Milk used to flow from the umbrella made by the wife of this Maharaja of Bikaner, its traces are visible even today – News18 हिंदी
निखिल स्वामी/बीकानेर:- बीकानेर अपनी कला संस्कृति और हवेलियों से पूरी दुनिया में जाना जाता है. यहां इनके अलावा सागर की छतरिया भी हैं, जो बीकानेर की पहचान बनी हुई हैं. इन छतरियों को देखने के लिए देश और विदेश से लोग आते हैं. यहां एक ऐसी छतरी है, जो सबसे अलग और अनोखी है. हम सागर की छतरियों में से एक महाराजा गंगा सिंह की धर्मपत्नी बल्लभ कुंवर जी की छतरी की बात कर रहे हैं. इस छतरी से पहले दूध निकलता था, लेकिन अब नहीं निकलता है. ऐसे में इस छतरी पर दूध की धार के निशान आज भी देखे जा सकते हैं.
अंत्येष्टि के बाद होता है छतरी का निर्माण
बीकानेर रियासत के राजपरिवार सदस्यों के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में देवीकुंड सागर की पहचान है. इस मोक्ष धाम में राज परिवार के किसी भी सदस्य के निधन के बाद उनकी अंत्येष्टि यहीं की जाती रही है. अंत्येष्टि के बाद उसी स्थान पर एक छतरी का निर्माण करवाया जाता है. पिछले तीन दशक से बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक इन छतरियों को देखने के लिए आते हैं. साथ ही दूध वाली छतरी को लेकर भी पर्यटकों में उत्सुकता देखने को मिलती है.
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महाराजा गंगा सिंह की पत्नी का है ये छतरी
मोक्षधाम से जुड़े जयकिशन पुरोहित ने लोकल 18 को बताया कि महाराजा गंगा सिंह की पत्नी बल्लभ कुंवर का निधन 19 अगस्त 1906 को हुआ. उनके बुजुर्गों ने यहां से दूध को टपकते हुए अपनी आंखों से देखा है और अब यहां इसके निशान हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं. वे बताते हैं कि महारानी बल्लभ कुंवर की संतान का जन्म होने के बाद उनका निधन जल्दी हो गया और महारानी उन्हें दूध नहीं पिला पाई.
निश्चित रूप से इस बात का कोई ऐतिहासिक और वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. लेकिन यह सच है कि इस मोक्षधाम में जितने भी संगमरमर और मुगलकालीन छतरियां हैं, उनमें से केवल एक ही ऐसी छतरी है, जहां दूध टपकने की बात सामने आई है. यहां इस तरीके गुंबद से लेकर नीचे तक मटमैला सफेद तरल पदार्थ टपकता रहा है और इसके निशान आज भी यहां कायम हैं. कई बार धीरे-धीरे रिसाव के रूप में यह नजर आताबीकानेर के इस छतरी से निकलता था दूध, महाराजा की धर्मपत्नी का हुआ था अंतिम संस्कार, क्या है इसकी कहानी
है.
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FIRST PUBLISHED : April 20, 2024, 16:57 IST