथ उन्होंने सात फिल्में की, जिनमें ‘चित्रलेखा’, ‘बहु-बेगम’, और ‘भीगी रात’ प्रमुख हैं.

अकेलेपन में गुजरते थे दिनप्रदीप कुमार को उम्र बढ़ने के साथ प्रमुख भूमिकाओं के बजाय सहायक भूमिकाएं निभानी पड़ीं. इसके बावजूद, उन्होंने बड़े-बड़े एक्टरों जैसे अमिताभ बच्चन, सनी देओल और मनोज कुमार के साथ भी काम किया. प्रदीप कुमार की कला और मेहनत ने उन्हें सिर्फ बॉक्स ऑफिस की सफलता ही नहीं दिलाई, बल्कि दर्शकों के दिलों में एक खास जगह भी दी. प्रदीप कुमार को उनके योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया. उन्होंने 1999 में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार जीता. पर्दे पर मिली सफलता के बावजूद उनका निजी जीवन दुखों से भरा रहा. वे अक्सर अकेलेपन से गुजरते थे. लंबी बीमारी के बाद प्रदीप कुमार का निधन 27 अक्टूबर 2001 को कोलकाता में हुआ. उन्होंने 76 साल की उम्र में आखिरी सांस ली.

Abhishek Nagar

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल…और पढ़ें

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First Published :

October 27, 2025, 03:31 IST

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