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10 साल की उम्र में जीता नेशनल अवॉर्ड, बड़े होकर बना अनाथ बच्चों की रोशनी – जानिए इस रियल लाइफ हीरो की कहानी!

Last Updated:March 17, 2025, 16:21 IST

Puneeth Rajkumar: कन्नड़ सिनेमा का वो सुपस्टार, जो सिर्फ पर्दे पर ही नहीं, बल्कि असल जिंदगी में भी हीरो था, 46 साल की उम्र में अचानक दुनिया को अलविदा कह दिया. करोड़ों दिलों में बसने वाले इस सितारे ने समाजसेवा क…और पढ़ेंस्टारडम से परे, इंसानियत की मिसाल - जानिए कैसे एक सुपरस्टार बना रियल लाइफ हीरो

नई दिल्ली : पुनीत राजकुमार की कहानी….(फोटो साभार- file photo)

हाइलाइट्स

पुनीत राजकुमार ने 10 साल की उम्र में नेशनल अवॉर्ड जीता.उन्होंने 26 अनाथालय, 46 मुफ्त स्कूल, 16 वृद्धाश्रम चलाए.पुनीत ने कर्नाटक सरकार के राहत कोष में 50 लाख रुपये दान किए.

नई दिल्ली : कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के पावर स्टार पुनीत राजकुमार न सिर्फ एक शानदार एक्टर थे, बल्कि समाजसेवा के प्रति उनकी लगन ने उन्हें रियल लाइफ हीरो बना दिया था. 29 अक्टूबर 2021 को महज 46 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. इस खबर के बाद पूरे बेंगलुरु में धारा 144 लागू कर दी गई और दो दिन तक शराब की बिक्री पर रोक लगा दी गई. हालांकि, वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके फैंस की संख्या आज भी करोड़ों में है.

पुनीत राजकुमार (Puneeth Rajkumar) कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले एक्टर में से एक थे. उनकी 14 फिल्मों ने लगातार 100 दिनों तक सिनेमाघरों में धमाल मचाया था. लेकिन उनकी असली पहचान सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं थी. वे समाज सेवा के लिए जाने जाते थे- उन्होंने 26 अनाथालय, 46 मुफ्त स्कूल, 16 वृद्धाश्रम और 19 गौशालाओं का संचालन किया. साथ ही उन्होंने अपनी आंखें दान कीं, जिसके बाद उनकी प्रेरणा से पूरे कर्नाटक में 1 लाख से ज्यादा लोगों ने नेत्रदान किया. 2019 में जब उत्तरी कर्नाटक बाढ़ से जूझ रहा था, तब पुनीत ने आगे बढ़कर लोगों की मदद की. कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने कर्नाटक सरकार के राहत कोष में 50 लाख रुपये दान किए थे.

बचपन में ही साबित कर दी थी काबिलियत

पुनीत राजकुमार (Puneeth Rajkumar) की प्रतिभा बचपन से ही उजागर हो गई थी. महज 10 साल की उम्र में उन्होंने फिल्म ‘बेट्टदा हूवु’ में अपनी शानदार एक्टिंग के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता था. ये फिल्म सिर्फ उनके करियर के लिए नहीं, बल्कि कन्नड़ सिनेमा के इतिहास में भी एक मील का पत्थर साबित हुई.

इसके अलावा, वे एक बेहतरीन सिंगर और टेलीविजन प्रेजेंटर भी थे. IPL में भी उनका खास योगदान रहा, जब वे 2008 और 2009 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के ब्रांड एंबेसडर बने. एक्टिंग और समाज सेवा के साथ-साथ वे खेल जगत से भी जुड़े रहे.

विरासत जो हमेशा जिंदा रहेगी

पुनीत राजकुमार के पिता, डॉ. राजकुमार, कन्नड़ सिनेमा के पहले एक्टर थे जिन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए पुनीत ने न सिर्फ अपनी एक्टिंग से बल्कि अपनी नेकदिली से भी लोगों के दिलों में जगह बनाई.

आज भले ही पुनीत हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्में, उनके नेक कार्य और उनके फैंस का प्यार उन्हें हमेशा जीवित रखेगा.


Location :

Mumbai,Maharashtra

First Published :

March 17, 2025, 16:21 IST

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