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Mohini Ekadashi 2025: कब है मोहिनी एकादशी? जानें सही डेट, पूजन विधि और इसका महत्व

Last Updated:May 07, 2025, 12:00 IST

Mohini Ekadashi Vrat 2025: मोहिनी एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत विशेष है. यह व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित है. यह पर्व 8 मई को मनाया जाएगा. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि यह व्…और पढ़ेंX
मोहिनी
मोहिनी एकादशी व्रत से मोहजाल और पाप दोनों दूर होते हैं

हाइलाइट्स

मोहिनी एकादशी 8 मई 2025 को मनाई जाएगी.यह व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित है.व्रत से सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

जयपुर. इस बार की 8 मई को आने वाली वैशाख शुक्ल एकादशी बहुत विशेष होने वाली है, क्योंकि इस दिन पूजा और व्रत से कई लाभ मिलेंगे. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि इस बार आने वाले मोहिनी एकादशी व्रत से मोहजाल और पाप दोनों दूर होंगे. उन्होंने बताया कि भगवान श्रीरामचंद्रजी ने इस व्रत को सीताजी की खोज करते समय किया था. वर्तमान समय में भी सनातन धर्मावलम्बी इस व्रत को बड़ी श्रद्धा से करते हैं. इस व्रत को महिला, बुजुर्ग, बच्चे और युवा सभी कर सकते हैं. शुद्ध मन से इस व्रत को करने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है.

जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने वाला है यह व्रत

धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि मोहिनी एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत विशेष है. यह व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित है. उन्होंने बताया कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत न केवल आत्मशुद्धि का साधन है, बल्कि इसे करने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और सामाजिक प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है और तुलसी तथा पीपल के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है. व्रत में सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है तथा तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित होता है. हिंदू शास्त्रों में इस व्रत को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने वाला बताया गया है.

कैसे करें ये व्रत

धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि मोहिनी एकादशी का व्रत वाले दिन सुबह जल्दी स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर पूजा करें. एक दिन पहले दशमी तिथि की रात्रि में सात्विक भोजन करना चाहिए. एकादशी के दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए उपवास रखें, केवल फलाहार कर सकते हैं. दिनभर विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें. रात में भजन-कीर्तन करें और जरूरतमंद को भोजन कराकर स्वयं भोजन करें. इस व्रत से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Location :

Jaipur,Rajasthan

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कब है मोहिनी एकादशी? जानिए पूजन विधि और इसका महत्व

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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