Rajasthan

प्राकृतिक शिवलिंग: भोले बाबा के भक्तों के लिए बहुत खास है यह मंदिर, आपरूपी शिवलिंग की पूजा से बनते हैं सारे बिगड़े हुए काम

दौसा. दौसा जिला अपने विशेष धार्मिक स्थलों के लिए सुप्रसिद्ध है. अपनी भक्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. जिले के सिकराय उपखंड क्षेत्र के गेरोटा की पहाड़ियों पर बना महादेव जी का मंदिर भी खास पहचान रखता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां का प्राकृतिक शिवलिंग है. यहां की मान्यता है कि सच्चे मन से की गई पूजा से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है.

मंदिर में है आपरूपी शिवलिंगइस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर आपरूपी शिवलिंग है जो खुद पहाड़ी से निकल कर सामने आया है. पिछले कई वर्ष से श्रद्धालु इसकी पूजा कर रहे हैं. शिवरात्रि के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ जुटती है. सावन के सोमवार को भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु महादेव की पूजा अर्चना करते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस महादेव मंदिर से अचानक पूजा की आवाज आया करती थी.काफी ऊंचाई पर है मंदिरमहादेव जी का मंदिर गेरोटा गांव की पहाड़ी पर काफी ऊंचाई पर है. यहां पहुंचने के लिए पहाड़ी पर रास्ता बनाया गया है. श्रद्धालुओं के लिए यहां सीढ़ी की सुविधा भी दी गई है. समय के साथ मंदिर का जीर्णोद्धार भी हुआ है. भक्तों ने यहां पहाड़ी पर महादेव का भव्य मंदिर बनाया है. मंदिर में आने वाले लोग भगवान महादेव को खीर-पुआ के प्रसाद का भोग लगाते हैं.

स्थानीय लोगों का यह भी है दावा गांव के लोगों का दावा है कि जब यहां पर कोई मंदिर नहीं हुआ करता था तभी भी पहाड़ी पर अपने आप  पूजा होती थी. वर्षों पूर्व यहां से झालर और घंटी की आवाज आया करती थी. काफी वर्षों बाद जब यहां कुछ लोग आए तो यहां शिवलिंग देखकर छोटा सा चबूतरा बनाया था. चबूतरे के बाद अब मंदिर भी बनाया गया है और लगातार मंदिर निर्माण का काम जारी है.

जमीनी से हजारों फीट ऊंचाई पर स्थित है पहाड़ी परग्रामीणों का कहना है कि जमीनी स्तर से हजारों फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी पर शिवजी का मंदिर बना हुआ है. पहाड़ी पर ही रास्ता भी बना हुआ है जिसके रास्ते के माध्यम से लोग वाहनों को भी ऊपर तक ले जाते हैं. वाहनों से पहुंचने में श्रद्धालुओं को आसानी होती है. यहां पर भागवत कथा जैसे बड़े आयोजन भी किए जाते हैं. शिवजी का मंदिर होने के कारण यहां सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.

FIRST PUBLISHED : December 4, 2024, 16:54 IST

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