देव आनंद और शम्मी कपूर की छवि बदलने वाले नासिर हुसैन: जावेद अख्तर.

Last Updated:March 13, 2025, 12:56 IST
जावेद अख्तर ने बताया कि नासिर हुसैन ने देव आनंद और शम्मी कपूर की ऑन-स्क्रीन छवि बदली थी. नासिर ने ‘तुमसा नहीं देखा’ से शम्मी की छवि बदली और देव आनंद की ‘मुनीमजी’ और ‘पेयिंग गेस्ट’ लिखी.
शम्मी कपूर बॉलीवुड के सबसे हैंडसम सुपरस्टार्स में से एक हैं. देव आनंद की 21 हिट फिल्में हैं.
हाइलाइट्स
किसने देव आनंद और शम्मी कपूर की ऑन-स्क्रीन छवि बदली?’तुमसा नहीं देखा’ से शम्मी कपूर की छवि में बदलाव आया.’मुनीमजी’ और ‘पेयिंग गेस्ट’ ने देव आनंद की छवि बनाई.
नई दिल्ली. 1950 के दशक में, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के एक्टर अपनी विशिष्ट शैली के लिए जाने जाते थे. देवानंद और शम्मी कपूर जैसे सितारों की ऑन-स्क्रीन पर्सनालिटी इतनी अनोखी थी कि वे बाकी से अलग नजर आते थे. हाल ही में एक बातचीत में, वरिष्ठ पटकथा लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने बताया दोनों की किसने काया पलट की थी.
जावेद साहब ने हाल ही में आमिर खान के साथ ‘आमिर खान: सिनेमा का जादूगर’ फिल्म महोत्सव के दौरान बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने देव आनंद और शम्मी कपूर की चर्चा की और बताया किसकी वजह उनकी छवि पूरी तरह से पर्दे पर बदल गई. उन्होंने बताया कि इसके पीछे किस डायरेक्टर और प्रोड्यूसर का हाथ थी.
किसने की काया पलट?बातचीत में गीतकार ने कहा कि फिल्म निर्माता नासिर हुसैन ने ही देव और शम्मी के लिए यह अनोखी शैली बनाई थी. आमिर खान, नासिर के भतीजे हैं.
शम्मी कपूर की अनोखी खूबियों को पर्दे पर की उजागरजावेद अख्तर ने बातचीत में कहा, ‘तुमसा नहीं देखा’, ‘कारवां’, ‘यादों की बारात’ जैसी फिल्मों के निर्देशन के लिए जाने जाने वाले नासिर को शम्मी कपूर की अनोखी खूबियों को पर्दे पर उजागर करने का श्रेय दिया जाता है. जावेद ने याद किया कि नासिर के साथ काम करने से पहले, शम्मी का लुक बहुत अलग था और उनकी ऑन-स्क्रीन शैली इतनी विशिष्ट नहीं थी. लेकिन, ‘तुमसा नहीं देखा’ के बाद सब कुछ बदल गया.
‘तुमसा नहीं देखा’ में बदली शम्मी की छविउन्होंने कहा, ‘शम्मी कपूर की मूंछें हुआ करती थीं, एक अलग हेयरस्टाइल था. उन्होंने ‘तुमसा नहीं देखा’ में शम्मी की छवि बदल दी. यह सारी यंग एनर्जी, फिल्मों में जो चुलबुलापन है, जिसे लोग आज भी अपनी फिल्मों में जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, यह सब उन्होंने ही आविष्कार किया. यह उनके पहले अस्तित्व में नहीं था.’
नासिर हुसैन ने बॉलीवुड को कई यादगार फिल्में दीं हैं. फोटो साभार-@IMDb
देव साहब की ऑन-स्क्रीन छवि भी नासिर हुसैन ने बनाईजावेद साहब ने बात करते हुए आगे देवानंद के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि देव साहब की ऑन-स्क्रीन छवि भी नासिर हुसैन ने बनाई थी. नासिर ने देव की दो फिल्मों 1955 में आई ‘मुनीमजी’ और 1957 में आई ‘पेयिंग गेस्ट’ लिखी थी. बाद में उन्होंने 1961 की ‘जब प्यार किसी से होता है’ में देवानंद ने निर्देशन किया. जावेद ने शेयर किया, ‘देवानंद, नासिर साहब की फिल्मों ‘मुनीमजी’, ‘पेयिंग गेस्ट’ के बाद देवानंद बने.
देवानंद को बताया ‘शाकाहारी’ एक्टरउन्होंने आगे कहा कि देव साहब की छवि जो हम जानते हैं… वो बहुत शाकाहारी एक्टर हुआ करते थे. एक फिल्म थी जो देवानंद ने की थी, उसमें दो दोस्त थे. एक प्लेबॉय था और दूसरा गांधीवादी. प्लेबॉय का किरदार मनमोहन कृष्णा ने निभाया और देव साहब ने गांधीवादी का किरदार निभाया. यह 1951 की फिल्म ‘आराम’ थी. नासिर के साथ काम करने से पहले ही देव एक सुपरस्टार थे जिन्होंने ‘बाजी’, ‘जाल’ और ‘टैक्सी ड्राइवर’ जैसी फिल्में की थीं.
इंडस्ट्री में सबसे कम आंके गए नासिर हुसैननासिर हुसैन के बारे में बात करते हुए जावेद साहब ने कहा, वो ऐसे निर्माता-निर्देशकों में से एक रहे, जो फिल्म इंडस्ट्री में सबसे कम आंके गए. फिल्मों की कहानी लिखने के दौर में जावेद ने सलीम खान के साथ मिलकर ‘यादों की बारात’ पर नासिर के साथ काम किया.यह सलीम-जावेद की लेखन जोड़ी की पहली हिट फिल्मों में से एक थी. हालांकि, नासिर को फिल्म में सह-लेखक के रूप में श्रेय दिया गया है. सलीम-जावेद ने इसके बाद नासिर हुसैन के साथ काम नहीं किया.
सलीम-जावेद से नाराज थे नासिरकहा जाता है कि नासिर सलीम-जावेद से नाराज थे, क्योंकि उन्होंने उन्हें एक स्क्रिप्ट दी थी जो ‘जंजीर’ से काफी मिलती-जुलती थी. दिप्तकिरति चौधरी की किताब ‘रिटेन बाय सलीम-जावेद’ में इस बात का जिक्र भी किया गया है. उन्होंने कहा था, ‘जब मुझे एहसास हुआ कि सलीम-जावेद ने मुझे और प्रकाश मेहरा को एक ही मूल कथानक दे दिया है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. लेकिन हमारे किरदार और ट्रीटमेंट पूरी तरह से अलग थे और इसलिए ‘जंजीर’ और मेरी फिल्म दोनों ही उसी साल बड़ी हिट रहीं.’
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
March 13, 2025, 12:56 IST
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वो डायरेक्टर जिसने देव-शम्मी की पलटी काया, एक बना छैल-छलीबा,दूसरा ‘वेजिटेरियन’