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मेहंदी से ठीक होता पीलिया और अल्सर? यह फैशन के लिए नहीं, इस काम के लिए होती थी इस्तेमाल!

जिस तरह हर शादी मेहंदी रात के बिना अधूरी है, उसी तरह हर त्योहार मेहंदी के बिना अधूरा है. करवाचौथ पर हर सुहागन बहुत शौक से अपने सजना के नाम की मेहंदी लगवाती है. मेहंदी 16 श्रृंगार में आती है इसलिए इसे सुहाग की निशानी माना जाता है. मेहंदी केवल महिलाएं ही नहीं पुरुष भी लगाते हैं. हिंदुओं के अलावा मुस्लिम समाज में भी मेहंदी लगाने का रिवाज है. विदेशों में मेहंदी हिना के नाम से जानी जाती है जिससे कई विदेशी टैटू भी बनवाते हैं. मेहंदी लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है. इसका इस्तेमाल जितना सजने-संवरने के लिए किया जाता है, उतना ही इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में भी होता है.

डैंड्रफ को करें साफआयुर्वेदाचार्य एस कटियार कहते हैं कि मेहंदी में एंटी फंगल गुण होते हैं जो कई तरह की दिक्कतों को दूर करते हैं. मेहंदी लगाने से स्कैल्प की त्वचा से रूसी दूर होती है. अगर किसी के स्कैल्प में सूजन, खुजली और रैशेज हैं तो मेहंदी फायदेमंद है. इससे ठंडक मिलती है और त्वचा का पीएच लेवल भी बैलेंस रहता है. लेकिन बाजार में बिकने वाली पैकेट बंद मेहंदी से बचना चाहिए क्योंकि उसमें केमिकल होते हैं. हमेशा मेहंदी के पेड़ से पत्ते तोड़कर ही इस्तेमाल करें.        

प्रेशर अल्सर को किया कमप्रेशर अल्सर जिसे बेडसोर भी कहते हैं, इसमें बेड पर लंबे समय तक लेटे हुए स्किन पर इतना दबाव पड़ता है कि स्किन और टिश्यू डैमेज होने लगते हैं. यह हड्डी वाले भाग पर ज्यादा होता है जैसे पीठ, हिप्स, टखने और एड़ियां. अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में ईरान के इस्फहान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस की स्टडी रिपोर्ट छपी. इस स्टडी में मेहंदी को प्रेशर अल्सर के लिए फायदेमंद बताया. मेहंदी को लॉसोनिया पौधा (Lawsonia plant) भी कहा जाता है. क्लिनिकल ट्रायल में प्रेशर अल्सर के मरीजों को हर दिन मेहंदी में डिस्टिल्ड वॉटर मिलाकर लगाया गया. कुछ दिन में अल्सर से प्रभावित भाग ठीक होने लगा. 


मेहंदी के फूल और पत्ते परफ्यूम बनाने के लिए इस्तेमाल होते हैं (Image-Canva)

पीलिया और डायरिया होता ठीक?साइंस डायरेक्ट के अनुसार मेहंदी की जड़ जिसे अल्कन्ना टिनक्टोरिया (Alkanna tinctoria) कहते हैं, उसका कई हजार साल से पीलिया ठीक करने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. इसके अलावा इसकी जड़ गंदे पानी से होने वाली बीमारी डायरिया को भी ठीक करती है. दुनिया के कई देशों में इसकी जड़ से लिवर से जुड़ी बीमारियों का इलाज होता आया है.       

सिरदर्द और जलन करें दूरमेहंदी ठंडी होती है इसलिए अगर कोई जल जाए तो मेहंदी तुरंत फायदा करती है. इसके अलावा सनबर्न और सिरदर्द में भी तुरंत राहत मिलती है. मेंहदी शरीर की अतिरिक्त गर्मी को दूर करती है इसलिए जो महिलाएं मेनोपॉज से गुजरती हैं और उन्हें हॉट फ्लैशेज परेशान कर रहे होते हैं यानी शरीर में से अचानक गर्मी महसूस होती है, बहुत पसीने आते हैं तो उन्हें सिर में मेहंदी लगानी चाहिए. मेहंदी से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है.

मेहंदी से बनता इत्र, रंगे जाते कपड़ेमेहंदी में नेचुरल लाल रंग होता है. दरअसल मेहंदी की पत्तियों में लॉसोन नाम का केमिकल होता है जो नेचुरल डाई होती है. जब यह त्वचा, बालों और नाखूनों में मौजूद कैराटिन के साथ रिएक्ट करता है जो लाल रंग छोड़ देता है. मेहंदी से ऊन, सिल्क और लेदर को कलर किया जाता है. इससे यह प्रीजर्व भी रहते हैं. मेहंदी का इस्तेमाल इत्र बनाने के लिए भी किया जाता है. ऐसा प्राचीन मिस्र से हो रहा है.   


विदेशों में मेहंदी से टैटू लगाए जाते हैं (Image-Canva)

 किसने की मेहंदी की खोज?ब्रिटेन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के अनुसार मेहंदी की खोज किसी चरवाहे ने की थी. जब उसकी बकरी ने मेहंदी की पत्तियां खाईं तो उसका मुंह लाल हो गया. ऐसे में चरवाहे को लगा कि बकरी को चोट लग गई है. मेहंदी का इस्तेमाल खाड़ी के देशों में सबसे पहले हुआ क्योंकि वहां गर्मी खूब होती है. चूंकि मेहंदी ठंडक देती है इसलिए इसका पेस्ट पैरों और सिर में लगाना शुरू हुआ. मेहंदी उसी तरह की ठंडक देती हैं जैसे गीला तौलिया असर करता है. धीरे-धीरे मेहंदी फैशन और आर्ट का हिस्सा बन गई.  

प्राचीन मिस्र में रंगी जाती मम्मीमेहंदी का सबसे पहले इस्तेमाल प्राचीन मिस्र में मिलता है. मम्मी में इसका रंग मिला है. वहां मम्मी को मेहंदी के पेस्ट से लपेटा जाता था. वहां के लोग मेहंदी को स्प्रिचुएलिटी से जोड़ते थे. मेहंदी में मौजूद लॉसोन स्किन को मजबूत और गलने से बचाता है. कुछ मम्मी के बालों को भी मेहंदी से रंगा जाता था. प्राचीन मिस्र में मेहंदी को रिंगवर्म के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था.     

मेहंदी कब फैशन से जुड़ी?लगभग 2 हजार साल पहले उत्तरी अफ्रीका की पुनिक सभ्यता में मेहंदी को फैशन के तौर पर इस्तेमाल करने के सबूत मिले हैं. कांस्य युग में भी महिलाएं खुद को मेहंदी से सजाती थीं. शरीर पर इससे टैटू बनाती थीं. इतिहासकार मानते हैं कि भारत में मेहंदी को 1526 के आसपास मुगल अपने साथ लाए. मुगलकाल में महिला और पुरुष बहुत शौक से मेहंदी को सिर, पैरों और हाथों में लगाते थे. धीरे-धीरे इसे लगाने का फैशन पूरे भारत में फैल गया.

Tags: Beauty treatments, Global disease, Hair Beauty tips, Health, Karwachauth 2020, Middle east

FIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 12:51 IST

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