पति के लिए नहीं…यहां देवर के लिए हो गई थी भाभी सती, बड़ी रोचक है कहानी…

कृष्ण कुमार/ नागौर. राजस्थान के सुनहरे इतिहास में सती प्रथा का वर्णन किया गया है. राजतंत्र के समय सती प्रथा होती थी. सती प्रथा का अर्थ है कि यदि किसी महिला के पति की मृत्यु युद्ध में लड़ते हुऐ हो जाती थी या किसी अकालवश हो जाती थी तो महिला द्वारा पति के साथ अपने प्राणों की आहुति दे दी जाती थी. लेकिन आज आपको राजस्थान की एक ऐसी घटना के बारे में बताएगे जो महिला का स्वाभिमान का वर्णन करता है. दरअसल हम सबने पढ़ा या सुना होगा कि महिला पहले सती होती थी लेकिन नागौर के आकला गांव में एक ऐसी घटना घटित हुई की देवर ने भाभी की डाकुओं से रक्षा करते हुऐ अपने प्राणों की आहुति दे दी तो भाभी ने देवर के लिए अपने प्राणों को न्यौंछावर कर दिया.
क्यों हुई देवर के पीछे भाभी सती
गांव के लोगों का कहना हैं कि आज से 500 वर्ष पूर्व की यह घटना है. दरअसल हुआ यूं कि देवर द्वारा भाभी को पीहर पाबूमण से ससुराल तातंवास लेकर आ रहे थे. तब आकला गांव के पास डाकुओं द्वारा देवर भाभी को लुटने की कोशिश की गई. तब देवर के द्वारा भाभी की रक्षा करते हुऐ अपने प्राणों की आहुति दे दी. लेकिन डाकुओं से विनित करने के बाद भी डाकुओं ने देवर की हत्या कर दी तो भाभी ने अपने स्वाभामिन और देवर के ऊपर कलंक ना लगे. इसके लिए आकला गांव में ही देवर की चिंता को आग देकर स्वयं गांव वालों से लकड़ी मांगकर चिता पर बैठ गई और भगवान का नाम लेने पर अग्नि पक्रट हुई भाभी देवर के पीछे सती हो गई. वर्तमान समय में भाभी को सती माता के रुप में पूजा जाता है.
क्यों पूजा जाता है क्या है मान्यता
ग्रामीण मदनलाल बताते हैं कि अपने स्वाभिमान की रक्षा करते हुऐ सती हो गई बाद में यहां पर ग्रामीणों ने मिलकर चबूतरा बना दिया. धीरे धीरे यहां पर पूजा होने लगी ऐसा मानते है कि यह एक दैवीय शक्ति है. वही इनके यहां परिक्रमा देने वाले व्यक्ति के शरीर पर हुऐ मस्से ठीक हो जाते है.सती माता के प्रसाद के रुप में बुआरी, झाड़ू औरओना चढ़ाया जाता है.
यह खबर स्थानीय लोगों की मान्यताओं पर आधारित है, न्यूज-18 इसकी पुष्टि नहीं करता है.
.
FIRST PUBLISHED : August 08, 2023, 18:22 IST