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NCR में लिपटा जिद्दी प्रदूषण स्किन को बना रहा बीमारियों का घर, त्वचा को छेदकर दे सकता है कैंसर, डॉक्टर से जानें कैसे करें रक्षा

हाइलाइट्स

स्किन पर एयर पॉल्यूशन का सबसे बुरा प्रभाव एटोपिक डर्मेटेटाइटिस (atopic dermatitis) के रूप में सामने आता है.
इसका सबसे पहला प्रभाव यह होता है कि स्किन में डिहाइड्रेशन होने लगता है.

NCR Pollution Dangerous Effects: दिल्ली और एनसीआर में जिस तरह से प्रदूषण की काली चादर बिछ गई है उससे न सिर्फ लोगों की आंखें और लंग्स खराब हो रहे हैं बल्कि स्किन पर भी भयंकर संकट आ गया है. वैसे तो प्रदूषण का खतरनाक असर पूरे जीवन पर पड़ता है लेकिन स्किन की सेहत को यह सबसे ज्यादा बिगाड़ रहा है. इसका कारण है कि स्किन शरीर का सबसे बाहरी और सबसे बड़ा आवरण है. किसी भी प्रदूषण के कण और सूक्ष्मजीवों का पहला हमला स्किन पर ही होता है. प्रदूषण में कई तरह के हानिकारक रसायन होते हैं. इनमें वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउड (VOCs), पोलीसाइक्लिक एरोमेटिक पॉल्यूटेंट (PAHs) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) प्रमुख रूप से होते हैं. ये सारे हानिकारक रसायन स्किन के लिए बहुत घातक है. एनसीआर में इस धुंध भरे जहरीले रसायन से स्किन पर कितना गंभीर असर पड़ रहा है, इस विषय पर हमने सीके. बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. सीमा ओबराय लाल से बात की.

किस तरह स्किन में करता है छेद

डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. सीमा ओबरॉय लाल ने बताया कि जिस तरह से एनसीआर पर प्रदूषण की चादर लिपट पड़ी है उसमें सैकड़ों तरह के हानिकारक केमिकल शामिल हैं जो स्किन को छेदकर सीधे उसमें घुस जाते हैं. इनमें कई तरह के पेस्टिसाइड, सॉल्वेंट केमिकल, पोलीक्लोरिनेटेड बाय फिनाइल, आइसोथाइसाइनेट, हाइड्रोकार्बन, एरोमैटिक कंपाउड, हैवी मेटल जैसे बैंजीन, आर्सेनिक, लेड, अल्ट्रावायलेट रेज आदि शामिल हैं. इनमें से अधिकांश वसा में घुलनशील है, इसलिए जब एक बार स्किन में चिपकते हैं तो यह बहुत आसानी से स्किन के अंदर प्रवेश कर टिके रहते हैं. आजकल स्ट्रॉ बर्निंग के कारण जो कार्बन निकलता है, वह ठंडा मौसम के कारण हवा में लटकता रहता है और उसका ऑक्सीडेशन भी अधूरा रह जाता है. यह बहुत ज्यादा सेहत के लिए हानिकारक है. ये सब पार्टिकुलेट मैटर आसानी से स्किन के अंदर घुसने में कामयाब हो जाते हैं.

इस जहरीली हवा का त्वचा पर असर

डॉ. सीमा ओबेरॉय ने बताया कि इतने सारे हानिकारक रसायन का सबसे पहला काम यही होता है कि जैसे वह स्किन में संपर्क में आता है, स्किन के सबसे उपर लगी सुरक्षात्मक बैरियर को तोड़ने लगता है और स्किन के अंदर घुस जाता है. इससे स्किन सेल्स में फ्री रेडिकल्स बढ़ने लगता है और सेल्स में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस शुरू हो जाता है. यहीं से स्किन पर तमाम तरह की आफद आनी शुरू हो जाती है.

