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गुजरात के रुद्रमाल से मुगल सेना लूट कर ले जा रही थी ये शिवलिंग, सिरोही की सेना ने बचाकर किया था स्थापित

Last Updated:February 26, 2025, 14:32 IST

Mahashivratri 2025 : सिरणवा पहाडियों की तलहटी में बने इस मंदिर का इतिहास भी गौरवशाली है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को सिरोही और राजपूताना की सेनाओं ने मुलग आक्रांताओं से बचाकर यहां स्थापित किया था. X
सारणेश्वर
सारणेश्वर महादेव मंदिर, सिरोही

हाइलाइट्स

सिरोही के सारणेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास गौरवशाली है.शिवलिंग को सिरोही और राजपूताना की सेनाओं ने मुगलों से बचाया.महाशिवरात्रि पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है.

सिरोही : महाशिवरात्रि पर जिले के आराध्यदेव सारणेश्वर महादेव मंदिर में शिवरात्रि पर सिरोही जालोर समेत अन्य राज्यों से भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. सिरणवा पहाडियों की तलहटी में बने इस मंदिर का इतिहास भी गौरवशाली है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को सिरोही और राजपूताना की सेनाओं ने मुलग आक्रांताओं से बचाकर यहां स्थापित किया था.

सिरोही जिला मुख्यालय से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित सारणेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव सिरोही देवडा-चौहान राजवंश के ईष्टदेव के रूप में पूजे जाते हैं. वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख सिरोही देवस्थान बोर्ड की ओर से की जा रही है. सारणेश्वर के ज्योतिषाचार्य व अशोक पंडित ने लोकल-18 को बताया कि महाशिवरात्रि को रात्रि में मंदिर के रंग कुंड में माता गंगा प्रकट होती हैं. इसके बाद सवा लाख घड़ों में गंगाजल लेकर त्रिकालदर्शी अभिषेक किया जाता है. भक्तों की मान्यता है कि इस अभिषेक के पानी से कई प्रकार के चर्म रोग भी दूर होते हैं.

मंदाकिनी झील के किनारे बनी है कलात्मक छतरियां मुख्य मंदिर के अलावा आसपास का क्षेत्र चारों ओर ऊंची दीवारों, चौकियों के साथ घिरा हुआ है. मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर तीन विशालकाय हाथी हैं, जिन्हें आकर्षक रूप से सजाया है. इनमें प्रवेश द्वार पर दो हाथी खड़े हैं, जिन पर हनुमान व गणेश के विग्रह हैं. मंदिर के बाहर मंदाकिनी झील के किनारे सिरोही के महाराजा की कलात्मक व शानदार छतरियां हैं. मुख्य मंदिर के मंडप में अठारह स्तंभ है. मंडप में नृत्य की मुद्रा में पत्थर की 12 मूर्तियां हैं. मुख्य मंदिर के सामने चंदवा में नंदी की दो मूर्तियां हैं और पास में एक त्रिशूल है. मंदिर के पास बैजनाथ महादेव का मंदिर है. मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्तियां भी हैं, जिनमें 108 शिवलिंग है.

रुद्रमाल के शिवलिंग को यहां किया है स्थापित मंदिर का इतिहास गौरवशाली रहा है.  1298 ईस्वी में दिल्ली के शक्तिशाली सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने सोलंकी साम्राज्य को समाप्त कर सिद्धपुर स्थित सोलंकी सम्राटों द्वारा सात मंजिला विशाल रूद्रमाल के मंदिर को ध्वस्त किया. इसमें स्थापित शिवलिंग को हाथी के पैर के पीछे घसीटता हुआ खिलजी दिल्ली जा रहा था.

सिरोही के महाराव विजयराज को इस बात की सूचना मिलने पर उन्होंने अपने भतीजे जालोर के कान्हडदेव सोनीगरा व अपने समधी मेवाड़ के महाराणा रतन सिंह को पत्र भेजकर बुलाया. सिरोही, जालोर और मेवाड़ की राजपूत सेनाओं ने मिलकर खिलजी का पीछा कर भीषण युद्ध में जीत हासिल की. दीपावली के दिन युद्ध में जीत के बाद सिरोही नरेश महाराव विजयराज ने खिलजी की सेना से रूद्रमाल के शिवलिंग को हासिल कर उसे सिरणवा पहाड़ पर स्थापित किया.


Location :

Sirohi,Rajasthan

First Published :

February 26, 2025, 14:32 IST

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गुजरात के रुद्रमाल से मुगल सेना लूट कर ले जा रही थी ये शिवलिंग, जानें फिर…

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