miraculous temple of brother and sister here fifth form of Lord Shiva is seated in black and white form

Last Updated:March 17, 2025, 12:42 IST
सीकर के हर्ष पर्वत पर जीण माता और हर्ष भैरव का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में भैरव दो रूप में विराजमान हैं, जिनमें एक काले और दूसरे गोरे भैरव हैं. खास बात यह है कि मंदिर की स्थापना के समय इन दोनों भैरव की कृष्ण…और पढ़ेंX
हर्ष भैरव मंदिर
हाइलाइट्स
हर्ष पर्वत पर जीण माता और हर्ष भैरव का प्राचीन मंदिर है.मंदिर में काले और गोरे भैरव की पूजा होती है.जीण माता और हर्ष भैरव की एक साथ पूजा होती है.
सीकर:- सीकर जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर हर्ष पर्वत पर भाई और बहन का बेहद प्राचीन मंदिर मौजूद है. इस मंदिर में बहन जीण माता और भाई हर्ष भैरव की एक साथ पूजा होती है. यह अनोखा मंदिर 1300 फिट की ऊंचाई पर स्थित है. इसकी स्थापना 1046 में चौहान राजा सिंह राज ने की थी. इस मंदिर में एक साथ तीन मूर्तियों को स्थापित किया गया था. यहां पर काले और गोरे भैरव की पूजा होती है.
जीण चालीसा में लिखी कथा के अनुसार, जब पहले भाभी के सिर से पानी का पात्र उतारने से नाराज बहन जीण तपस्या में बैठ गई थी. इस पर हर्ष ने उन्हें मनाने की कोशिश की. नहीं मानने पर हर्ष खुद भी पर्वत पर गुफा में तप करने लगे. तपस्या से जीण माता को दुर्गा का दर्जा मिला और हर्ष शंकर भगवान के रुद्र रूप भैरव बने. उन्हीं हर्ष की याद में उसी तपस्या वाली गुफा में इस मंदिर की नींव रखी गई.
कृष्णा और शुक्ल पक्ष में अलग-अलग मूर्ति की पूजाइस मंदिर में भैरव दो रूप में विराजमान हैं, जिनमें एक काले और दूसरे गोरे भैरव हैं. खास बात यह है कि मंदिर की स्थापना के समय इन दोनों भैरव की कृष्ण और शुक्ल पक्ष के हिसाब से पूजा होती है. 15 दिन के कृष्ण पक्ष में काले भैरव और शुक्ल पक्ष के 15 दिनों में गोरे भैरव को पूजा होती है. यह मंदिर हर्ष पर्वत पर गुफा में मौजूद है. यह वही जगह है, जहां हर्ष द्वारा तपस्या कर भैरूत्व प्राप्त किया गया था.
10 किमी दूर है जीण धाम हर्ष पर्वत के अलावा भैरव मंदिर से 10 किलोमीटर दूर पहाड़ की तलहटी में शक्तिपीठ जीण माता का मुख्य मंदिर मौजूद है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त जीण माता मंदिर में आता है, वह हर्ष भैरव के मंदिर में जरूर जाता है, तभी भक्त की मनोकामना पूरी होती है. इन दोनों मंदिरों में बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए पूजा भी करती हैं.
Location :
Sikar,Rajasthan
First Published :
March 17, 2025, 12:42 IST
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