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सरसों की फसल कटाई जोरों पर, कृषि विभाग ने फाफरी जलाने से किया मना, जानें वजह

Last Updated:March 15, 2025, 11:48 IST

Agriculture News: कृषि पर्यवेक्षक लक्ष्मी नारायण कोली ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से भारी मात्रा में धुआं निकलता है. जो वायुमंडल में प्रदूषण फैलाता है. कई बार किसान एक साथ अपने-अपने खेतों में फाफरी जलाते हैं, जिस…और पढ़ेंX
थ्रेसर
थ्रेसर से किसान निकलवाते हुए सरसों 

पूर्वी राजस्थान में इन दिनों सरसों की कटाई का सीजन अपने चरम पर है. कटाई के बाद खेतों में बचा हुआ कचरा (फाफरी) अक्सर किसान या तो जला देते है. व्यापारियों को बेच देते हैं. हालांकि, कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को ऐसा करने से मना किया है. उनका कहना है कि सरसों की फसल से निकले अवशेष को जलाने से प्रदूषण तो बढ़ता ही है. साथ ही खेतों की उर्वरता भी कम हो जाती है.

कृषि पर्यवेक्षक लक्ष्मी नारायण कोली ने बताया कि किसान फाफरी को जलाने की बजाय उसे जैविक खाद में बदल सकते हैं. इसके लिए किसान फाफरी को एक गड्ढे में डालें और उस पर गोबर डाल दें. कुछ समय बाद यह सड़कर प्राकृतिक खाद बन जाएगी. जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और अगली फसल की पैदावार अच्छी होगी.

फाफरी जलाने से बढ़ता है प्रदूषण और स्वास्थ्य पर पड़ता असरकृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल अवशेष जलाने से भारी मात्रा में धुआं निकलता है. जो वायुमंडल में प्रदूषण फैलाता है. कई बार किसान एक साथ अपने-अपने खेतों में फाफरी जलाते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र की हवा दूषित हो जाती है. यह धुआं आसपास के लोगों के लिए सांस की बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.

कृषि विभाग की किसानों से अपीलकृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे सरसों के अवशेषों को जलाने की बजाय जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया अपनाएं. इससे न केवल उनकी मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी. बल्कि अगली फसल का उत्पादन भी अधिक होगा. किसानों को इस पद्धति को अपनाने की सलाह दी गई है ताकि वे कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें और पर्यावरण को भी सुरक्षित रख सकें.

Location :

Dausa,Rajasthan

First Published :

March 15, 2025, 11:48 IST

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