MUDA Scam: पूरी दाल ही काली निकली, गलत तरीके से अलॉट किए 700 करोड़ के 1095 लैंड, सिद्धारमैया की पत्नी पर शिकंजा

नई दिल्ली/बेंगलुरु. मैसुरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमयूडीए) स्कैम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. ईडी को इस मामले में ऐसे सूबत मिले हैं, जिससे साबित होता है कि एमयूडीए की तरफ से पार्वती को 14 लैंड अलॉट करने के मामले में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि इस मामले में पूरी दाल ही काली है.
संघीय एजेंसी ने हाल में कर्नाटक लोकायुक्त विभाग को भेजे गए एक पत्र में यह भी दावा किया कि उसकी जांच में यह भी पता चला है कि एमयूडीए ने बेनामी और अन्य ऐसे लेनदेन में कुल 1,095 जमीन के टुकड़ों को ‘अवैध रूप से’ आवंटित किया है, जिनका बाजार मूल्य 700 करोड़ रुपए से अधिक है.
राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में ईडी की मनीलॉन्ड्रिंग जांच के दौरान पार्वती को लैंड अलॉटमेंट में ‘कानून दिशा-निर्देशों के उल्लंघन’ व सबूतों से ‘छेड़छाड़’, कार्यालय प्रक्रियाओं का उल्लंघन, ‘अनुचित’ पक्षपात और प्रभाव का इस्तेमाल और सिग्नेचर में ‘जालसाजी’ के सबूत मिले हैं.
एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि उसे इस बात के सबूत मिले हैं कि सिद्धरमैया के निजी सहायकों में से एक एस. जी. दिनेश कुमार उर्फ सीटी कुमार ने इस प्रक्रिया में ‘अनुचित प्रभाव’ डाला था. पीटीआई को जांच रिपोर्ट तक मिली पहुंच और आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्वती मामले के साथ ही एमयूडीए में कथित अवैध गतिविधियां समाप्त नहीं हुईं, बल्कि कुल 1,095 भूखंड अवैध रूप से आवंटित किए गए हैं जिनका बाजार मूल्य 700 करोड़ रुपये है.
ईडी की जांच में पाया गया, “अधिकांश आवंटन भूमि गंवाने वालों की आड़ में बेनामी या फर्जी व्यक्तियों के नाम पर किए गए हैं. इन अवैध आवंटनों के लाभार्थी रियल एस्टेट व्यवसायी और प्रभावशाली व्यक्ति हैं.” ईडी सिद्धरमैया, पार्वती, मुख्यमंत्री के साले मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू व अन्य के खिलाफ मनीलॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है. देवराजू वह शख्स है जिससे मल्लिकार्जुन ने ज़मीन खरीदकर पार्वती को गिफ्ट में दी थी.
ईडी कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस की एफआईआर पर संज्ञान लेकर जांच कर रही है. ईडी ने मनीलॉन्ड्रिंग प्रीवेंशन एक्ट (पीएमएलए) के तहत हाल में भेजे गए पत्र में लोकायुक्त को सूचित किया है कि यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि वैधानिक दिशानिर्देशों का ‘उल्लंघन’ करते हुए पार्वती को ‘अवैध रूप से’ 14 भूखंड आवंटित किए गए. ईडी ने कहा कि जब पार्वती को ये भूखंड आवंटित किए गए थे तब उनके बेटे यतीन्द्र वरुणा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक थे और इसलिए एमयूडीए बोर्ड के सदस्य थे. सिद्धरमैया तब विपक्ष के नेता थे.
ईडी ने दावा किया है कि जांच में पाया गया कि मुख्यमंत्री के निजी सहायक एसजी दिनेश कुमार उर्फ सीटी कुमार ने एमयूडीए के कार्यालय में ‘अनुचित’ प्रभाव डाला. ईडी ने पाया कि उन्होंने ‘जाली’ हस्ताक्षर भी किए और पार्वती को भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया को ‘प्रभावित’ किया.
केंद्रीय एंजेंसी ने कहा कि उक्त भूखंडों को ‘गलत’ तथ्यों और ‘प्रभाव’ के आधार पर ‘अवैध रूप से’ गैर-अधिसूचित किया गया था और बाद में भूमि को मल्लिकार्जुन स्वामी ने कृषि भूमि के रूप में खरीदा था जबकि भूमि पर एमयूडीए पहले ही कुछ निर्माण करा चुका था और देवराजू द्वारा स्वामी को भूमि बेचने से पहले ही जमीन आवंटित की गई थी.
एजेंसी ने कहा कि हर्जाने के तौर पर भूखंडों का आवंटन करने के लिए वैधानिक नियमों का उल्लंघन (पार्वती से जुड़ी) एक बार की घटना नहीं थी, बल्कि इसमें रियल स्टेट कारोबारियों, प्रभावशाली व्यक्तियों और एमयूडीए के अधिकारियों की बीच गहरा गठजोड़ है. इस मामले में मुख्यमंत्री से लोकायुक्त पूछताछ कर चुका है. सिद्धरमैया ने कहा है कि उन्होंने और उनके परिवार ने कुछ भी गलत नहीं किया है. उनका कहना है कि आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं, क्योंकि विपक्ष उनसे डरा हुआ है.
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FIRST PUBLISHED : December 4, 2024, 04:01 IST