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Mustard Crop Disease Alert and Protection Tips

Last Updated:November 12, 2025, 10:50 IST

Mustard Aphid Control Tips: सरसों की फसल के फूल आने का समय सबसे संवेदनशील होता है. इस दौरान अफीध और फली छेदक जैसे कीटों के साथ सफेद जंग, ब्लाइट और तना गलन जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है. सही पोषण (सल्फर, बोरॉन), कीट नियंत्रण (इमिडाक्लोप्रिड) और खेत में स्वच्छता रखकर किसान 20-30% तक अधिक उपज पा सकते हैं.

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किसानों के लिए अलर्ट! सरसों की फसल पर बढ़ा अफीध और फली छेदक का कहर, तुरंत...Mustard Crop Alert: अफीध और फली छेदक से बचाव के उपाय

Mustard Aphid Control Tips: रबी सीजन की सरसों की फसल अब फूल अवस्था में है, यह वह समय है जब फसल का भविष्य तय होता है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस अवस्था में यदि किसान सही देखभाल करें, तो उपज में 20–30% तक वृद्धि संभव है. बुवाई के लगभग 45–60 दिन बाद सरसों में फूल आने लगते हैं, और इस दौरान तापमान व नमी का संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी होता है. अत्यधिक ठंड, कोहरा या जलभराव फूलों के झड़ने का कारण बन सकते हैं, जिससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है.

इस चरण में पौधों को सल्फर, जिंक और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है. विशेषज्ञों की मानें तो किसान प्रति हेक्टेयर 20–25 किलो सल्फर दें और बोरॉन का 0.2% घोल छिड़कें. सल्फर तेल की मात्रा को बढ़ाता है, जबकि बोरॉन की कमी से फूल झड़ने की समस्या उत्पन्न होती है. इसलिए बोरॉन का छिड़काव फूल झड़ने की समस्या कम करता है और फलियों की संख्या में बढ़ोतरी करता है, जिससे अंततः बेहतर पैदावार मिलती है.

कीटों से सबसे बड़ा खतराइस समय अफीध (Aphid) और फली छेदक (Pod Borer) कीट सरसों के फूलों पर हमला करते हैं. अफीध पौधों का रस चूसते हैं जिससे फूल और कलियाँ सूख जाती हैं, जबकि फली छेदक दानों को नष्ट कर देता है. इनके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड (1 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव लाभकारी है. वहीं फली छेदक से बचाव हेतु स्पिनोसैड 45% SC या क्लोरेंट्रानिलीप्रोल 18.5% SC का छिड़काव करने की सलाह दी गई है. कीटों की पहचान होते ही तुरंत उपचार करना जरूरी है.

इन रोगों से फसल को सबसे अधिक नुकसानसफेद जंग (White Rust): इसमें फूलों और फलियों पर सफेद धब्बे बनते हैं. नियंत्रण के लिए मैनकोजेब या रिडोमिल गोल्ड (0.25%) का छिड़काव करें. आल्टरनेरिया ब्लाइट (Alternaria Blight): इसमें पत्तियों और कलियों पर भूरे धब्बे बनते हैं. इसे क्लोरोथैलोनिल या कार्बेन्डाजिम से नियंत्रित करें. तना गलन (Stem Rot): इसमें पौधों के तनों पर सफेद फफूँदी दिखती है. इस रोग के लिए प्रभावित पौधों को तुरंत उखाड़कर नष्ट करें और खेत से दूर कर दें.

खेत में रखें स्वच्छता और नमी का संतुलनकृषि अधिकारियों ने सलाह दी है कि किसान खेत में उचित नमी बनाए रखें, लेकिन जलभराव से बचें. समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें ताकि हवा का संचार बना रहे और रोगजनक फफूँद विकसित न हो सके. खरपतवारों को हटाना भी ज़रूरी है, क्योंकि वे कीटों को आश्रय देते हैं.

Location :

Udaipur,Udaipur,Rajasthan

First Published :

November 12, 2025, 10:50 IST

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