Rajasthan

नागौर की मूंग खेती का देशभर में डंका, किसानों को हो रही बंपर कमाई, जानिए तकनीक

नागौर. मूंग का उत्पादन राजस्थान में सबसे ज्यादा होता है. नागौर में उगने वाले उत्तम क्वालिटी के मूंग पूरे देश में प्रसिद्ध है. मारवाड़ क्षेत्र में सबसे ज्यादा मूंग का उत्पादन नागौर जिले में किया जाता है. नागौर सहित पूरे मारवाड़ क्षेत्र में इसकी खेती अब लगातार बढ़ती ही जा रही है. नागौर में लगातार किसानों का रुझान पिछले 10 वर्षों से बाजरा सहित अन्य खरीफ फसलों से हटकर फसल मूंग, चवला की ओर बढ़ने लगा है.

राजस्थान में करीब 12 लाख टन मूंग का उत्पादन किया जाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नागौर में मूंग की बुवाई करीब 6.25 लाख हेक्टयेर में होती है इसके बाद जोधपुर में करीब 3 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है. नागौर में सबसे ज्यादा मूंग की खेती करने वाले क्षेत्र मेड़ता तहसील, रियां, डेगाना, मारवाड़ मूंडवा, जायल तथा परबतसर तहसील के कुछ हिस्सों में होती है.

उन्नत बीजों का उपयोग कर रहे हैं किसानकृषि विश्वविद्यालय जोधपुर मूंग के उन्नत बीज विकसित कर किसानों दिए जा रहे है. इसमें नागौर, जालोर, सुमेरपुर, सिरोही, मोलासर और समदड़ी के केंद्र शामिल हैं, जहां बीजों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता की मॉनिटरिंग की जाती है. वैज्ञानिकों द्वारा मुहैया करवाए गए उन्नत बीजों का उपयोग करने से किसानों को अधिक उपज और बेहतर फसल की संभावना मिलती है.

मूंग उत्पादन में आने वाली चुनौतियांकिसानों को मूंग उत्पादन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि कीट प्रबंधन, रोगों का नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव. इसके अलावा, किसानों को बाजार में मूल्य स्थिरता की समस्या का भी सामना करना पड़ता है. इन चुनौतियों के बावजूद, मारवाड़ के किसान अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखने के लिए तत्पर हैं.

मूंग की खेती कैसी होती है नागौर क्षेत्र में शीतकालीन फसल के लिए अक्टूबर-नवंबर में मूंग बुवाई की जाती है. क्योंकि इस समय पर बुवाई से फसल की पैदावार में सुधार होता है. मूंग की खेती के लिए सबसे पहले हल्की और अच्छे जल निकासी वाली मिट्टी (जैसे बलुई और बलुई दोमट) का चयन किया जाता है. अच्छे उत्पादन के लिए खेत की गहरी जुताई और अच्छी तरह से जोतकर भूमि को समतल किया जाता है. इसके बाद सड़ी हुई गोबर की खाद और अन्य जैविक उर्वरक डालें.

नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित अनुपात में डाला जाता है. इसके बाद बीजों को 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जाता है. इसके बाद सिंचाई की जाती है. आवश्यकतानुसार कीटनाशक का उपयोग किया जाता है. जब मूंग की फलिया सूख जाती है तो उसकी कटाई कर ली जाती है.

Tags: Local18, Nagaur News, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : October 2, 2024, 14:58 IST

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