हत्या, जेल, महाभियोग और घोटाले… मुश्किलों भरा रहा है दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपतियों का इतिहास
Troubled History of South Korean Presidents: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार को देश में मार्शल लॉ लगाने के छह घंटों बाद ही इसे हटाने का ऐलान भी कर दिया. लेकिन इससे उनकी गद्दी पर संकट आ गया है. जनता के भारी विरोध के बाद विपक्ष ने उनके खिलाफ महाभियोग यानी इंपीचमेंट मोशन पेश किया है. महाभियोग का मामला चलने के बाद उनकी सत्ता जाने का रास्ता साफ हो जाएगा. हैरानी वाली बात है कि अपने इस फैसले के पीछे यून सुक योल ने विपक्ष को सत्ता-विरोधी ताकत और लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया था. हालांकि उनके मार्शल लॉ के ऐलान ने सिर्फ विपक्ष ही नहीं, बल्कि देश के सभी सांसदों को एकजुट कर दिया, जिन्होंने संसद में साथ आकर राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ एकजुटता दिखाई.
विपक्षी पार्टियां शनिवार को संसद में मतदान की मांग कर रही हैं, जिससे दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति का महाभियोग हो सकता है. संसद को शनिवार तक इस बात पर मतदान करेगी कि राष्ट्पति यून सुक योल पर महाभियोग लगाया जाए या नहीं. डेमोक्रेटिक पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य किम योंग-जिन ने कहा, “हम अब लोकतंत्र को ध्वस्त नहीं होने दे सकते. लोगों के जीवन और सुरक्षा की रक्षा की जानी चाहिए. हम यून पर देशद्रोही होने का आरोप लगाना चाहते हैं.”
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पहले भी आए हैं ऐसे मौकेविपक्षी पार्टियां यून सुक योल के इस निर्णय को ‘असंवैधानिक, विद्रोह या तख्तापलट’ कह रहे हैं. यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि यह कट्टरपंथी नेता इस हालात का कैसे सामना करेगा. केवल उनका इस्तीफा ही उन्हें पद से हटाए जाने से रोकने का एकमात्र संभव उपाय लगता है. जिससे वह दक्षिण कोरिया के लोकतांत्रिक परिवर्तन के बाद से पद से हटाए जाने वाले दूसरे राष्ट्रपति बन सकते हैं. लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब कोरिया ने किसी नेता का ऐसा हाल होते देखा है.
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पार्क ग्यून-हे: महाभियोग और जेलदक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति पर दिसंबर 2016 में संसद द्वारा महाभियोग लगाया गया और बाद में जेल भेजा गया. पूर्व तानाशाह पाक चुंग-ही की बेटी पार्क 2013 से पद पर थीं और उन्होंने खुद को भ्रष्टाचार से मुक्त नेता के रूप में पेश किया था. हालांकि, उन पर इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज सैमसंग सहित कई कंपनियों से करोड़ों डॉलर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया था.उनके खिलाफ यह भी आरोप थे कि उन्होंने गोपनीय दस्तावेज साझा किए, अपनी नीतियों की आलोचना करने वाले कलाकारों को ‘ब्लैकलिस्ट’ किया और अपने विरोधी अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया.
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मार्च 2017 में वहां के सुप्रीम कोर्ट यानी संवैधानिक न्यायालय ने उनके महाभियोग की पुष्टि की. उन्हें 2021 में 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई और भारी जुर्माना लगाया गया. लेकिन उसी साल के अंत में, उनके उत्तराधिकारी राष्ट्रपति मून जे-इन ने उन्हें माफी दे दी. मौजूदा वर्तमान राष्ट्रपति यून उस समय सियोल में एक वकील थे और उन्होंने पार्क की बर्खास्तगी और जेल भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
ली म्युंग-बक: 15 साल की जेलपार्क के पूर्ववर्ती ली, 2008 से 2013 तक सत्ता में थे. उन्हें अक्टूबर 2018 में भ्रष्टाचार के आरोप में 15 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. उन्हें सैमसंग से लगभग 10 मिलियन डॉलर की अवैध धनराशि लेने का दोषी पाया गया था. इस रिश्वत के बदले में उन्होंने सैमसंग के तत्कालीन अध्यक्ष ली कुन-ही को टैक्स चोरी के आरोपों से बचाने में मदद की थी. हालांकि, उनकी जेल की सजा को कम कर दिया गया था. उन्हें दिसंबर 2022 में राष्ट्रपति यून से माफी मिल गई.
