भारत में लंग कैंसर के ज्यादातर मरीज नॉन स्मोकर्स ! फिर क्यों हो रही जानलेवा बीमारी? जानें 5 बड़ी वजह

Lung Cancer Risk Factors: स्मोकिंग को फेफड़ों के कैंसर यानी लंग कैंसर की सबसे बड़ी वजह माना जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स लोगों को स्मोकिंग से बचने की सलाह देते हैं, ताकि उनके लंग्स को लंबी उम्र तक बीमारियों से बचाया जा सके. हालांकि एक हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि भारत में लंग कैंसर के अधिकतर मरीज नॉन स्मोकर्स हैं और उन्होंने कभी स्मोकिंग नहीं की थी. भारत में तेजी से नॉन स्मोकर्स लंग कैंसर का शिकार हो रहे हैं. अब सवाल है कि आखिर इसकी वजह क्या है? किन वजहों से नॉन स्मोकर्स लंग कैंसर हो सकता है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
नई दिल्ली के साकेत स्थित डॉक्टर मंत्री रेस्पिरेटरी क्लीनिक के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. भगवान मंत्री ने को बताया कि स्मोकिंग लंग कैंसर का सबसे बड़ा फैक्टर है, लेकिन आजकल हवा जहरीली हो गई है और लोगों के शरीर में जहरीले तत्व सांस के जरिए पहुंच रहे हैं. लोग भले ही स्मोकिंग न करें, लेकिन हवा के जरिए सबके अंदर स्मोक जा रहा है. दिल्ली-एनसीआर समेत अधिकतर मेट्रो सिटीज में एयर पॉल्यूशन से बुरा हाल है, जिसकी वजह से लोग स्मोकिंग न करने के बावजूद लंग कैंसर का शिकार हो रहे हैं. हालांकि नॉन स्मोकर्स में फैमिली हिस्ट्री, रेस्पिरेटरी डिजीज और उम्र समेत कई फैक्टर्स फेफड़ों के कैंसर की वजह बन सकते हैं. महिलाओं की तुलना में लंग कैंसर का खतरा पुरुषों को ज्यादा होता है.
पल्मोनोलॉजिस्ट ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर 3 तरह के होते हैं. पहला स्क्वैमस सेल लंग कार्सिनोमा, दूसरा स्मॉल सेल लंग कैंसर और तीसरा कैंसर एडेनोकार्सिनोमा होता है. एडेनोकार्सिनोमा लंग कैंसर का एक टाइप है, जो नॉन स्मोकर्स को सबसे ज्यादा होता है. राहत की बात यह है कि इस कैंसर का अच्छा ट्रीटमेंट उपलब्ध है और सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो मौत का खतरा काफी कम हो सकता है. टारगेट थेरेपी से एडेनोकार्सिनोमा का ट्रीटमेंट किया जा सकता है. बाकी दो तरह के लंग कैंसर तेजी से फैलते हैं और इनमें मौत का खतरा ज्यादा होता है. हालांकि इलाज इनका भी उपलब्ध है.
डॉक्टर भगवान मंत्री ने बताया कि स्मोकिंग के अलावा एयर पॉल्यूशन, लंग कैंसर की फैमिली हिस्ट्री, रेस्पिरेटरी डिजीज और ओल्ड एज लंग कैंसर के 5 बड़े रिस्क फैक्टर्स होते हैं. लंग कैंसर से बचने के लिए लोगों को समय-समय पर इसकी स्क्रीनिंग करानी चाहिए. जिन लोगों को इसका रिस्क ज्यादा होता है, उन्हें डॉक्टर लो डोज सीटी स्कैन (LDTC) कराने की सलाह देते हैं, क्योंकि इस स्क्रीनिंग के जरिए अर्ली स्टेज में लंग कैंसर की पहचान की जा सकती है. जो लोग हेल्दी होते हैं, उन्हें 3-5 साल में एक बार यह स्कैन करवाना चाहिए, लेकिन स्मोकर्स यह टेस्ट डॉक्टर की सलाह पर हर साल भी करवा सकते हैं.
यह भी पढ़ें- बरसात में फ्लू से बचाएंगी ये 5 चीजें, सर्दी-जुकाम का खतरा होगा कम, दूर हो जाएगी गले की खिचखिच
Tags: Health, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : July 13, 2024, 13:14 IST