more than 90 percent or less than 10, it will be under suspicion | मतदान 90 प्रतिशत से अधिक हो या दस से कम, संदेह के घेरे में आएगा

जयपुरPublished: Oct 27, 2023 04:19:31 pm
चुनाव के दौरान क्रिटिकल बूथ घोषित करने का एकमात्र कारण यह नहीं कि यहां बूथ कैप्चरिंग हुई थी या झगड़ा हुए थे। इसके पीछे उनसभी घटनाक्रम को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है, जो अप्रत्याशित रहती है। मसलन, बूथ पर 90 प्रतिशत से अधिक पोलिंग होने पर आयोग सतर्क हो जाता है। यही नहीं दस प्रतिशत से कम पोलिंग होना ही संदेह पैदा करता है।
मतदान की तैयारियां- उदयपुर के गांधी ग्राउंड के भंडारी दर्शक मंडप में मतदान दलों के लिए मतदान काम आने वाली सामग्री का किट तैयार करते कर्मचारी।
जयपुर. अप्रत्याशित रूप से अधिक व कम पोलिंग के साथ यह भी ध्यान रखा जाता है कि किसी एक के पक्ष में अत्यधिक वोट तो नहीं पड़े हैं। बूथ पर किसी एक ही प्रत्याशी के पक्ष में 75 प्रतिशत से अधिक वोट पड़ने पर उस बूथ को निगरानी की श्रेणी में लिया जाता है। अधिक पोलिंग को लेकर इसबार 1015 बूथों को निगरानी में रखने का निर्णय लिया है। इनमें से सबसे अधिक बूथ बाड़मेर में 128 व जैसलमेर 113 हैं। हालांकि क्षेत्र के लोग इसके पीछे एक कारण यह भी बताते हैं कि यहां बूथों पर अपेक्षाकृत कम वोटर होते हैं। इस कारण कुछ बूथों पर पोलिंग प्रतिशत अधिक रहता है। ऐसे बूथों की सबसे कम संख्या श्रीगंगानगर में मात्र एक है।
दस प्रतिशत से कम पोलिंग वाले बूथ सबसे अधिक धौलपुर है। यहां तीन बूथ ऐसे हैं, जहां गत चुनावों में कोई वोट डालने ही नहीं आया। चुनाव आयोग ने इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हुए, जिसके विरोध में लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया था। इसको देखते हुए चुनाव आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को इस बार निर्देश दिए हैं कि कहीं इस तरह की बात अभी सामने आ रही है तो उसके निस्तारण के प्रयास किए जाएं। आयोग ने इस बार अत्यधिक मतदान का उद्देश्य रखा है।