Miraculous Temple: रोगियों के लिए संजीवनी है यहां का भभूत, लगाने से छूटती है सब बीमारी, भर्तृहरि धाम का अनूठा चमत्कार

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 19, 2025, 10:10 IST
Miraculous Temple: अपनी तपस्या और लगन से संत ऐसी अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं जो सामान्य लोगों के लिए चमत्कार बनकर सामने दिखता है. संत भर्तृहरि धाम, जयपुर से 60 किमी दूर सुखालपुरा गांव में स्थित है. यह संत भर्…और पढ़ेंX
संत भर्तृहरि धाम की मूर्ति
हाइलाइट्स
जयपुर से 60 किमी दूर स्थित है संत भर्तृहरि धामयहां पूजा कर कष्टों से मुक्ति पाते हैं भक्तसम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई थे संत भर्तृहरि
जयपुर. संतों का जीवन और उनकी तपोभूमि आज भी लोगों के लिए आस्था का पवित्र केंद्र मानी जाती है. यहां बने मंदिर और आश्रम में लोग पूजा-अर्चना करते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही तपोभूमि के बारे में बताएंगे जिसे संत भर्तृहरि धाम के नाम से जाना जाता है. संत भर्तृहरि राजस्थान के प्रमुख संतों में से एक थे. इस कारण उनकी तपोस्थली को पवित्र मानकर बड़ी संख्या में भक्त यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं.
भभूत से ठीक होते हैं जानवरजयपुर से 60 किलोमीटर दूर सांभर रोड पर स्थित सुखालपुरा गांव में प्रसिद्ध संत भर्तृहरि धाम है. ग्रामीण बताते हैं कि एक समय संत भर्तृहरि ने सुखालपुरा के पास के जंगलों में तपस्या की थी. तब से लेकर आज तक इस जगह को पवित्र धाम के रूप में पूजा जाता है. यहां गुरु पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में भक्त आते हैं और संत भर्तृहरि को याद करते हैं. इस धाम पर किसानों की भी मान्यता है. किसान यहां से भभूत ले जाते हैं और अपने बीमार पशुओं को खिलाते हैं, जिससे वे चमत्कारी रूप से ठीक हो जाते हैं.
चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है भर्तृहरि धामग्रामीण बताते हैं कि सुखालपुरा गांव के उत्तर दिशा में स्थित भर्तृहरि धाम धार्मिक दृष्टि से प्रसिद्ध है. यहां सुबह-शाम आरती होती है और पूर्णिमा के दिन जागरण भी होता है. यहां पर भक्तों के कष्ट भी दूर होते हैं. फुलेरा से आए भक्त कैलाश शर्मा ने बताया कि उनके ऊपर 10 लाख का कर्जा हो गया था. उन्होंने इस धाम में आकर पूजा की और मन्नत मांगी. इसके बाद उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगे और उनका काम चलने लगा. कुछ ही दिनों में उन्होंने 10 लाख का कर्जा उतार दिया. अब वे जब भी फ्री होते हैं, यहां आ जाते हैं. कैलाश शर्मा का कहना है कि भर्तृहरि धाम में आने से चमत्कारी रूप से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं.
कौन थे संत भर्तृहरिसंत भर्तृहरि सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई थे. वे संस्कृत के महान कवि और नीतिकार थे. उन्होंने गुरु गोरखनाथ के शिष्य बनकर वैराग्य धारण कर लिया था, इसलिए उन्हें बाबा भर्तृहरि के नाम से जाना जाता है. भर्तृहरि ने चाणक्य और विदुर की तरह नीति वाक्य लिखे थे. उनकी रचनाओं का अध्ययन विभिन्न भारतीय दार्शनिक परंपराओं में किया गया है.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan
First Published :
February 19, 2025, 10:10 IST
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अरे बाप ये कैसा चमत्कार, इस मंदिर का भभूत लगाने से नहीं होती है बीमारी