Miracle : छाती की हड्डी काटे बिना जांघ के रास्ते दिल तक पहुंचाया वॉल्व, जोधपुर एम्स के डॉक्टर बने देवदूत
जोधपुर. मेडिकल साइंस ने फिर चमत्कार किया. डॉक्टर फिर देवदूत बने. इस बार बात जोधपुर एम्स की. यहां डॉक्टरों की टीम ने हार्ट का एक असंभव सा लगने वाला ऑपरेशन किया. मरीज की उम्र और तमाम बीमारियां होने के कारण हार्ट की बिना चीर फाड़ किए ये ऑपरेशन किया गया. मरीज अब स्वस्थ है.
चिकित्सा क्षेत्र में आधुनिक सुविधाओं से युक्त जोधपुर एम्स के अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने फिर एक कमाल किया. एक नया इतिहास कायम किया है. टीएवीआई तकनीक का इस्तेमाल कर दिल के एक मरीज को नयी जिंदगी दी.
डॉक्टरों का कमालउम्र ज्यादा होने के कारण मरीज ने इस बीमारी के उम्मीद ही छोड दी थी कि उसका कभी हार्ट का ऑपरेशन हो पाएगा. मगर कार्डियोथोरेसिक और वैस्क्युलर सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक कुमार शर्मा और उनकी टीम ने यह संभव कर दिखाया. आज मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है. दावा किया जा रहा है कि इस तरह का ऑपरेशन देश के सभी एम्स में से जोधपुर में पहली बार किया गया है.
ट्रांसकैथेटर आर्टिक वॉल्व इम्प्लांटेशनजोधपुर एम्स के कार्डियो थोरेसिक और वेस्क्युलर सर्जरी विभाग ने टीएवीआई यानि ट्रांसकैथेटर आर्टिक वॉल्व इम्प्लांटेशन से ऑपरेशन किया है. इस ऑपरेशन में डॉक्टरों ने मरीज की छाती की हड्डी को बिना काटे जांघ की एक वेन के रास्ते वाल्व को हार्ट तक पहुंचाया है. कार्डियोथोरेसिक और वैस्क्युलर सर्जरी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक कुमार शर्मा के निर्देशन में उनकी टीम ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया है.
यह थी परेशानी ऐसे पहुंचाई राहतएम्स जोधपुर के कार्डियोथोरेसिक स्पेशलिस्ट डॉ सुरेन्द्र पटेल ने बताया कि मरीज की उम्र 69 वर्ष है. वो कई महीनों से सांस लेने में कठिनाई, पैरों में सूजन, कमजोरी, घबराहट और जल्द थकान महसूस कर रहा था. इसी के इलाज के लिए वो एम्स आया था. मरीज तो कोरोनरी धमनियों की बीमारी थी साथ में डायबिटीज, मोटापा, किडनी फेलियर और छाती संक्रमण जैसी समस्याओं के बीच हृदय को खोलकर पारंपरिक तरीके से सर्जरी करने में रिस्क अधिक था.
एक महीने चला इलाजकार्डियोलॉजी और एनेस्थीसिया एंड क्रिटिकल केयर विभाग के सहयोग से निर्णय कर ट्रांसकैथेटर आॉर्टिक वॉल्व लगाने का निर्णय लिया. एक महीने तक मरीज को हृदय को शिथिलता देने वाली दवाएं दी गयीं. उसके बाद टावी प्रक्रिया अपनाने का फैसला किया गया. मरीज की छाती की हड्डी काटे बिना जांघ की वेन से वॉल्व को हार्ट तक पहुंचाया गया. काम सफल रहा. मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है. परिवार वाले डॉक्टरों का आभार मानते नहीं थक रहे.
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FIRST PUBLISHED : May 10, 2024, 14:16 IST