Nagaur News: खेल की स्टिक छोड़, मां की जान बचाने के लिए फावड़ा थामे नेशनल लेवल की हॉकी प्लेयर

Last Updated:November 11, 2025, 18:56 IST
नागौर के जैसासनी गांव की रहने वाली नेशनल हॉकी खिलाड़ी गुड्डी देवी आज अपनी मां के इलाज के लिए संघर्ष कर रही हैं. कुछ महीने पहले खेत में काम करते समय उनकी मां को सांप ने काट लिया था, लेकिन इस दर्दनाक घटना के बावजूद मां ने बेटी से अपनी हालत छिपाए रखी. गुड्डी, जो पहले राज्य स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता में गोल्ड जीत चुकी थीं, अब खेतों में मजदूरी करती हैं और अपनी मां का इलाज कराती हैं.
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नागौर. कहते हैं अगर इंसान के सिर पर जिम्मेदारी और मजबूरी आ जाए तो वह क्या कुछ नहीं कर सकता. ऐसा ही एक मामला है नागौर के रियाबड़ी तहसील के गांव जैसासनी का, जहां एक नेशनल हॉकी खिलाड़ी ने हॉकी स्टिक की जगह हाथ में फावड़ा थाम लिया है. नेशनल हॉकी खिलाड़ी गुड्डी देवी इन दिनों अपने खेल के लिए नहीं, बल्कि मां की जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है. कुछ महीने पहले खेत में काम करते समय उसकी मां को सर्प ने काट लिया था.
दर्द बढ़ता गया, लेकिन उस दौरान गुड्डी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता की तैयारी में थी, इसलिए मां ने यह बात बेटी से छिपा ली. समय पर उपचार नहीं मिलने से पैर में गंभीर घाव बन गए, जो अब बढ़कर इलाज के लिए अजमेर अस्पताल तक ले गए हैं. गुड्डी के पिता रामकिशोर मनदूरी करते हैं. मां खेतों में काम कर परिवार चलाती थी, इन्हीं परिस्थितियों में पली-बढ़ी गुड्डी ने अन्य बच्चियों को खेलता देखकर हॉकी खेलने का सपना देखा. घर में पैसे नहीं थे, लेकिन बेटी का मन न टूटे, इसलिए पिता दिन में अतिरिक्त मजदूरी करते और मां खेतों में अधिक घंटे काम करती. इसी संघर्ष से गुड्डी ने हॉकी की स्टिक पकड़ी और 2022 की राज्य स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता में 14 गोल कर गोल्ड जीता.
अब खेतों में मजदूरी कर रही गुड्डी
उसका चयन अजमेर हॉकी अकादमी में हुआ और उसने ओडिशा, झारखंड, सिकंदराबाद और गुजरात में नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लिया. कोच का मानना था कि यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो गुड्डी का इंडिया कैंप में चयन लगभग तय था. लेकिन अब गुड्डी खेतों में मजदूरी कर रही है, मां की पट्टी बदलती है, अस्पताल ले जाती है और इलाज का खर्च जुटाती है. मां की हालत बिगड़ने पर इलाज और दवाओं का खर्च बढ़ गया. पिता की मजदूरी से खर्च पूरा नहीं हो पा रहा. ऐसे में गुड्डी ने खुद खेल छोड़कर मजदूरी शुरू कर दी. वह सुबह मां की देखभाल और पट्टी करती है, फिर खेतों में मिट्टी और फसल का काम करती है. मजदूरी से मिलने वाले पैसों से दवाइयां और इलाज चल रहा है. गुड्डी कहती है-खेल मेरा सपना है, पर मां मेरी ताकत. सपने रुक गए हैं, टूटे नहीं.
14 गोल कर गोल्ड जीता, फिर नेशनल में चमकी गुड्डी गुड्डी ने 2022 की राज्यस्तरीय हॉकी प्रतियोगिता में अकेले 14 गोल कर नागौर टीम को गोल्ड दिलाया. इसके बाद उसका चयन अजमेर हॉकी अकादमी में हुआ. वहां से उसने एसजीएफआई और हॉकी इंडिया द्वारा आयोजित टूर्नामेंट में हिस्सा लिया. ओडिशा, झारखंड, सिकंदराबाद और गुजरात में खेले मैचों में उसके प्रदर्शन की कोच ने सराहना की. गुडी अलग-अलग स्थानों पर खेल चुकी हैं. मेरा सपना इंडिया टीम में खेलना था, अब सपना है, मां फिर से चल सके. सारा खेल वहीं है, पर इस वक्त मेरी लड़ाई मां की सांसों के लिए है.
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW… और पढ़ें
Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
November 11, 2025, 18:56 IST
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नेशनल हॉकी खिलाड़ी गुड्डी क्यों मजबूर हुई मजदूरी के लिए, मां के इलाज का संघर्ष



