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muscle building supplements and steroids in gym damage hip in young age : जिम में स्टेरॉयड्स और सप्लीमेंट्स से युवाओं में हिप डैमेज का खतरा, डॉक्टर्स ने दी चेतावनी

Last Updated:May 13, 2025, 09:02 IST

Gym Supplements & Hip Damage: जिम में युवा बॉडी बनाने के चक्कर में जाते हैं, लेकिन अपने हिप्स को नुकसान पहुंचा लेते हैं. डॉक्टर्स ने युवाओं को जिम के दौरान स्टेरॉयड और सप्लीमेंट्स न लेने की चेतावनी दी है.जिम में जाकर कभी न करें यह गलती, हिप करती है डैमेज, डॉक्टर्स ने दी चेतावनी

स्टेरॉयड्स लेने से कूल्हे की हड्डियों में ब्लड फ्लो कम हो जाता है.

हाइलाइट्स

जिम में स्टेरॉयड्स और सप्लीमेंट्स से हिप्स को नुकसान हो सकता है.डॉक्टर्स के मुताबिक 20 से 30 की उम्र में हिप समस्याएं बढ़ रही हैं.स्टेरॉयड्स के दुरुपयोग से हड्डियों का ब्लड फ्लो प्रभावित होता है.

Hip Damage in Gym: अधिकतर युवाओं का सपना बेहतरीन बॉडी बनाने का होता है. इसके लिए वे जिम जॉइन करते हैं और वहां जमकर स्टेरॉयड्स और सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देते हैं. इससे उनकी बॉडी बन जाती है, लेकिन सेहत के लिए इतने खतरे पैदा हो जाते हैं कि वे सोच भी नहीं सकते हैं. हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में ऑर्थोपेडिक डॉक्टर्स ने कई चौंकाने वाली बातें बताई हैं, जो जिम करने वालों को जान लेनी चाहिए. डॉक्टर्स ने बताया है कि जिम में स्टेरॉयड्स और अनअप्रूव्ड सप्लीमेंट्स लेने से 20-25 की उम्र में ही कूल्हे (Hip) से जुड़ी समस्याएं पैदा हो रही हैं, जो जिंदगीभर परेशान कर सकती हैं.

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट्स ने बताया है कि जिम में बॉडी बनाने के चक्कर में युवा कूल्हे की समस्याओं का शिकार हो रहे हैं. 20 से 30 वर्ष की उम्र के जिम जाने वाले युवा स्टेरॉयड्स और सप्लीमेंट्स लेने से एवस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) और हिप डीजेनेरेशन जैसी गंभीर कंडीशंस की चपेट में आ रहे हैं. पहले ये समस्याएं बुजुर्गों में होती थीं, लेकिन अब कम उम्र के युवा भी इन जिंदगीभर की मुसीबतों को मोल ले रहे हैं. इस बीमारी में कूल्हे की हड्डी तक ब्लड फ्लो रुक जाता है, जिससे हड्डी धीरे-धीरे मरने लगती है. इसके कारण हिप डीजेनेरेशन शुरू हो जाता है.

मैक्स हॉस्पिटल के सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. एल तोमर ने कॉन्फ्रेंस में बताया कि उनकी ओपीडी में हर हफ्ते 2-3 युवा मरीज ऐसे आते हैं, जिन्हें लंबे समय से कूल्हे में दर्द है. जांच करने पर यह पाया गया कि 70% मामलों में उन्होंने एनाबॉलिक स्टेरॉइड्स का उपयोग किया होता है या खराब क्वालिटी के प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन किया गया होता है. युवाओं में तेजी से बॉडी बनाने की चाह में ये चीजें खूब बिक रही हैं, लेकिन बिना जानकारी और मेडिकल सलाह के इनका उपयोग बेहद खतरनाक है.

महाराष्ट्र फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने हाल ही में राज्य स्तर पर जांच शुरू की, जिसमें पाया गया कि कई प्रोटीन सप्लीमेंट ब्रांड्स में बिना अनुमति के परफॉर्मेंस-एनहांसिंग स्टेरॉइड्स मिलाए जा रहे हैं. ये प्रोडक्ट आसानी से जिम में या ऑनलाइन उपलब्ध हैं और किसी प्रमाणन या मेडिकल निगरानी के बिना बिक रहे हैं. भारत में इस तरह के प्रोडक्ट्स का अवैध बाजार बहुत बड़ा बन चुका है, जो युवाओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है.

स्टेरॉइड्स के दुरुपयोग से सीधे हड्डियों का ब्लड फ्लो प्रभावित होता है. खासतौर से कूल्हे की हड्डी इससे सबसे पहले प्रभावित होती है. मरीज को पहले दर्द और अकड़न महसूस होती है, फिर लंगड़ाने लगता है और आखिर में हड्डी पूरी तरह से बैठ जाती है, जिसके बाद हिप रिप्लेसमेंट जैसे जटिल ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है. एक्सपर्ट्स ने बताया कि AVN एक दर्दनाक परेशानी है. दिल्ली के बड़े अस्पतालों के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 3 साल में AVN के 30% मरीज 35 वर्ष से कम उम्र के थे. इनका इलाज मुश्किल और महंगा होता है और कई मामलों में केवल ऑपरेशन ही विकल्प रह जाता है.

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत में फिटनेस इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ कोई स्पष्ट नियम या जागरूकता नहीं है. युवाओं को लगता है कि ज्यादा बेहतर बॉडी का मतलब अच्छी सेहत है. हालांकि उन्हें यह नहीं बताया जाता कि अंदर ही अंदर उनकी हड्डियां कमजोर होती जा रही हैं. जिम में बेसिक ऑर्थोपेडिक स्क्रीनिंग, सप्लीमेंट्स पर निगरानी और सही जानकारी देने की सख्त जरूरत है. युवाओं को जिम में स्टेरॉयड्स या कोई सप्लीमेंट्स नहीं लेने चाहिए. अगर कोई सप्लीमेंट लेना चाहते हैं, तो पहले डॉक्टर से कंसल्ट करें.

authorimgअमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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