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मानसिक थकान, तनाव को दूर करती है आयुर्वेद की ये क्षीरधारा, सेहत के लिए रामबाण

Last Updated:March 15, 2025, 00:17 IST

ksheerdhara ayurveda : इस थेरेपी का इस्तेमाल ऐसे मरीजों पर किया जाता है जो तनाव, चिंता, डिप्रेशन, अनिद्रा, मस्तिष्क संबंधी विकार, बालों का झड़ना और सिर की त्वचा संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैंं. X
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शरीर के कई रोगों के लिए वरदान से कम नहीं है आयुर्वेद की यह क्षीरधारा

सहारनपुर. दिन प्रतिदिन हमारा खानपान बिगड़ता जा रहा है, जिस कारण से शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां पनपने लगी हैं. उन बीमारियों से बचने के लिए लोग अंग्रेजी दवाइयों का सहारा लेते हैं, जबकि आयुर्वेद इन रोगों से मुक्ति दिलाने में आगे हैं. पंचकर्म चिकित्सा पद्धति क्षीरधारा शरीर के विभिन्न रोगों को खत्म करने का काम करती है. क्षीरधारा आयुर्वेद में एक चिकित्सीय प्रक्रिया है जिसमें चेतना की स्थिति उत्पन्न करने और मनो-शारीरिक संतुलन को बढ़ावा देने के लिए औषधीय दूध या अन्य तरल पदार्थ को माथे पर डाला जाता है. इस चिकित्सा का उद्देश्य शरीर के टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालना और मानसिक थकान, तनाव और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करना है.

दिल्ली की चीज सहारनपुर में

क्षीरधारा का उपयोग विभिन्न न्यूरोलॉजिकल, त्वचा, बाल और मनोवैज्ञानिक स्थितियों के उपचार में किया जाता है. ये न केवल एक उपचार है, बल्कि तनाव, खराब नींद और परिश्रम जैसे पर्यावरणीय कारकों के लिए एक कायाकल्प चिकित्सा भी है. इस चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल हमारे बड़े बुजुर्ग किया करते थे लेकिन आज की पीढ़ी इन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों को भूलती जा रही है. मानव शरीर में कुछ भी प्रॉब्लम होने पर अंग्रेजी दवाइयों का सहारा लेती है जिनके फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते हैं. क्षीरधारा कई हजार रुपये में लोग करने के लिए दिल्ली जाते हैं लेकिन सहारनपुर में ये मात्र 1000 रुपये में आयास आयुर्वेदिक चिकित्सालय पर की जा रही है.

कई रोगों के लिए वरदान

आयास आयुर्वेदिक चिकित्सालय के डॉ. हर्ष लोकल 18 से कहते हैं कि क्षीरधारा मतलब धार बनाकर दूध को डालना. क्षीरधारा एक ऐसी थेरेपी है जिसमें दूध की धारा बनाकर इंसान के शरीर पर डाला जाता है. क्षीरधारा दो प्रकार की होती है एक तो माथे पर शिरोधारा की तरहा में क्षीरधारा का इस्तेमाल किया जाता है. दूसरा सर्वांग धारा के रूप में पूरे शरीर पर एक धार के रूप में व्यक्ति के शरीर पर डाला जाता है. क्षीरधारा में इस्तेमाल किए जाने वाला नॉर्मल दूध नहीं होता है. इस दूध को जड़ी बूटियां से निकलकर प्रोसेस कर तैयार किया जाता है. गाय के दूध में इन जड़ी बूटियों को मिलाया जाता है और मरीज के ऊपर धार बनाकर डाला जाता है. इस थेरेपी का इस्तेमाल ऐसे मरीजों के ऊपर किया जाता है जो तनाव और चिंता, डिप्रेशन, अनिद्रा, मस्तिष्क संबंधी विकार, बालों का झड़ना और सिर की त्वचा संबंधी समस्याएं, त्वचा संबंधी समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन, कमजोर प्रतिरक्षा में किया जाता है.


Location :

Saharanpur,Uttar Pradesh

First Published :

March 15, 2025, 00:17 IST

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