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रोह मू-ह्यून: आत्महत्यारोह 2003 से 2008 तक राष्ट्रपति रहे और वह उत्तर कोरिया के साथ मेल-मिलाप के प्रबल समर्थक माने जाते थे. रोह ने 2009 में एक चट्टान से कूदकर अपनी जान दे दी. रिपोर्टों के अनुसार, उन पर एक धनी जूता निर्माता से छह मिलियन डॉलर की रिश्वत लेने का आरोप था, जो उनकी पत्नी और उनकी एक भतीजी के पति को दी गई थी.
चुन डू-ह्वान: जन विरोध के बाद रिटायरव्यापक विरोध के जवाब में सैन्य नेता चुन डू-ह्वान ने 1987 में इस्तीफा दे दिया. उन्हें दक्षिणी शहर में अपने खिलाफ विद्रोह को कुचलने के लिए ‘ग्वांगजू का कसाई’ कहा जाता था. उन्होंने सत्ता रोह ताए-वू को सौंप दी, जिन्हें वह दशकों से जानते थे. रोह ताए-वू कोरियाई युद्ध के दौरान सैन्य अकादमी में उनके सहपाठी थे. लेकिन हिंसा और भ्रष्टाचार ने उनकी विरासत को धूमिल कर दिया. चून को 1980 में ग्वांगजू विद्रोह और अन्य अपराधों के लिए शुरू में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में उनकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया. दूसरी ओर, रोह को 22.5 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में घटाकर 17 साल कर दिया गया. इसके बावजूद दोनों को 1998 में केवल दो साल जेल में बिताने के बाद माफी दे दी गई.
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पार्क चुंग-ही: हत्यादक्षिण कोरिया के तानाशाह, पार्क चुंग-ही की 26 अक्टूबर, 1979 को उनके अपने जासूस प्रमुख द्वारा एक निजी डिनर के दौरान हत्या कर दी गई थी. कई लोग सवाल उठाते हैं कि क्या हत्या पूर्व नियोजित थी. उनकी मौत के बाद, सेना के जनरलों चून डू-ह्वान और रोह ताए-वू ने दिसंबर 1979 में तख्तापलट की योजना बनाई, जिससे देश और अधिक राजनीतिक उथल-पुथल में फंस गया. ये घटनाएं लंबे समय से दक्षिण कोरिया में बहस का विषय रही हैं.
यून पो-सन: तख्तापलट1961 में, राष्ट्रपति यून पो-सन को सेना के अधिकारी पार्क चुंग-ही द्वारा आयोजित एक सैन्य तख्तापलट में अपदस्थ कर दिया गया था. हालांकि यून को शुरू में पद पर बने रहने की अनुमति दी गई थी, लेकिन पार्क ने प्रभावी रूप से सरकार का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया. बाद में पार्क ने 1963 का चुनाव जीतकर अपने को मजबूत किया और अंततः यून की जगह राष्ट्रपति बने.
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सिंगमन री: इस्तीफादक्षिण कोरिया के पहले राष्ट्रपति, सिंगमन री 1948 में चुने गए थे. हालांकि, 1960 में बड़े पैमाने पर छात्रों के विद्रोह ने उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. उनके कार्यकाल को बढ़ाने के लिए धांधली वाले चुनावों का उपयोग करने के प्रयास ने विरोध प्रदर्शनों को भड़काया. इस्तीफे के बाद, री को हवाई द्वीप निर्वासित कर दिया गया, जहां 1965 में उनकी मौत हो गई.
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FIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 20:11 IST