मिथुन चक्रवर्ती-धर्मेंद्र की वो फिल्म, डकैत बनकर लूटी महफिल, करोड़ों लोगों ने गुनगुनाया गाना, 90% नहीं जानते मतलब – dharmendra mithun chakraborty starer ghulami film famous song zihale e miskin mukun baranjish movie turn hit 90 percent people do not know its meaning

Last Updated:November 11, 2025, 20:15 IST
Dharmendra Mithun Chakraborty Movie : बॉलीवुड सुपरस्टार धर्मेंद्र ने कुछ ऐसी फिल्में भी की हैं जो भारतीय समाज की कड़वी सच्चाई को बयां करती हैं. 1985 में धर्मेंद्र की एक ऐसी ही फिल्म रिलीज हुई थी जिसमें उन्होंने जाति व्यवस्था, ऊंच-नीच की सच्चाई को पर्दे पर बखूबी उतारा था. फिल्म में कई सीन दर्शकों को ताली बजाने पर मजबूर कर गए थे. यह मूवी बॉक्स ऑफिस पर भी हिट रही थी. धर्मेंद्र ने इस फिल्म में फ्री में काम किया था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस फिल्म में एक गाना ऐसा था जिसे आज भी करोड़ों लोग गुनगुनाते हैं लेकिन असल में इसका मतलब नहीं जानते. 
सुपरस्टार धर्मेंद्र की सबसे बड़ी पहचान ‘शोले’ फिल्म से बनी. इस फिल्म नें उन्होंने डाकू गब्बर सिंह से मुकाबला किया. शोले फिल्म के रिलीज होने के 10 साल धर्मेंद्र ने एक ऐसी फिल्म में काम किया, जिसमें वह डाकू के रोल में नजर आए थे. फिल्म में डाकू के रोल में धर्मेंद्र ने महफिल लूट ली थी. इस फिल्म का नाम ‘गुलामी’ था जिसका डायरेक्शन जेपी दत्ता ने किया था. धर्मेंद्र का किरदार असल जिंदगी में कई लोगों की जिंदगी से प्रेरित था. फिल्म भारतीय समाज में व्याप्त कास्ट सिस्टम को प्रमुखता से दिखाती है. धर्मेंद्र के साथ मिथुन चक्रवर्ती के काम की भी तारीफ की गई थी. आइये ‘गुलामी’ फिल्म से जुड़े दिलचस्प तथ्य जान लेते हैं……..

28 जून 1985 को रिलीज हुई गुलामी मूवी एक एक्शन ड्रामा फिल्म थी जिसमें धर्मेंद्र-मिथुन चक्रवर्ती के अलावा मजहर खान, कुलभूषण खरबंदा, रजा मुराद, रीना रॉय, स्मिता पाटिल, अनीता राज, नसीरुद्दीन शाह, और ओम पुरी अहम भूमिकाओं में नजर आए थे. अमिताभ बच्चन ने फिल्म की स्टोरी नैरेट की थी. फिल्म की शूटिंग फतेहपुर राजस्थान में हुई थी. म्यूजिक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था. गीत गुलजार ने लिखे थे.

फिल्म की कहानी जेपी दत्ता ने अपने पिता ओपी दत्ता के साथ लिखी थी. ओपी दत्ता एक फिल्म मेकर और राइटर थे. फिल्म को<br />हबीब नाडियाडवाला और फारुक नाडियाडवाला ने प्रोड्यूस किया था.

बताया जाता है कि राजस्थान में एक डाकू था जिसके पास ब्रिटिश राइटर मैक्सिम गोर्की की एक पुस्तक ‘मदर’ की एक कॉपी होती थी. गुलामी मूवी में धर्मेंद्र के हाथों में यही बुक होती है. फिल्म में एक सीन है जिसमें वह डाकू बने सुरेंद्र पाल को यह किताब देते हैं. धर्मेंद्र किताब का नाम ‘मदर’ भी बताते हैं.

गुलामी फिल्म में स्मिता पाटिल, धर्मेंद्र और रीना रॉय के बीच लव ट्रायंगल भी दिखाया गया है. धर्मेंद्र से दोनों हीरोइन प्यार करती हैं. हालांकि धर्मेंद्र रीना रॉय से प्यार करते हैं और शादी भी करते हैं. रीना रॉय और स्मिता पाटिल के बीच के सीन की बहुत तारीफ हुई थी.

फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती की एंट्री तब होती है जब धर्मेंद्र दुश्मनों से घिरे होते हैं. वो धर्मेंद्र की मदद करते हैं. इस फिल्म से मिथुन चक्रवर्ती का एक डायलॉग ‘कोई शक’ बहुत फेमस हुआ था. बाद में यह डायलॉग उनकी स्थायी तौर पर पहचान बन गया. फिल्म में एक गाना ‘मेरे पीके पवन किस गली ले चली’ बार-बार सुनने को मिलता है. यह गाना कई हिस्सों में था. म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को लगता था कि यही गाना मकबूल होगा लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा.

फिल्म का एक और गाना ‘‘जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश, बेहाल-ए-हिजरा बेचारा दिल है. सुनाई देती है जिसकी धड़कन, तुम्हारा दिल या हमारा दिल है….’ आज भी हमें रेडियो, टीवी, रील्स में सुनाई देता है. यह खूबसूरत गाना गुलजार ने लिखा था. लाखों संगीत प्रेमी इस गाने के गुनगुनाते हैं. यह गाना दिल को छू जाता है लेकिन एक सच यह भी है कि 90 फीसदी लोग इसका अर्थ नहीं जानते.

गुलजार ने यह खूबसूरत गाना लिखा था. गाने की शुरू की लाइन अमीर खुसरो की एक प्रसिद्ध रचना से इंस्पायर्ड है. उन्होंने फारसी और बृजभाषा को मिलाकर कुछ पंक्तियां लिखी थीं : ‘ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,दुराये नैना बनाये बतियां कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऐ जान, न लेहो काहे लगाये छतियां.’ मुझ गरीब की हालत से बेखबर मत बन. आंखे चुराते हो और बाते बनाते हो. जुदाई का तपन सहने की ताकत मुझमें नहीं है. मुझे अपने सीने से क्यों नहीं लगा लेते.’

गाने को लता मंगेशकर-शब्बीर कुमार ने गाया था. यह सदाबहार गाना आज भी करोड़ों लोगों के दिल में धड़कन की धड़कता है. गाने के जितने सुंदर बोल हैं, उससे कहीं ज्यादा इसका अर्थ है. उससे भी सुंदर इसका फिल्मांकन किया गया है.

गुलामी मूवी में धर्मेंद्र ने फीस नहीं ली थी. इसका किस्सा भी बहुत ही दिलचस्प है. दरअसल, फिल्म की शूटिंग के दौरान प्रोड्यूसर हबीब नाडियाडवाला और फारुक नाडियाडवाला के पिता की अब्दुल करीम नाडियाडवाला की मौत हो गई. दोनों भाई पैसे की तंगी में आ गए. किसी तरह से 3 लाख रुपये का इंतजाम किया लेकिन ये पैसे नाकाफी थे. धर्मेंद्र को जब यह पता चला तो उन्होंने फिल्म में पैसा लगाने के लिए हामी भर दी. इस तरह से आखिरी 22 दिन की शूटिंग का पैसा धर्मेंद्र ने दिया. मिथुन ने अपने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया था. 1985 में आई गुलामी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया. यह एक हिट फिल्म साबित हुई.
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November 11, 2025, 20:15 IST
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मिथुन चक्रवर्ती-धर्मेंद्र की वो फिल्म, डकैत बनकर लूटी महफिल



