Rajasthan

मेरा गांव-मेरी मिट्टी : सिर्फ परिंदों के लिए खाली है दो तालाब… जानिए क्यों मेनार गांव को कहा जाता है बर्ड विलेज!

Last Updated:July 25, 2025, 15:53 IST

Udaipur News: उदयपुर का मेनार गांव ऐतिहासिक साहस और पक्षियों के प्रति प्रेम के लिए प्रसिद्ध है. इसे बर्ड विलेज कहा जाता है, जहां धराली और कड़कड़ा तालाब प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित हैं.

हाइलाइट्स

मेनार गांव को ‘बर्ड विलेज’ कहा जाता है.यहां प्रवासी पक्षियों का स्वागत परंपरा है.गांव में जबरा बीज त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है.उदयपुर. लोकल 18 की खास सीरीज मेरा गांव मेरी मिट्टी में आज हम आपको लेकर चलते हैं मेवाड़ के उस गांव में, जिसकी पहचान इतिहास की गहराइयों से लेकर पक्षियों के प्रति उसके प्रेम और विदेशों तक फैली प्रसिद्धि से जुड़ी है. हम बात कर रहे हैं उदयपुर जिले के मेनार गांव की. यह गांव एक ओर जहां अपने ऐतिहासिक साहस के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर इसकी पहचान एक खास नाम से बनी है- बर्ड विलेज.

हर साल सर्दियों में यहां हजारों किलोमीटर दूर से विदेशी पक्षी आते हैं. गांव के दो प्रमुख तालाब धराली और कड़कड़ा पूरी तरह से इन मेहमान पक्षियों के लिए सुरक्षित रखे गए हैं. गांव के लोगों ने खुद निर्णय लिया है कि इन तालाबों के पानी का उपयोग न खेती के लिए होगा और न ही किसी अन्य काम के लिए. सिर्फ इसलिए ताकि पक्षियों को कोई परेशानी न हो. यही दिखाता है कि मेनार के लोग पक्षियों से कितना गहरा लगाव रखते हैं.

पक्षियों के लिए समर्पित गांव, जहां पानी भी उनके नाम
मेनार गांव को बर्ड विलेज कहा जाता है क्योंकि यहां प्रवासी पक्षियों का स्वागत एक परंपरा की तरह होता है. गांववाले उन्हें अपने घर आए मेहमानों की तरह मानते हैं. धराली और कड़कड़ा तालाबों के आसपास इन पक्षियों के लिए पूरी शांति और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया गया है. गांव के लोग इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि कोई शोर या मानवीय हस्तक्षेप इन पक्षियों को परेशान न करे. गांव की यह सोच ही इसे खास बनाती है.

इतिहास की जड़ें और त्योहारों की चमकगांव का इतिहास भी उतना ही गौरवशाली है. एक पुरानी मान्यता के अनुसार, मुगलों की सेना जब इस गांव में पहुंची थी, तो यहां के ब्राह्मणों ने एकजुट होकर उनका डटकर सामना किया और उन्हें खदेड़ दिया. उसी घटना की याद में आज भी जबरा बीज नामक त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन गांव में होली जैसे रंगों की बारिश होती है और दिवाली जैसी रौशनी छा जाती है. यह त्योहार न केवल गांव की एकता का प्रतीक है, बल्कि ऐतिहासिक गौरव की भी याद दिलाता है.

विदेशों में भी चमक रहा गांव का नाममेनार के लोग सिर्फ गांव तक सीमित नहीं हैं. यहां के कई लोग विदेशों में शेफ की नौकरी कर रहे हैं. लेकिन खास बात यह है कि वे अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते. जब भी गांव लौटते हैं, पारंपरिक पहनावा अपनाते हैं और अपने रीति-रिवाजों का पूरी श्रद्धा से पालन करते हैं. यह जुड़ाव उनके भीतर गांव के प्रति भावनात्मक अपनापन दर्शाता है. मेनार गांव एक ऐसा स्थान है जहां इतिहास की शान, प्रकृति का सम्मान और परंपराओं की मिठास एक साथ मिलती है. यही वह खूबी है जो इस गांव को बाकी सबसे अलग और अनमोल बनाती है.

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सिर्फ परिंदों के लिए खाली है 2 तालाब…क्यों इस गांव को कहा जाता है बर्ड विलेज

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