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National Doctor’s Day: निमोनिया से उखड़ने लगी सांसें तो कृत्रिम ऑक्सीजन के सहारे कोरोना पीड़ितों का ‘इलाज’ करते रहे डॉ. केके अग्रवाल

National Doctor’s Day: यह वह वक्‍त था, जब देश-दुनिया में चारों तरफ हाहाकार मचाया हुआ था. कोरोना महामारी अपने चरम पर थी. लोग अपने अपनों का साथ छोड़ रहे थे. चारों तरफ सिर्फ हताशा और निराशा के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था. एक-एक कर कोरोना की चपेट में आए अपने परिजनों, रिश्‍तेदारों, दोस्‍तों और जानकारों की मृत्‍यु की खबर दिल दहला रही थी.

इस बेहद डरावने माहौल के बीच एक शख्‍स ऐसे भी थे, जिन्‍होंने सबकुछ भुलाकर डॉक्‍टर पेशे के धर्म को नकेवल सर्वोपर‍ि रखा, बल्कि अपनी आखिरी सांस तक लोगों को कोरोना से बचाव के टिप्‍स देते रहे. जी हां, हम बात कर रहे हैं देश के मशहूर कार्डियोलॉजिस्‍ट पद्मश्री डॉ. कृष्‍ण कुमार अग्रवाल की, जो हम सब के बीच डॉ. केके अग्रवाल के नाम से विख्‍यात थे.

डॉ. केके अग्रवाल ने देश में कोरोना महामारी की दस्‍तक से पहले लोगों को कोरोना से बचाने की अपनी मुहिम शुरू कर दी थी. वह बिना थके लगातार सोशल मीडिया के जरिए न केवल लोगों को कोरोना से बचाव के तरीके समझा रहे थे, बल्कि कोरोना की चपेट में आने वाले लोगों की मदद कर रहे थे. कहा जाता है कि कोरोना काल में उन्‍होंने करीब 10 करोड़ से अधिक लोगों तक मेडिकल हेल्‍प पहुंचाई थी.

डॉ. केके अग्रवाल का यह ऑनलाइन कंसल्‍टेशन उनकी हालत नाजुक होने के बाद एम्‍स में भर्ती होने तक जारी रहा. दरअसल, कोविड वैक्‍सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद डॉ. केके अग्रवाल 28 अप्रैल 2021 को खुद कोरोना से संक्रमित हो गए. संक्रमण के बावजूद डॉ. केके अग्रवाल लोगों को ऑनलाइन कंसल्‍टेशन देते रहे.

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डॉ. केके अग्रवाल का अपने पेशे के प्रति समर्पण का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि कोविड संक्रमण के चलते उन्‍हें निमोनिया हो गया और उनका ऑक्‍सीजन लेवल गिरने लगा, लेकिन वह रुके नहीं, महामारी की मझधार में फंसे लोगों को बाहर निकालने के प्रयासों में लगातार लगे रहे. हालात यहां तक पहुंच गए कि उन्‍हें ऑक्‍सीजन सपोर्ट दिया गया, फिर भी उन्‍होंने अपना संवाद बंद नहीं किया.

डॉ. केके अग्रवाल ने अपना आखिरी संवाद 4 मई 2021 को किया, जिसके बाद वह फिर कभी बोले नहीं. 7 मई 2021 को उन्‍हें एम्‍स में भर्ती कराया गया. डॉक्‍टर्स की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्‍हें बचाया नहीं जा सकता और 17 मई 2021 को डॉ. केके अग्रवाल अपने करोड़ों चाहने वालों से अपना हाथ छुड़ा कर हमेशा-हमेशा के लिए दूसरे लोक में चले गए.

डॉ. केके अग्रवाल का आखिरी संदेश…

तस्वीर अभी बाकी है, शो चलता रहना चाहिए… मैं यहां चिकित्सा पेशे की सामूहिक चेतना का प्रतिनिधित्व करता हूं…  यहां तक कि मैं भी कोविड से पीड़ित हूं, मुझे कोविड निमोनिया है, जो लगातार बढ़ रहा है. बावजूद इसके हमें राज कपूर के शब्‍द को याद रखना चाहिए कि द शो मस्‍ट गो ऑन… पिक्‍चर अभी बाकी है. मेरे जैसे लोग ऑक्‍सीजन में भी क्‍लासेज लेंगे और लोगों को बचाने की कोशिश करेंगे…

मैं केके अग्रवाल नहीं हूं, मैं मेडिकल प्रोफेशन हूं. द शो मस्‍ट गो ऑन… अब हमें अपने जॉब को जुगाडू ओपीडी में शिफ्ट करने की जरूरत है. जुगाडू ओपीडी का मतलब है कि आप एक जैसे लक्षण वाले 100-100 पेशेंट को एक साथ बुलाए, जिसको 15 मिनट में कंसल्‍टेशन देकर भेजा जा सकता है. अब वन टू वन कंसल्‍टेशन करने का समय चला गया है. हमें इस क्राइसेस से लोगों को बाहर निकालना है.

