यहां मौजूद है देवनारायण का 700 साल प्राचीन मंदिर, दर्शन करने से भक्तों की होती है मनोकामना पूरी

रवि पायक/भीलवाड़ा. राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में स्थित भीलवाड़ा जिले के दलपुरा गांव में स्थित श्री देवनारायण मंदिर एक प्राचीन और प्रमुख धारोहर मंदिर है, जिसे भक्ति और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण करीब 700 साल पहले किया गया था, और इसकी महत्वपूर्णता यहां के लोगों के बीच बहुत बड़ी है. मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर एक ही परिसर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थित हैं, और भगवान देवनारायण के दर्शन से ही भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. यहां के भक्त अपनी संकटों और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए यहां आते हैं और मंदिर में श्रद्धाभाव से अपनी पूजा करते हैं. मंदिर की विशालता और शैली से लेकर यहां का पौराणिक महत्व भी इसे एक अद्वितीय स्थान बनाता है.
पुजारी रामगोपाल के अनुसार, श्री देवनारायण मंदिर एक प्राचीन स्थल है, जिसे करीब 700 वर्षों से भी अधिक का समय हो गया है. यह मंदिर दलपुरा गांव के रहने वाले लोगों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है, और उनका परिवार सात पीढ़ियों से इसकी सेवा और पूजा-अर्चना कर रहा है. मंदिर की प्रतिमा भगवान श्री देवनारायण की है, और इसकी प्राचीनता और मान्यता के कारण भक्त दूर-दूर से इसे दर्शन करने आते हैं.
माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इस मंदिर में एक अनूठी विशेषता यह है कि यहां पर कुत्ते के काटने और मानसिक रूप से अविकसित व्यक्तियों के इलाज का भी प्रदान होता है. इससे यह स्थान भी भक्तों के बीच में एक आध्यात्मिक और सामाजिक समृद्धि केंद्र के रूप में माना जाता है. इसके अलावा, कई जगहों से भक्ति के लिए आने वाले लोग इसे एक पवित्र स्थल के रूप में देखते हैं, जो भक्तों को आत्मिक शांति और सुख-शांति की प्राप्ति का अनुभव कराता है.
इस मंदिर के पुजारी रामगोपाल ने बताया है कि यहां पर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. वहां कई लोग कबूतर को दाना डालने के लिए आते हैं, और इस कारण सैकड़ों सफेद रंग के कबूतर भगवान देवनारायण की शरण में रहते हैं. रोजाना 25 से 30 किलो अनाज कबूतर को खिलाने का कार्य भक्तों द्वारा किया जाता है. इस मंदिर परिसर में एक ही स्थान पर भगवान भोले शंकर, भेरुनाथ, ब्रह्मा जी, हनुमान जी, कृष्ण कन्हैया, और काली माता के मूर्तियां स्थित हैं, जिससे श्रद्धालुओं को इन देवताओं के दर्शन होते हैं. इसे एक अद्वितीय स्थान बनाने वाले यहां के विशेष आध्यात्मिक और सामाजिक माहौल की सृष्टि हुई है.
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FIRST PUBLISHED : November 19, 2023, 22:26 IST