Rajasthan
राजस्थान में नया सियासी संकट! फिर करवट ले रही है कांग्रेस की राजनीति, गहलोत-पायलट खेमे में ‘शीतयुद्ध’


पायलट कैम्प अब इस मुद्दे को पार्टी आलाकमान के सामने भुनाने की पूरी कोशिश करेगा और यह जताने की कोशिश करेगा कि पार्टी के वरिष्ठ सिपहसालार भी कितने पीड़ित और प्रताड़ित हैं.
Congress politics is taking new turn again in Rajasthan: कोरोना काल में राजस्थान कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर से करवट ले रही है. पार्टी के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे से पार्टी में हलचल तेज हो गई है.
जयपुर. कोरोना काल में जहां जीवन बचाने की जद्दोजहद चल रही है, वहीं राजस्थान में सियासत (Politics in rajasthan) नई करवट ले रही है. वरिष्ठ कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी (Hemaram Chaudhary) के विधानसभाध्यक्ष को इस्तीफा भेजे जाने के बाद राजस्थान में फिर से सियासी भूचाल के कयास लगाए जा रहे हैं. हेमाराम चौधरी के इस्तीफे को पायलट खेमे के अंदर भभक रहे लावे की चिंगारी के रूप में देखा जा रहा है जो आने वाले दिनों में फिर से सियासी संकट की वजह बन सकता है. चौधरी के इस्तीफे को पायलट खेमे का एक बड़ा दांव माना जा रहा है. यह गहलोत कैम्प की मुश्किलें बढ़ाने वाला हो सकता है. पायलट कैम्प अब इस मुद्दे को पार्टी आलाकमान के सामने भुनाने की पूरी कोशिश करेगा और यह जताने की कोशिश करेगा कि पार्टी के वरिष्ठ सिपहसालार भी कितने पीड़ित और प्रताड़ित हैं. मामले को लेकर गहलोत कैम्प से आलाकमान द्वारा जवाब-तलब भी किया जा सकता है. आने वाले दिनों में यदि पायलट कैम्प के दूसरे कुछ विधायक भी इस तरह का कदम उठाते हैं तो गहलोत कैम्प की मुश्किलें बढ़ना तय है. कोरोना काल में फिर खड़ा होगा बड़ा बखेड़ा? अगर हेमाराम चौधरी का इस्तीफा सोची समझी रणनीति के तहत हुआ है तो इस बार भी प्रदेश में कोरोना काल में बड़ा सियासी घमासान देखने को मिल सकता है. पिछले साल भी कोरोना संक्रमण जब तेजी से बढ़ रहा था तब बड़ा सियासी संकट खड़ा हुआ था. पायलट खेमा मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में हो रही देरी से नाराज चल रहा है. खुद पायलट ने पिछले दिनों मीडिया से बातचीत में कहा था कि अब देरी का कोई कारण नहीं है.विपक्ष इसी तरह के मौके की तलाश इसके बावजूद हलचल नहीं होने से आहत पायलट खेमा इस बार फिर से कोई बड़ा सियासी दांव खेल सकता है. इस बार गहलोत कैम्प के सामने संकट यह है कि कई वो विधायक भी नाराज हैं जो पिछली बार सियासी संकट में सरकार के साथ थे. दरअसल, इनमें से कई विधायकों को एडजस्ट करने का भरोसा दिया गया था, लेकिन उसमें हो रही देरी से वे भी सरकार से खफा हैं. जबकि बार-बार सरकार के संकट में होने की बात कह रहा विपक्ष इसी तरह के मौके की ताक में बैठा है.