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‘मैन ऑफ मॉसेस’ माने जाते थे डॉ. अग्रवाल
गोविंद बल्लभ पंत हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्‍ट और मर्क मॉडल के ‘जनक’ डॉ. मोहित गुप्‍ता का कहना है कि डॉ. केके अग्रवाल दूरदृष्टिता रखने वाले एक ऐसे इंसान थे, जिन्‍होंने स्‍वयं से ज्‍यादा लोगों के लिए काम किया. उनके छोटे-छोटे हैंडी टिप्‍स लोगों के जीवन को परिवर्तित करने में कामयाब रहीं. दरअसल, जीवन परिवर्तन के लिए बहुत बड़ी चीजों की जरूरत नहीं होती है, बिल्‍क छोटी टिप्‍स ही हमारी लाइफ की ट्रांसफार्म कर सकती हैं.

ऐसे टिप्‍स देकर उन्‍होंने मॉसेस के साथ कनेक्‍ट किया, तभी वह डॉक्‍टर फॉर मॉसेस माने जाते थे. यही वजह है कि लोग न केवल उनकी बातों को सुनते थे, बल्कि उन बातों को जीवन के भीतर धारण भी करते थे. अंतिम समय तक उन्‍होंने अपने जीवन में यही किया. अंतिम दिन, तक जब वह कोविड से पीडि़त भी थे, तब भी उन्‍होंने सेवा और लोगों से संवाद करना नहीं छोड़ा.

डॉ. मोहित गुप्‍ता के अनुसार, यह प्रदर्शित करता है कि डॉ. केके अग्रवाल के मन के अंदर कितनी निश्‍छतला, अपने पेशे के प्रति कितना समर्पण और लोगों के प्रति कितनी सेवा की भावना थी. ऐसा जीवन हमेशा हमें सिखाता है कि ऐसे समय पर अगर हम दे सकते हैं तो लोगों को दुवाएं,  मन का सुख, जीवन की शांति, कल्‍याण देकर उनका सही मार्ग दर्शन कर सकते हैं. डॉ. अग्रवाल ने ऐसा कार्य ने अपने जीवन में साकार करके दिखाया है. यह दिन, ऐसी महान विभूति को याद करने के लिए प्रेरणादायक भी है.

वह सबके लिए प्रेरणाश्रोत भी रहे हैं और डॉक्‍टर समुदाय के साथ-साथ हर व्‍यक्ति को उनसे जरूर सीखना चाहिए कि जीवन में लोगों और समाज के प्रति हमारा डेडिकेशन कैसा होना चाहिए. परमात्‍मा ने ऐसी शक्ति डॉक्‍टर्स को दी है, जिसकी वह से उन्‍हें ‘सेकेंड गॉड’ कहा जाता है, उसको हम सार्थक कर सकते हैं. जब हम डॉ. अग्रवाल की तरह, निस्वार्थ और यथार्थ सेवा समाज के प्रति करते हैं तो हमको आगे किसी से कुछ मांगना नहीं पड़ता. हमें लोगों की दुवाएं श्रेष्‍ण कर ऊपर ले जाती हैं.

डॉ. केके अग्रवाल का प्रारंभिक जीवन
5 सितंबर 1958 को जन्‍में डॉ. केके अग्रवाल की स्कूली शिक्षा दिल्ली में पूरी हुई. उन्‍होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी और साल 1983 में एमडी करने के बाद दिल्‍ली स्थित मूलचंद मेडिसिटी से जुड़ गए. वह 1983 से 2017 तक बतौर कॉर्डियो‍लॉजिस्‍ट अपनी सेवाएं मूलचंद मेडिसिटी में देते रहे. अपने संक्षिप्‍त सफर में, उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मानद महासचिव, आईएमए एकेडमी ऑफ़ मेडिकल स्पेशलिटीज़ के चेयरमैन, आईएमए के राष्ट्रीय मानद वित्त सचिव, आईएमए के अंतर्गत आने वाले एकेएन सिन्हा संस्थान के डायरेक्टर, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट,  और अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान एकेडमी (दिल्ली चैप्टर) के चेयरमैन के रूप में कार्य किया था.

Tags: Doctor’s Day Special, National Doctor’s Day, Sehat ki baat

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