Nagaur News: A private school teacher built a raw house with cow dung, adopted a desi lifestyle, even big palaces fail in front of this house

नागौर. राजस्थान में अपनी संस्कृति को बचाने के लिए अनेकों संस्थाएं और लोग अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे हैं. लेकिन अब इस मुहिम में प्राइवेट स्कूल टीचर भी साथ दे रहे हैं. नागौर जिले एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले अंग्रेजी के टीचर पुरानी परंपरा को आज सजोए हुए हैं. यह टीचर आज भी पुराने जमाने की तरह गोबर के मकान में रहता है. इस घर में गोबर से लीपे हुए आंगन और दीवारों के कमरे हैं. पक्के मकान के बीच गोबर का बना यह घर आकर्षण का मुख्य केंद्र भी है. यहां आते ही शहर के बीच में ढाणी के किसी घर में आने जैसा महसूस होने लगता है.
नागौर के कुचामन शहर की इस घर में गोबर से लीपे आंगन और दीवारें, कमरों में भी केलूपोश और कच्चे चारे से बनी छत है. इस घर को रहने के हिसाब से ही डिजाइन किया गया है. निजी स्कूल के शिक्षक बजरंग कटिया ने खुद ने इस गोबर के घर को बनाया है. अंग्रेजी के शिक्षक होने के बावजूद अपनी संस्कृति व सुकून के लिए अपनी जिद और जुनून से बनाई अपने सुकून वाली दुनिया में है. बजरंग कांटिया की कुटिया राजस्थान की पारंपरिक संस्कृति और जीवन शैली को बनाए रखने का एक अहम उदाहरण है. उनके द्वारा अपनाई गई जीवनशैली भव्यता से दूर, एक साधारण और स्वदेशी तरीके से शांति और स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है.
दीवारों पर बनाई पारंपरिक कलाकृतियांशिक्षक ने जीवन शैली को आधुनिकता से प्रभावित होने से बचाया है उनका घर राजस्थान की पारंपरिक कलाकृतियों और देशी साज-सज्जा से सुसज्जित है जिससे उन्हें न केवल सुकून मिलता है बल्कि वह अपनी संस्कृति और पारंपरिक विरासत को भी बनाए रखते हैं. उनके घर में मिट्टी के बर्तन, पारंपरिक सजावट, और दीवारों पर की गई चित्रकारी राजस्थान की गहरी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है.
ठंडक देता है इस कच्ची कुटिया का वातावरण कुटिया के भीतर की दीवारों पर पारंपरिक राजस्थान की वारली शैली में बने सजावटी चित्र दिखाते हैं कि वह आधुनिक जीवनशैली से दूर रहकर अपने पारंपरिक मूल्यों से जुड़े हुए हैं. मिट्टी की बनी कुटिया प्राकृतिक रूप से ठंडक प्रदान करती है, जिससे गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्माहट रहती है.
Tags: Local18, Nagaur News, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 13:33 IST