Medical Tourism: अब मेडिटूरिज्म विकसित करने की कवायद होगी तेज | Now the effort to develop Medical tourism will be intensified

Medical Tourism:
– नए साल में आयोजित होगी आयुष समिट
– आयुर्वेद के प्रचार से विदेशी मरीजों को बुलाया जाएगा राजस्थान
जयपुर
Published: December 17, 2021 11:45:48 am
Medical Tourism: राज्य में अब मेडिटूरिज्म का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए जाने की कवायद तेज होगी। यही नहीं जयपुर में हो रहे अन्य फेस्टिवल की तर्ज पर अब नए साल में आयुष समिट भी आयोजित की जाएगी। इस आयुष समिट में आयुर्वेद के साथ ही होम्योपैथ और यूनानी पद्धति के विशेषज्ञों को इकट्रठा कर कोरोना काल के बाद के जीवन और बीमारियों में प्राचानी पद्धतियों के महत्व पर चर्चा की जाएगी। यही नहीं अन्य देशों के प्रतिनिधि भी इसमें भाग लेंगे और राज्य में इन पद्धतियों के साथ मेडिटूरिज्म की अन्य संभावनाओं का तलाशा जाएगा। हालांकि मेडिटूरिज्म को राज्य में बढ़ावा देने का दावा राज्य सरकार ने अपने घोषणा पत्र में किया था, इसके लिए कई आयुर्वेद अस्पताल भी खोले गए लेकिन अब तक यह बड़े स्तर पर रफ्तार में नहीं आ पाया है। अब आयुष मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग को राज्य सरकार ने जिम्मेदारी दी है कि नए साल में नवाचारों के साथ इस मेडिटूरिज्म को शुरू किया जाए। इसी क्रम में अब राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर में सिद्ध पद्धति को एक विषय के रूप में नए सत्र से जोड़ा जाएगा।

Now the effort to develop Medical tourism will be intensified
यह है सिद्ध पद्धति
सिद्ध काफी हद तक आयुर्वेद के समान ही है। इस पद्धति में रसायन का आयुर्विज्ञान तथा आल्केमी के सहायक विज्ञान के रूप में काफी विकास हुआ है। इस प्रणाली के अनुसार मानव शरीर ब्रह्माण्ड की प्रतिकृति है और इसी प्रकार से भोजन और औषधि भी, चाहे उनका उद्भव कहीं से भी हुआ हो, यह प्रणाली जीवन में उद्धार की परिकल्पना से जुड़ी हुई है। इस प्रणाली के प्रवर्तकों का मानना है कि औषधि और मनन-चिंतन के द्वारा इस अवस्था को प्राप्त करना संभव है। इसे अब आयुष के विषयों में शामिल किया जाएगा।
इन उपचारों में आती है काम
सिद्ध प्रणाली आकस्मिक मामलों को छोड़ कर सभी प्रकार के रोगों का इलाज करने में सक्षम है। सामान्य तौर पर यह प्रणाली त्वचा संबंधी सभी समस्याओं का उपचार करने में सक्षम हैं। विशेष कर सोरियासिस, यौन संक्रमण, यकृत की बीमारी और गैस्ट्रो आंत के रास्ते के रोग, सामान्य डेबिलिटी, पोस्टपार्टम एनेमिया, डायरिया और गठिया, एलर्जी विकार के अतिरिक्त सामान्य बुखार का भी इससे उपचार किया जाता है।
एक्सीलेंस सेंटर भी होगा विश्वविद्यालय में
आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में ‘इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन पंचकर्म‘ को विकसित किया जाएगा। इसके लिए आयुष मंत्री सुभाष गर्ग ने विवि के अधिकारियों को केरल और विदेशों में संचालित मॉडल वैलनेस सेन्टर्स का अध्ययन कर योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं डॉ. गर्ग ने कहा है कि मेडिटूरिज्म व आयुष के विकास की संभावनाओं एवं अनुसंधान आदि के संबंध में चर्चा के लिए भी एक आयुष समिट का आयोजन नए साल में किया जाएगा।
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