Mysterious tradition of Akshaya Tritiya: Why do all the brothers eat kheech in the same plate for 2 days? Akshaya Kaleva will be prepared in homes

Last Updated:April 30, 2025, 13:38 IST
अक्षय तृतीया पर फलोदी में परिवार के लोग खीच और दही से बने रायते का लुत्फ उठाते हैं. इस दिन विवाह को शुभ माना जाता है और इसे दाम्पत्य जीवन की मजबूती का प्रतीक माना जाता है.X

2 दिन तक एक ही थाल में खाते हैं सभी भाई खीच
जोधपुर. अक्षय तृतीया पर रिश्तों में प्रगाढ़ता की परम्परा का निर्वहन फलोदी में आज भी कायम है. हालांकि, रोजगार की तलाश में फलोदी से बाहर गए परिवार के व्यक्तियों के लिए यह परंपरा निभाना थोड़ा मुश्किल है, फिर भी अधिकांश परिवार के लोग अक्षय तृतीया को घर पहुंचकर एक साथ मिलकर खीच व दही से बने रायते का लुत्फ उठाते है. गौरतलब है कि जिसका कहीं से भी क्षय न हो, उसे अक्षय कहते है और इसी अक्षयता को कायम रखने के लिए अक्षय तृतीया का पर्व अभी भी हमारे परिवार और दाम्पत्य जीवन का आधार स्तंभ बना हुआ है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर होने वाला विवाह सदा अक्षुण रहता है.
अक्षय तृतीया के दिन खीच और दही से बने रायते का स्वाद पूरे परिवार के साथ मिलकर लेने की परंपरा आज भी जीवित है.‘अक्षय’ यानी जिसका कभी क्षय न हो. इसी विचार के साथ अक्षय तृतीया को दाम्पत्य जीवन और पारिवारिक रिश्तों की मजबूती का प्रतीक माना जाता है. इस दिन शादी करने को शुभ माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन हुए विवाह अटूट और सफल रहते हैं. भले ही इस बार अबूझ सावे पर पहले जैसी चहल-पहल नहीं दिखी, लेकिन परिवारों में एक साथ बैठकर एक ही थाली में भोजन करने की परंपरा आज भी कायम है.
अपने जीवन के अनुभवों का साझाकई पारिवारिक सदस्य भले ही बाहर बडे शहरों में जाकर बस गए हो, लेकिन अभी भी वे वहां परदेश में रहकर भी अपनी इस परिवार को अक्षुण रखने की परम्परा का निर्वहन करते है. कई परिवार ऐसे है, जहां सभी भाई एक साथ एक ही स्थान पर एकत्रित होकर एक साथ अक्षय कलेवा का भोजन करते हैं और पूरे दिन एक साथ व्यतीत कर अपने जीवन के अनुभवों का साझा करते है.
Location :
Jodhpur,Rajasthan
First Published :
April 30, 2025, 13:38 IST
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Akshaya Tritiya traditions: आखिर क्यों 2 दिन तक एक ही थाल में खाते हैं सभी भाई



