Millions Of Fish Are Being Stolen Daily From Bisalpur Dam – बीसलपुर बांध से रोजाना लाखों की मछलियां हो रही चोरी

अजमेर संभाग के सबसे बड़े बीसलपुर बांध (Bisalpur Dam) में मत्स्याखेट का मामला डेढ़ वर्ष से हाईकोर्ट (High Court) में विचाराधीन है। इसके चलते कोई नया ठेका (new contract) जारी नहीं हुआ है। इसके बावजूद बीसलपुर बांध में मछलियों की संख्या कम हो रही है। मत्स्य विभाग (fisheries department) की अनदेखी के चलते बांध के जलभराव क्षेत्र में शिकारियों की ओर से रोजाना सैकड़ों अवैध नावों (illegal boats) का संचालन कर लाखों की मछलियां पार (stealing fish) की जा रही है।
राजमहल। अजमेर संभाग के सबसे बड़े बीसलपुर बांध (Bisalpur Dam) में मत्स्याखेट का मामला डेढ़ वर्ष से हाईकोर्ट (High Court) में विचाराधीन है। इसके चलते कोई नया ठेका (new contract) जारी नहीं हुआ है। इसके बावजूद बीसलपुर बांध में मछलियों की संख्या कम हो रही है। मत्स्य विभाग (fisheries department) की अनदेखी के चलते बांध के जलभराव क्षेत्र में शिकारियों की ओर से रोजाना सैकड़ों अवैध नावों (illegal boats) का संचालन कर लाखों की मछलियां पार (stealing fish) की जा रही है। बांध से चोरी कर निकाली जा रही यह मछलियां निकटवर्ती गांव व कस्बों सहित कोटा, अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, टोंक सहित दिल्ली तक परिवहन कर बेची जा रही हैं।
जानकारी अनुसार पूर्व में बांध का मछली टेंडर राशि लगभग ६ करोड़ रुपए सालाना थी, जिसमें प्रति वर्ष राशि बढ़ाकर संवेदक को बांध आवंटन करना था, लेकिन संवेदक व विभाग के बीच मामला हाईकोर्ट में विचाराधिन होने के बाद ३१ मार्च २०२१ को विभाग ने नए टेंडर जारी कर दिए, जिसमें नए संवेदक की ओर से अंतिम राशि डेढ़ करोड़ रुपए घटाकर ४.५० करोड़ लगाए गए। फिर भी मामला हाईकोर्ट में होने से बांध तक तक नए संवेदक को आंवटन नहीं से विभाग को यह राशि भी नहीं मिल पाई है। दूसरी ओर विभाग की लापरवाही के चलते बांध के जलभराव में रोजाना सैकड़ों अवैध नावें चलने से बांध के जलभराव से मछलियां चोरी होने के कारण पानी में मछलियों की संख्या भी दिनोंदिन घटती जा रही है। विभागीय नियमानुसार १५ जून से सभी नदी, नालों, बांधों व तालाबों में मछली शिकार पर रोक लग जाएगी, जो आगामी १५ अगस्त तक जारी रहेगी। दूसरी ओर से बांध की मछलियों पर धणी धोरी के अभाव में धड़ल्ले से चोरी हो रही है।
यहां चल रही अवैध नावें
मत्स्य विभाग की अनदेखी के चलते बांध के जलभराव में पडऩे वाले नासिरदा, छातड़ी, नेगडिया, नापा का खेड़ा, पाडलिया, रावता, रघुनाथपुरा, थड़ोली, डाबर, बोरड़ा गणेश मंदिर के करीब आदि जगहों पर शिकारियों की सैकड़ों अवैध नावें संचालित होने से लाखों की मछलियां चोरी हो रही है, जिससे सरकार व संवेदक को रोजाना लाखों का नुकसान हो रहा है।
पानी की सतह पर आ जाती है मछलियां
गर्मी के दौरान मछलियां किनारे व सतह पर आ जाती हैं, ऐसे में मछली शिकार करने वाले जाल लगा कर छोड़ देते हैं। एक बार लगाए गए जाल में कई मण मछलियां आ जाती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि विभाग की ओर से जिले के बाजारों में बिक रही मछलियों के बारे में पड़ताल तक नहीं की गई की यह मछलियां कहा से आ रही हैं। ऐसे में मिलीभगत की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
लॉकडाउन में पनपे छोटे शिकारी
बीसलपुर बांध में मछली शिकार पर रोक के लिए पांच जिलों की मत्स्य टीम व एक मत्स्य टीम प्रभारी लगा रखा है। फिर भी बांध में मछली का अवैध शिकार लगातार जारी है। हालांकि कोरोना को लेकर लगे लॉकडाउन के दौरान बड़े शिकारी जो यहां से चोरी की मछली निकालकर दिल्ली, जयपुर, कोटा आदि मछली मंडियों तक पहुंचाने वाले शिकारी मंडियां बंद होने के कारण चोरी के करोबार को कम मात्रा में कर रहे थे, जो वापस अनलॉक होने के साथ ही सक्रिय हो गये हैं।
इन प्रजाति की मछलियां मिलती है बांध में
बीसलपुर बांध में पानी की आवक का मुख्य स्रोत बनास नदी होने व बनास में बजरी की मात्रा अधिक होने से पानी साफ रहने के चलते यहां की मछलियां अन्य बांधों व तालाबों की मछली से अधिक स्वाद के कारण दूर दराज की मंडियों में मांग अधिक होने से कीमत भी अधिक मिलती है, जिससे चोरों की निगाहों पर बीसलपुर बांध अधिक रहता है। बांध में कतला, रऊ, लैची, सिंघाड़ा, सांवल, ग्रासकर, बाम, कुर्सा, बाटा पुट्टी आदि प्रजाति की मछलिया पाई जाती है। जिनमें सिंघाड़ा, लैची, बाम आदि मछलियां दिल्ली मंडी में ३०० से ४०० रुपए प्रति किलो तक व अन्य मछलिया १५० से २०० रुपए प्रति किलो तक बिक जाती हैं।
इनका कहना है-
बांध में अवैध मछली शिकार पर बराबर गश्त की जा रही है। फिर भी जलभराव क्षेत्र काफी बड़ा होने से मछली शिकार करने वाले कर्मचारियों की नजरों से बच जाते है। बांध के बड़े अवैध शिकारियों पर कार्रवाई के लिए पुलिस जाप्ते के सहयोग के लिए जिला कलेक्टर से भी गुहार लगाई गई है। जल्द ही बांध के मछली मफिया पर कार्रवाई की जाएगी।
राकेश देव मत्स्य विकास अधिकारी टोंक।
—
अभी तक किसी ने भी समस्या से अवगत नहीं कराया है। अगर अवगत करवाया गया तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
चिन्मयी गोपाल, जिला कलेक्टर, टोंक