Mothra old fashioned lehariya has again become reverse in saree markets, it is prepared in Surat – Jaipur, first choice of 70% women, it is in demand in the month of Saavan.
मोहित शर्मा/ करौली:- हिंदू धर्म में सावन का महीना ऐसा है, जिसमें महिलाओं की साड़ी का डिजाइन और रंग दोनों बदल जाते हैं. सावन के इस महीने में ज्यादातर महिलाएं बजाय अन्य साड़ियों के, लहरिया साड़ी पहनना सबसे ज्यादा पसंद करती हैं. इस महीने में लहरिया का चलन कुछ ऐसा है कि इसे पहने बगैर महिलाएं सावन के उल्लास को अधूरा सा मानती हैं. सावन में लहरिया पहनने का धार्मिक महत्व भी हिंदू धर्म के अंदर बताया गया है. यहीं वजह है कि सावन की शुरुआत होने से पहले ही देशभर के साड़ी बाजार लहरियों से सज जाते हैं.
वैसे तो सावन के महीने में महिलाओं के लिए एक से बढ़कर एक लहरिया बाजारों में उपलब्ध रहते हैं. लेकिन आज हम आपको सावन महीने में एक लहरिया साड़ी की डिमांड बाजारों में सबसे ज्यादा रहती है. आज उसी के बारे में बताने जा रहे हैं. इस खास वैरायटी के लहरिया का चलन पुराने जमाने से लेकर आज के नए जमाने तक बरकरार है. इसकी मांग भी इसकी खास खासियत के चलते बाजारों में नाम से रहती है. इसके कपड़े और आकर्षक डिजाइन को नए जमाने के डिजाइनदार लहरिया भी मात नहीं दे पाए हैं. सावन के महीने में बिकने वाला यही वह लहरिया है, जिसे साड़ी व्यापारी और महिलाएं दोनों सबसे बढ़िया होने के साथ नंबर – वन बताते हैं. इसका नाम मोठड़ा लहरियां है, जिसे हैवी और महंगे लहरियों में सबसे ऊपर रखा जाता है.
काफी पुराना है इसका चलनसाड़ी व्यापारी पंकज गुप्ता लोकल 18 को बताते हैं कि इस मोठड़ा लहरिया का चलन तो काफी पुराना है. लेकिन यह एक बार फिर से बाजारों में वापस आ चुका है. वापसी के साथ ही यह और भी ज्यादा चलन में आ गया है. इस खास लहरिया में कलर भी दो-तीन आते हैं और रानी कलर इसका मेन कलर है. साड़ी व्यापारी बताते हैं कि इसमें रेंज भी काफी आती है. यह खास लहरिया 300 रुपए से शुरू होकर 4000 रुपए तक आता है.
तीन कपड़ों में आता है यह लहरियासावन महीने में सबसे ज्यादा बिकने वाला यह लहरिया साड़ी बाजार में दो प्रकार के कपड़ों में आता है. इसका एक कपड़ा शिफॉन और दूसरा कपड़ा जॉर्जेट का है. इस लहरिया पर वर्क भी आता है. साड़ी व्यापारी Local 18 को बताते हैं कि रक्षाबंधन पर निभाई जाने वाली सोगी की रस्म में खासतौर से इस लहरिया में गोटा वर्क यानी जयपुरी वर्क का रहता हैं. यह गोटा वर्क वाला मोठड़ा लहरिया बनता भी जयपुर में है. लेकिन इसी मोठाड़ा लहरिया में डेली के हिसाब से महिलाएं सबसे ज्यादा शिफॉन और जॉर्जेट का लहरिया पहनती हैं. इन दोनों कपड़ों में भी रानी कलर के लहरिया की मांग सबसे ज्यादा रहती है.
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70% महिलाएं करती हैं पसंदसाड़ी व्यापारी बताते हैं कि पुराने जमाने से ही यह लहरिया मोठड़ा लहरिया के नाम से प्रसिद्ध है. आज भी महिलाएं इस लहरिया को मोठड़ा लहरिया के नाम से ही बाजरों में खरीदती हैं. व्यापारियों का कहना है कि इस लहरिया की सेल इसके नाम से ही होती है. साड़ी व्यापारियों के मुताबिक, यह खास और नंबर वन लहरिया बाजारों में सूरत से आता है. वहीं पर ये कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है और मोठड़ा लहरिया में जो वर्क वाला गोटा लहरिया आता है, वह जयपुर में तैयार किया जाता है. इस मोठड़ा लहरिया में प्लेन लहरिया की कीमत 300 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक रहती है. 3000 से लेकर 4000 रुपए तक की रेंज जयपुर के गोटा वाले लहरिया की रहती है.
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FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 10:22 IST