नमन है ऐसी देशभक्ति को…बॉर्डर फिल्म देख जोश हो गया हाई…तीन भाइयों ने सेना में लहरा दिया परचम

Last Updated:March 27, 2025, 10:55 IST
Success Story: आज हम आपको एक ऐसी देशभक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, जो हर किसी देशभक्त के लिए प्रेरणा देगी. सन 1997 में रिलीज हुई बॉर्डर फिल्म देखकर तीन भाइयों के मन में ऐसा जुनून जागा, कि संसाधन की कमी और महं…और पढ़ें
तीन भाई सेना की वर्दी में
हाइलाइट्स
बॉर्डर फिल्म देखकर तीन भाइयों ने सेना में भर्ती होने की ठानीसंसाधनों की कमी के बावजूद तीनों भाइयों ने कठिन परिश्रम से मुकाम हासिल कियाप्रहलादराम, भंवरलाल और हीराराम भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं
बाड़मेर. देश के सैनिकों की वीरता और बलिदान की कहानियां हमेशा से युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रही हैं. ऐसी ही एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है, जिसे सुन आप भी बोल उठेंगे, देश भक्ति हो तो ऐसी. बता दें 1997 में रिलीज हुई ब्लॉकबस्टर फिल्म “बॉर्डर” ने एक साधारण किसान परिवार के तीन बेटों के जीवन को बदल दिया है. इस फिल्म को देखने के बाद इन भाइयों के मन में सेना में भर्ती होने का ऐसा जुनून जागा, कि आज वे भारतीय सेना का हिस्सा बन चुके हैं, और अपने परिवार व गांव का नाम रोशन कर रहे हैं. इन तीनों भाइयों के पास संसाधनों की कमी थी, फिर भी इनकी देशभक्ति के जुनून ने इनके सपने को पूरा करने में मदद की. आज इनकी कहानी हर किसी युवा को जरूर जाननी चाहिए
न कोचिंग के लिए पैसे और न थीं महंगी किताबेंकिसान परिवार से होने के कारण इनके पास संसाधनों की कमी थी. न तो कोई कोचिंग सेंटर था और न ही महंगी किताबों का इंतजाम था, लेकिन इनकी मां और पिता ने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश की. कंवराराम ने खेतों से जो थोड़ी-बहुत कमाई होती थी, उससे बच्चों के लिए किताबें और जरूरी सामान खरीदा. तीनों भाई सुबह खेतों में काम करते, फिर दिनभर पढ़ाई और शारीरिक अभ्यास में जुट जाते थे.
एक साथ देखी थी बॉर्डर फिल्मआज गालाबेरी गांव के तीन सगे भाई भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे है. एक श्रीनगर, दूसरा भटिंडा में ड्यूटी पर तैनात है तो तीसरा हैदराबाद ट्रेनिंग सेंटर पर प्रशिक्षण ले रहा है. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कंवराराम के तीन बेटे प्रहलादराम, भंवरलाल और हीराराम ने कठिन परिश्रम से यह मुकाम हासिल किया है. तीनों भाइयों ने बचपन में एक साथ बॉर्डर फिल्म देखी और सेना में ही भर्ती होने की ठान ली थी.
2025 में हीराराम का भी हो गया चयनप्रहलादराम का 2018 की भर्ती में चयन हो गया. इसके बाद भंवराराम का 2019 में चयन हुआ और हाल ही में 2025 की भर्ती में हीराराम के चयन होने पर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. माता-पिता ने बारहवीं तक की पढ़ाई में साथ दिया और फिर बड़े भाई प्रहलाद पर घर की जिम्मेदारी आई तो पढ़ाई के साथ गुजरात में फर्नीचर का काम किया. छोटे भाइयों ने भी गांव व बाड़मेर शहर में कमठा मजदूरी कर भारतीय सेना में चयनित हुए है.
Location :
Barmer,Rajasthan
First Published :
March 27, 2025, 10:55 IST
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