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राजस्थान के सबसे ऊंचे गांव से है महाराणा प्रताप का खास कनेक्शन, बदहाली में जी रहे हैं शेरगांव के लोग

दर्शन शर्मा/सिरोही: राजस्थान वैसे तो अपने आप में ही अनोखी जगह है उससे भी अनोखा वहां का एक गांव है. इस गांव का नाम है शेरगांव है. यह राजस्थान का सबसे ऊंचा गांव है. शेरगांव सिरोही ज़िले के माउंट आबू शहर में अरावली पर्वत पर है. शेरगांव में न तो कोई कार जाती है और न कोई मोटरसाइकिल. यह इतनी ऊंचाई पर है कि इस गांव में कोई साइकिल भी नहीं रखता. इस गांव में कुल 35 घर हैं, जिसमें 118 मतदाता हैं, जिसमें 68 पुरुष और 50 महिला वोटर हैं. इस गांव को इसकी ऊंचाई तो खास बनाती है लेकिन इस गांव से महाराणा प्रताव का जुड़ाव इसे सबसे खास बना देता है. यही वजह है कि आज हम इस गांव के बारे में बात कर रहे हैं.

शेरगांव में आजादी के बाद से आज तक कोई सरकारी विकास नहीं पहुंचा है. वहां पानी से लेकर लाइट, सड़क, स्कूल, अस्पताल शौचालय कुछ भी नहीं है. शेरगांव में सभी परिवार राजपूत जाति से हैं और पीढ़ियों से इस गांव में रह रहे हैं. इस गांव में राजस्थान के अंतिम विधानसभा चुनाव में पहली बार पोलिंग बूथ बना था. उससे पहले यहां के लोग वोटिंग के लिए एक दिन पहले ही खाना-पानी लेकर चले जाते थे क्योंकि नीचे उतरने में काफी टाइम लगता है और लोग थकान होने पर रुकते हुए जाते थे. इतनी दिक्कतों के बाद भी इस गांव में लोग रहते हैं. ऐसे लगता है कि महाराणा प्रताप के प्रताप का असर इस गांव के लोगों में भी है.

गांव में आज भी है महाराणा प्रताप की गुफामहाराणा प्रताप इस गांव में जिस गुफा में रहे वह आज भी यहां मौजूद है. उस गुफा का नाम भैरुगुफा है. गुरु शिखर से उत्तर दिशा की ओर घने जंगलों के बीच यह गुफा है. यह ऐसे स्थान पर है जहां आज भी जाने में डर लगता है. घना जंगल होने से यहां सिर्फ स्थानीय जानकार लोग ही पहुंचते हैं.

कोई नहीं दे रहा था शरणजब महाराणा प्रताप बुरे दौर से गुजर रहे थे और अकबर के डर से न कोई उनकी मदद कर रहा था और न ही कोई शरण दे रहा था. ऐसे में सिरोही के नरेश महाराव सुरताण ने उनकी मदद की और उन्हें सुरक्षित शेरगांव के जंगलों में पहुंचा दिया. मुगल सेना उनके पीछे पड़ी हुई थी तो महाराणा प्रताप शेरगांव में करीब दो साल तक रहे. महाराणा प्रताप ने शेरगांव के भीलों के बीच रहकर मुगल सेना के खिलाफ लड़ाई की रणनीति बनाई थी. यहां के भील महाराणा प्रताप को काफी सम्मान देते हैं.

किसी के बीमार होने पर हालत हो जाती है खराबविधानसभा चुनाव के दौरान जब पूरे राजस्थान में 50 हजार से ज्यादा मतदान केंद्र बने थे तो उनमें से शेरगांव का पोलिगं बूथ की काफी चर्चा हुई थी. उससे पहले तक शेरगांव के लोग अपना वोट डालने उतरज पोलिंग बूथ जाते थे, जो शेरगांव से दस किलोमीटर नीचे है. गांव के लोग बताते हैं उनके गांव में आज तक कोई नेता प्रचार करने नहीं गया. यहां अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे एक चारपाई पर लिटाकर उस चारपाई को 20 लोग उठाकर नीचे ले जाते हैं. प्रेगनेंट महिलाएं या तो पहले ही अपने रिश्तेदारों के यहां चली जाती हैं या फिर इमरजेंसी में उन्हें भी इसी तरह चारपाई पर लिटाकर ले जाना पड़ता है.

ये है शरगांव के लोगों की चिंताअभी तक तो बीत गया, लेकिन अब वहां के लोगों को वहां स्कूल न होने और बच्चों के अनपढ़ रह जाने की चिंता सताती है. कुछ लोगों का कहना है कि उनके पास पैसे होते या शहर में रहने के लिए घर होता तो वो बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां से छोड़कर चले जाते. इस गांव के लोगों को अपना राशन भी ओरिया ग्राम पंचायत से लाना पड़ता है, जो करीब बीस किलोमीटर नीचे है. कुछ लोगों ने सोलर प्लेट लगा लिया है और उससे लाइट और इंवर्टर का इंतजाम किया है. गांव के लोगों को पीने का पानी 2 किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है.

गांव में रोजगार के नाम पर कुछ नहीं है. कोई दुकान भी नहीं है. थोड़ा सा भी सामान लेने नीचे ही जाना पड़ता है. गांव में सड़क न होने से लोग रोजगार के लिए नीचे भी नहीं जा पाते. लोगों का कहना है कि सड़क बन जाए तो वो लोग नीचे नौकरी करने जाने लगें. कुछ साल पहले पांचवी तक एक स्कूल खोला गया था जो बंद पड़ा है. इस स्कूल में सबसे बड़ी समस्या टीचर की है. इतनी ऊंचाई पर होने के चलते कोई टीचर आने को तैयार ही नहीं है.

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FIRST PUBLISHED : August 3, 2024, 16:47 IST

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