स्किन की कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं

स्किन के सेल्स में ऑक्सीडेटेड स्ट्रेस के कारण स्किन डैमेज होने लगती है. इससे स्किन समय से पहले बूढ़ी होने प्रीमेच्योर स्किन एजिंग होने लगती है. स्किन पर एक्सट्रा पिगमेंटेशन और रिंकल शुरू हो जाता है. स्किन पर एयर पॉल्यूशन का सबसे बुरा प्रभाव एटोपिक डर्मेटेटाइटिस (atopic dermatitis) के रूप में सामने आता है. इसका सबसे पहला प्रभाव यह होता है कि स्किन में डिहाइड्रेशन होने लगता है. यानी स्किन की मॉइश्चर खत्म होने लगता है और रक्षात्मक परत टूटने लगती है. एटोपिक डर्मेटाइटिस के कारण स्किन ड्राई होने लगती है और स्किन में खुजली और दाने निकल आते हैं. इससे एलर्जी और एग्जिमा होते हैं. इसके अलावा स्किन पर रेशेज, कोहनी और गर्दन के पीछ चकत्ते आदि निकल आते हैं. टीनएज में कील-मुंहासे बढ़ सकते हैं. अगर हैवी मेटल का एक्सपोजर ज्यादा दिनों तक स्किन में होता रहा तो इससे स्किन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. डॉ. सीमा ओबेरॉय ने बताया कि चूंकि हमलोगों का स्किन कलर डार्क है, इसलिए स्किन कैंसर का खतरा और बढ़ जाता है.

किस तरह इस घातक प्रदूषण से बचें

  • 1. डॉ. सीमा ओबेरॉय ने बताया कि इस घातक प्रदूषण से बचने के लिए सबसे पहले नहाने से आधे घंटे पहले नारियल का तेल लगा लें. बॉडी को मॉइश्चरसाइज करने के लिए नारियल तेल से बढ़कर कोई भी नेचुरल चीज नहीं है. नहाने के तुरंत बाद बॉडी लोशन या मॉइश्चर लगाएं.
  • 2. नहाते समय कोशिश करें कि ज्यादा गर्म पानी न हो, ज्यादा गर्म पानी में नहाने से स्किन में डिहाइड्रेशन की समस्या ज्यादा होगी जो और नुकसान पहुंचाएगा.
  • 3. इसके बाद जितना संभव हो बाहर जाने से बचें. अगर बाहर जा रहे हैं तो बॉडी के अधिकांश हिस्सों को ढक कर और मास्क लगा कर जाएं. चेहरे पर मॉइश्चर और सन स्क्रीन जरूर लगाएं. हथेलियों और हाथों में भी मॉइश्चर लगाएं.
  • 4. चूंकि स्कीन को सबसे ज्यादा फ्री रेडिकल्स नुकसान पहुंचाता है, इसलिए फ्री रेडिकल्स के असर को कम करने के लिए एंटी-ऑक्सीडेंट्स डाइट को भोजन में शामिल करें.
  • 5. एंटीऑक्सीडेंट्स डाइट के लिए विटामिन सी और बीटा कैरोटीन की मात्रा बढ़ाएं. इसके लिए गाजर, साग, हरी पत्तीदार सीजनल सब्जियां, ताजे फल आदि का सेवन करें. स्ट्रॉबेरी, टमाटर, चेरी, तरबूज, ब्रोकली, सनफ्लावर सीड्स, संतरे, कीवी, साइट्रस फ्रूट, स्प्राउट आदि का जितना अधिक सेवन हो सके, करें. इन चीजों में एंटीऑक्सीडेंट्स बहुत होते हैं. इसके अलावा ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन ई वाली चीजों का भी सेवन करें. इसके लिए हर तरह के ड्राई फ्रूट्स और सीड्स का सेवन करें.

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Tags: Air pollution, Health, Lifestyle, Skin care in winters

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